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पूर्व मुखिया हत्याकांड : भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के बैनर तले बंद का आह्वान, रेल सेवा को किया बाधित, देखें वीडियो

बाढ़ : पूर्व मुखिया वीरेंद्र सिंह हत्याकांड में पुलिस पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच तत्वावधान में सोमवार को बाढ़ बंद का आह्वान किया गया है. सोमवार की सुबह ही भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के सदस्यों ने अथमलगोला स्टेशन पर मोकामा शटल ट्रेन को रोक कर रेल सेवा […]

बाढ़ : पूर्व मुखिया वीरेंद्र सिंह हत्याकांड में पुलिस पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच तत्वावधान में सोमवार को बाढ़ बंद का आह्वान किया गया है. सोमवार की सुबह ही भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के सदस्यों ने अथमलगोला स्टेशन पर मोकामा शटल ट्रेन को रोक कर रेल सेवा को बाधित कर दिया. वहीं, एनएच-31 पर अचुआरा में सड़क मार्ग बाधित कर दिया गया. इससे राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की पांच किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी कतार लग गयी.

क्या है मामला

बाइक सवार अपराधियों ने बाढ़ थाने के दाहौर और सलालपुर के बीच नलकूप का निर्माण करा रहे अथमलगोला प्रखंड की बहादुरपुर पंचायत के पूर्व मुखिया तथा दक्षिणीचक गांव निवासी वीरेंद्र कुमार उर्फ नेताजी (55 वर्ष) की पिछले माह दिनदहाड़े गोली मार कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था. गोलीबारी में घायल हुए मुखिया करीब घंटे भर तक घटनास्थल पर छटपटाते रहे. बाद में ग्रामीणों ने उन्हें इलाज के लिए अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उन्हें पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. बाद में पटना के एक निजी नर्सिंग होम में इलाज के दौरान ही पूर्व मुखिया की मौत हो गयी थी.

बताया जाता है कि पूर्व मुखिया दाहौर गांव के सामने टाल स्थित सलालपुर खंदा में नये नलकूप का निर्माण करा रहे थे. इसी को लेकर वह अपने गांव से साइट पर पहुंचे ही थे कि करीब दस बजे एक बाइक पर सवार तीन नकाबपोश अपराधी अचानक आ धमके और पूर्व मुखिया से बकझक करने लगे. इसी दौरान अपराधियों ने पूर्व मुखिया के सिर में सटा कर गोली मार दी. गोली वीरेंद्र के कान के पास से छेदती हुई निकल गयी. इसके बाद वह जमीन पर गिर गये. इसके बाद में तीनों अपराधियों ने दो गोलियां उनके पेट और सीने में मार दी. फिर हवाई फायरिंग कर हथियार लहराते बाइक पर सवार होकर भाग निकले. करीब घंटे भर तक पूर्व मुखिया जमीन पर तड़पते रहे. अपराधियों की दहशत का आलम यह था कि आसपास के लोग उन्हें इलाज के लिए ले जाने को भी तैयार नहीं थे. बाद में ग्रामीणों द्वारा किसी तरह उन्हें अनुमंडल अस्पताल लाया गया. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गयी.

पुलिस के आने के पहले ही पूर्व मुखिया को पटना रेफर कर दिया गया, जिसके कारण उसका फर्द बयान पुलिस नहीं दर्ज कर सकी. बाद में पटना के एक निजी नर्सिंग होम में उसकी मौत हो गयी. हत्याकांड के पीछे रंगदारी की आशंका जतायी जा रही है. पूर्व मुखिया द्वारा करोड़ों रुपये के नलकूप के ठेके का अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में काम कराया जा रहा था. इब्राहिमपुर पंचायत में कराये जा रहे काम को लेकर पूर्व मुखिया की कुछ आपराधिक तत्वों के साथ अनबन भी चल रही थी.

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