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रांची : ट्रांसमिशन लाइन चौपट, हर माह 370 करोड़ की खरीद रहे हैं बिजली, पर दे नहीं पा रहे लोगों को

रांची : राजधानी समेत पूरे झारखंड में बिजली की स्थिति बदहाल है. तेनुघाट के एक यूनिट को छोड़ कर राज्य सरकार के किसी भी पावर प्लांट से बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है. झारखंड बिजली वितरण निगम करीब 370 करोड़ रुपये की बिजली प्रतिमाह बाजार से खरीदता है, लेकिन निर्बाध बिजली आपूर्ति करने के […]

रांची : राजधानी समेत पूरे झारखंड में बिजली की स्थिति बदहाल है. तेनुघाट के एक यूनिट को छोड़ कर राज्य सरकार के किसी भी पावर प्लांट से बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है. झारखंड बिजली वितरण निगम करीब 370 करोड़ रुपये की बिजली प्रतिमाह बाजार से खरीदता है, लेकिन निर्बाध बिजली आपूर्ति करने के लिए ट्रांसमिशन लाइनें नहीं हैं.
राज्य गठन के समय शुरू किया गया अंडरग्राउंड केबलिंग का काम अब तक पूरा नहीं हो सका है. राज्य में जरूरत के मुताबिक, बिजली उत्पादन नहीं होने से वर्ष 2010 में राज्य में 14 लाख बिजली के उपभोक्ता थे, जो 2018 में बढ़ कर 26 लाख हो गये हैं. उस समय 82 करोड़ यूनिट बिजली की खपत प्रतिमाह होती थी. राजस्व 125 करोड़ मिलता था, जबकि खर्च 260 करोड़ रुपये प्रतिमाह था.
अब उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने से प्रतिमाह 97 करोड़ यूनिट की खपत होती है. राजस्व 220 करोड़ ही प्राप्त होता है. ऐसे में निगम को लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है. हल्की बारिश या तेज हवा चलने पर ग्रिड फेल हो जाते हैं. इनको बनाने में घंटों समय लगता है.
पूरे राज्य में कहीं भी बिजली की निर्बाध आपूर्ति नहीं की जा रही है. ग्रामीण इलाकों में केवल चार से पांच घंटे ही बिजली मिल रही है. शहरी इलाकों की हालत भी अच्छी नहीं है. राजधानी समेत सभी शहरी क्षेत्रों में आठ से 10 घंटे ही बिजली की अापूर्ति की जा रही है.
दूसरे राज्यों पर निर्भरता : राज्य के कई जिलों में बिजली के लिए हमें दूसरे राज्यों का मुंह देखना पड़ता है. गढ़वा जिले में आज भी यूपी पर ही बिजली की निर्भरता है. दुमका समेत संताल परगना में पूरी व्यवस्था बिहार व एनटीपीसी के कहलगांव पावर प्लांट पर टिकी है. इसे ललपनिया और पतरातू से जोड़ने का काम आज तक नहीं हो सका है.
राज्य में हर दिन करीब 2100 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है, जबकि उत्पादन केवल 130 मेगावाट ही हो रहा है. पावर प्लांटों से उत्पादन लगातार घटता जा रहा है.
राज्य गठन के बाद दो निजी कंपनियों इनलैंड पावर से 55 मेगावाट व आधुनिक पावर से 122 मेगावाट अतिरिक्त बिजली राज्य को मिल रही है. पीटीपीएस साल भर पहले ही बंद हो चुका है. अगले पांच वर्षों तक उससे उत्पादन शुरू नहीं किया जा सकता है. सिकिदरी हाइडल पावर प्लांट से नियमित उत्पादन नहीं हो पाता है. अब टीवीएनएल भी क्षमता के अनुरूप उत्पादन करने में अक्षम हो गया है.
टीटीपीएस का एक प्लांट बंद है. चल रहे इकलौते प्लांट से अधिकतम 130 मेगावाट ही बिजली मिलती है. टीवीएनएल प्लांट के लिए सीसीएल से कोयला खरीदता है. सीसीएल ने बकाया भुगतान नहीं करने की वजह से कोयले की आपूर्ति कम कर दी है. कोयले की कमी की वजह से एक वर्ष से टीवीएनएल का उत्पादन प्रभावित है. दूसरी ओर, राज्य में बिजली की मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है.
गांवों में पांच और शहरों में मात्र आठ घंटे ही बिजली
राजधानी में बिजली बिन गुजरे तीन दिन
आइटीआइ फीडर से सुबह सवा पांच से लगभग आठ बजे तक ब्रेक डाउन रहा. 9.20 बजे से 11.40 बजे तक सर्वेश्वरी नगर, मुंडा टोली में तार की मरम्मत किये जाने के कारण बिजली आपूर्ति बंद थी.
ललित नारायण मिथिला कॉलोनी में डिस्क इंश्यूलेटर पंक्चर हो जाने के कारण बिजली बंद हो गयी थी. पिस्का मोड़ फीडर से 11 केवी लाइन पर कौवा के बैठ जाने के कारण दिन के 1.45 से 3.40 बजे तक बिजली बंद रही.
रातू रोड के इंद्रपुरी सहित अन्य संबंधित इलाके में भी घंटों बिजली नहीं मिली. कोकर ग्रामीण सब स्टेशन के ढेला टोली फीडर से बीती रात 3.45 बजे से बिजली गुल हो गयी थी. रानी बागान इलाके में इंश्यूलेटर पंक्चर हो जाने के कारण बिजली गुल हो गयी थी. इससे दीपाटोली, चेशायर होम रोड, हजारीबाग रोड, अयोध्यापुरी सहित अन्य संबंधित इलाके में लोगों को बिजली नहीं मिली.

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