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इस्तेमाल से अधिक खरीद पर ध्यान, देखनेवाला कोई नहीं

गया : नगर निगम में बिना प्लानिंग के ही संसाधन खरीदे जा रहे हैं. निगम के विकास शाखा कार्यालय में गाड़ियों व अन्य संसाधनों के रखने की जगह कम पड़ रही है. इतना ही नहीं मौजूदा संसाधन का इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा है. वे रखे-रखे ही खराब हो रहे हैं. सूत्रों का कहना […]

गया : नगर निगम में बिना प्लानिंग के ही संसाधन खरीदे जा रहे हैं. निगम के विकास शाखा कार्यालय में गाड़ियों व अन्य संसाधनों के रखने की जगह कम पड़ रही है. इतना ही नहीं मौजूदा संसाधन का इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा है. वे रखे-रखे ही खराब हो रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सामान खरीद के निर्णय लेते वक्त बड़ी-बड़ी तैयारी की बात की जाती है लेकिन, खरीदारी होने के बाद उसके इस्तेमाल पर किसी का जोर नहीं होता है. इसके कारण ही नगर निगम की विकास शाखा में रखे कई वाहन व सामान रखे-रखे ही खराब हो जाते हैं.
पिछले दिनों शहर के 53 वार्डों में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए 300 से अधिक रिक्शे की खरीद की गयी. कुछ वार्डों को छोड़ कचरा कलेक्शन का काम शुरू नहीं हो सका है. कई वार्ड के अब तक रिक्शे बेकार पड़े हैं. सूखा व गिला कचरा अलग-अलग कलेक्शन के लिए 30 टेंपो मंगवाये गये हैं. वह भी कई महीनों से विकास शाखा में खड़ा है. इसके अलावा एनिमल कैचर वाहन पांच माह पहले मंगवाया गया है लेकिन अब तक इसके माध्यम से आवारा मवेशियों को पकड़ने का काम शुरू नहीं किया जा सका है.
खुले में रखी रहती हैं सभी गाड़ियां व सामान
नगर निगम के विकास शाखा में एक वर्ष से शेड बनाने की बात हो रही है, लेकिन अब तक शेड का निर्माण नहीं किया जा सका है. यहां खुले में सारी गाड़ियां व अन्य संसाधनों को रखा गया है. बरसात के दिनों में इन्हें बचाने के कोई इंतजाम यहां नहीं है. इसके अलावा दंडी बाग जलापूर्ति केंद्र में करोड़ों रुपये की मोटर, तार, पाइप, चापाकल के सामान खुले में रखे हैं. यहां बाउंड्री भी कई जगह से क्षतिग्रस्त हैं.
यहां पर भी बोर्ड की बैठक में शेड बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया है लेकिन जमीनी स्तर पर काम सिफर ही है. जानकारों का कहना है कि नगर निगम में सामान खरीदी में आम लोगों को पैसा लगता है. संसाधन उपलब्ध रहने के बाद भी इसका कोई लाभ नहीं मिला है. नगर निगम के जनप्रतिनिधि व अधिकारी के इच्छा शक्ति मजबूत किये बिना कुछ भी संभव नहीं है.

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