दरौंदा : अध्यात्म की उर्वर भूमि व बाबा भोलेनाथ की नगरी जिले के सिसवन प्रखंड के मेहंदार में लगने वाले श्रावणी मेले के दिन करीब आ गये हैं. वैसे आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन यानी 28 जुलाई से ही यह मेला प्रारंभ हो जायेगा, लेकिन सावन का पहला सोमवार 30 जुलाई को है और उस दिन जलाभिषेक के लिए मेहंदार में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है. दूसरी सोमवारी छह अगस्त तीसरी 13 व चौथी सोमवारी 20 अगस्त को है. यह मेला 26 अगस्त को समाप्त हो जायेगा. मेले के आयोजन को ले तैयारी शुरू हो गयी है. एक महीने तक चलने वाले इस मेले में अब रोज कावंरियों की भीड़ उमड़ती है. पूरे महीने में यह चार लाख की संख्या पार कर जाती है. झारखंड के देवघर में लगने वाले मेले का सीधा सरोकार बिहार के इस मंदिर से है. बैजनाथ धाम की यात्रा शुरू करने व समाप्ति के शिवभक्त यहां भोलेनाथ को जलाभिषेक करते है. आज के बदले परिवेश में ‘संतोषम परम सुखम’ जैसी अवधारणा ध्वस्त हो गयी है. सुख-सुविधा के प्रति सबकी लालसा बढ़ी है. इसे हासिल करने के उपायों में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना को भी महत्व प्राप्त हुआ है. ऐसे में मेंहदार स्थित शिवलिंग का अपना खास महत्व है. यहां लाखों शिव भक्तों की मनोकामना पूरी हुई है.
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मेंहदार में श्रावणी मेला 28 जुलाई से, प्रशासन ने शुरू की तैयारी
दरौंदा : अध्यात्म की उर्वर भूमि व बाबा भोलेनाथ की नगरी जिले के सिसवन प्रखंड के मेहंदार में लगने वाले श्रावणी मेले के दिन करीब आ गये हैं. वैसे आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन यानी 28 जुलाई से ही यह मेला प्रारंभ हो जायेगा, लेकिन सावन का पहला सोमवार 30 जुलाई को है और उस […]
महादेव के शृंगार व आरती में जुटती है शिवभक्तों की भीड़
महेंद्रनाथ धाम पर श्रावण मास मेला में एक विशेष आकर्षण सायं कालीन शृंगार और महादेव की महाआरती भी है. जिसमें भारी संख्या में भक्तों की भीड़ जुटती है. यह महाआरती वर्ष 2013 से महंत देवशंकर गिरि के कार्यकाल में आरंभ हुआ. महंत देवशंकर गिरि ने महेंद्रनाथ धाम पर भगवान शिव के शृंगार और महाआरती कार्यक्रम के आयोजन को अपनी हार्दिक इच्छा बताया था. उनके आशीर्वाद से मंदिर के पुजारी तारकेश्वर उपाध्याय, सतेंद्र उपाध्याय, महंत तारकेश्वर गिरि, गोपालजी पांडे, आनंद गुप्ता, विजय गुप्ता व विजय शंकर गुप्ता इस कार्यक्रम को चार वर्षों से निर्बाध चला रहे है . शाम के समय महादेव का स्नान अभिषेक शृंगार राज भोग सुमधुर कंठ से मंत्रोच्चार और स्तुति के साथ और फिर घंटे घड़ियालों के साथ महादेव मां पार्वती महाकाली भगवान आशुतोष, कालभैरव, बटूक और आनंद भैरव संकट मोचन हनुमान जी, श्रीराम-जानकी-लक्ष्मण मंदिरों से होते धाम के महंत तारकेश्वर गिरी के प्रधान गद्दी पर समाप्त होती है.
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