रांची : नागपुरी साहित्य संस्कृति मंच की ओर से संत कोलबंस स्कूल हेहल में धनंजय नाथ तिवारी की अध्यक्षता में एक दिवसीय बैठक आयोजित हुई. जिसमें नागपुरी भाषा की उपेक्षा पर असंतोष व्यक्त किया गया. साथ ही जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई इंटर स्तरीय 10+2 विद्यालयों में नहीं कराने के निर्णय पर चिंता जतायी गयी.
बैठक में पहली कक्षा से लेकर स्नातकोतर तक शिक्षकों की नियुक्ति की मांग भी की गयी. झारखंड के अलावा ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, अंडमान निकोबार तथा नेपाल तथा विदेशों में बसे नागपुरी सादरी भाषा-भाषी लोगों से संपर्क करने का निर्णय लिया गया.
सर्वसम्मति से तय किया गया कि नागपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए झारखंड के सभी सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों से समर्थन मांगा जाएगा.
जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई इंटर स्तरीय 10+2 विद्यालयों में नहीं कराने के निर्णय को अव्यवहारिक बताते हुए कहा गया कि इससे स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर विद्यार्थी कहां से आएंगे.
इसके लिए सभी जनजातीय समुदाय को एक मंच पर आकर भाषा बचाने के मुहिम का समर्थन करने का आह्वान किया गया. ताकि प्राथमिक स्तर से लेकर पीजी तक की पढ़ाई सुनिश्चित की जा सके. नागपुरी भाषा अकादमी के गठन की मांग की गई. संस्था के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी तेज करने की घोषणा की गई.
बैठक में डॉ राम प्रसाद, शकुतंला मिश्र, सुनील बादल, मधु मंसूरी हंसमुख, धनेन्द्र प्रवाही, डॉ संजय षाड़ंगी, प्रमोद कुमार राय, महावीर नायक, मनोहर महांती, अनिल कुमार, कृष्ण जीवन पौराणिक तथा नागपुरी के अन्य कलाकार साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे. मौके पर नागपुरी विषय लेकर दरोगा परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को सम्मानित भी किया गया.