कोटा : आज की तारीख में देश-दुनिया के लोग भले ही मंगलग्रह पर घर बनाने का सपना देख रहे हों या फिर डिजिटाइजेशन के युग में जी रहे हों, मगर भारतीय समाज में अब भी तुगलकी फरमान और अंधविश्वास का बोलबाला है. पंचायतों का तुगलकी फरमान गाहे-ब-गाहे अब भी किसी परिवार या व्यक्ति के लिए नासूर बन जाता है. इसी तरह के तुलगकी फरमान की वजह से राजस्थान के बूंदी जिले के हरीपुरा गांव में एक पांच साल की बच्ची का जीवन कष्टमय हो गया. हालांकि, मामला प्रकाश में आने के बाद तुगलकी फरमान जारी करने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
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दरअसल, अनजाने में पैर से टिटहरी का अंडा टूट जाने पर पांच साल की बच्ची को समाज से बहिष्कृत कर परिवार से दूर बिना खाना-पानी के अकेला छोड़ दिया गया. घटना के बारे में पता चलने पर इस संबंध में मामला दर्ज किया गया है. बेसहारा बच्ची की हालत के बारे में जानकारी मिलने पर राज्य के बाल अधिकार आयोग की प्रमुख मनन चतुर्वेदी के आदेश पर मामला दर्ज किया गया. बच्ची पिछले 11 दिनों से अपने घर की चौखट से दूर रह रही थी और कुछ दूरी से उसकी थाली में खाना फेंक दिया जाता था.
हिंडोली थाना के प्रभारी लक्ष्मण सिंह ने बताया कि गुरुवार को 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. पड़ोस के बूंदी जिले के हरीपुरा गांव में अपने स्कूल परिसर में अनजाने में टिटहरी का अंडा कुचलने के कारण लड़की को शुरुआत में तीन दिन के लिए और इसके बाद आगे और आठ दिनों के लिए जाति से बाहर कर दिया गया.
टिटहरी का अंडा टूट जाने को लेकर अंधविश्वास की वजह से लड़की को जाति से बाहर कर दिया गया और उसे सजा दी गयी. समुदाय का मानना है कि अंडा टूटने से समुदाय को अपशकुन झेलना होगा और गांव में बारिश नहीं होगी. यह मामला तब सामने आया, जब लड़की के पिता ने तहसीलदार से शिकायत कर दी कि समुदाय का प्रमुख फरमान वापस लेने के लिए महंगी शराब और खाने पीने की सामग्री की मांग कर रहा है.
तहसीलदार से शिकायत के बारे में जानकर समुदाय प्रमुख ने बुधवार की रात लड़की के समूचे परिवार को जाति से बाहर घोषित कर दिया. राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने गुरुवार की सुबह गांव का दौरा किया. पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, किशोर न्याय कानून और अस्पृश्यता कानून के विभिन्न प्रावधानों के मामला दर्ज किया.