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ट्रंप ने कहा-पुतिन प्रतिस्पर्धी हैं न कि दुश्मन, नाटो की उपयाेगिता पर उठाये सवाल

ब्रसेल्स : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि वह अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन को दुश्मन नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धी के रूप में देखते हैं. पुतिन से भेंट से पूर्व ट्रंप ने नाटो सम्मेलन के मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘वह मेरे दुश्मन नहीं हैं, आखिरकार तो वह प्रतिस्पर्धी हैं, वह रूस […]

ब्रसेल्स : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि वह अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन को दुश्मन नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धी के रूप में देखते हैं. पुतिन से भेंट से पूर्व ट्रंप ने नाटो सम्मेलन के मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘वह मेरे दुश्मन नहीं हैं, आखिरकार तो वह प्रतिस्पर्धी हैं, वह रूस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, मैं अमेरिका का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं.’ दोनों का शिखर सम्मेलन में काफी कुछ दांव पर लगा है.

ट्रंप ने जर्मनी-रूस पाइपलाइन गैस समझौते और ऊर्जा जरूरतों के लिए यूरोपीय देशों के रूस की गैस पर बहुत अधिक निर्भर रहने की आलोचना की. ट्रंप ने नाटो की उपयोगिता पर सवाल खड़ा करते हुए यूरोपीय देशों के उनकी रक्षा व्यय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहने पर आपत्ति जतायी. साथ ही जर्मनी को रूस का बंधक करार दिया. ट्रंप ने कहा कि जर्मनी और रूस के बीच पाइपलाइन समझौते को देखते हुए अमेरिका को कुछ कदम उठाना पड़ सकता है, क्योंकि इससे रूस की अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर जा रहे हैं.

ट्रंप ने ब्रसेल्स में नाटो शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे को उठाया और उसके बाद एक ट्वीट में कहा, ‘रूस को पाइपलाइन के लिए डॉलर दिया जाना स्वीकार्य नहीं है.’ उनकी इन टिप्पणियों पर अमेरिका और कुछ यूरोपीय सहयोगियों ने ऐतराज जताया है. ट्रंप ने कहा कि जर्मनी जैसे देश अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि नाटो का क्या लाभ है जब जर्मनी रूस को गैस और ऊर्जा के लिए अरबों डॉलर का भुगतान कर रहा है. यूरोपीय संघ के 29 देशों में से केवल पांच ने ही अपनी व्यय प्रतिबद्धताएं क्यों पूरी की हैं. अमेरिका यूरोप की सुरक्षा के लिए भुगतान कर रहा है और व्यापार में अरबों डॉलर का घाटा उठा रहा है. ट्रंप की यह आलोचना ऐसे समय आयी है जब वह 16 जुलाई को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हेलसिंकी में मिलनेवाले हैं. उन्होंने नाटो सदस्य देशों से उनके रक्षा खर्च में बढ़ोतरी करने की मांग की ताकि अमेरिका के वित्तीय बोझ को घटाया जा सके.

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