रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को घटते जंगल व बाघों की संख्या में कमी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य में बाघों को संरक्षित रखने की आवश्यकता बतायी. खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि बाघ संवेदनशील वन्यप्राणी होते हैं.
बाघ तभी सुरक्षित रह सकेंगे, जब उनके अनुकूल वातावरण रहेगा. अनुकूल वातावरण में वे ब्रीडिंग कर सकेंगे. यदि गोली की आवाज सुनेंगे, तो बाघ दूसरे राज्यों में चले जायेंगे. खंडपीठ ने सरकार को जरूरी कदम उठाने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बाघों को संरक्षित रखने के सभी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं. वन्यप्राणियों की तस्करी व शिकार रोकने के लिए 131 एंटी पोचिंग स्क्वायड बनाये गये हैं. 100 में से 92 मल्टीपरपस टॉवर बनाया गया है.
68 वाटर हारवेस्टिंग स्ट्रक्चर में से 66 स्ट्रक्चर तैयार हो गया है. सुरक्षा के लिए दो यूनिट महिला पेट्रोलिंग को तैयार किया गया है. कोर एरिया के गांवों के लोगों को दूसरी जगहों पर स्थानांतरित किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विकास महतो ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में घटते जंगल व बाघों की संख्या में कमी का मुद्दा उठाया गया है.