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पटना : शिक्षा की गुणवत्ता पर फोकस, हफ्ते में दो दिन स्कूल का निरीक्षण अनिवार्य

जिले से लेकर प्रखंड तक के शिक्षा अधिकारी करेंगे सभी सरकारी स्कूलों की मॉनीटरिंग नौ जुलाई से सभी सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करने की प्रक्रिया की गयी शुरू पटना : राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता में व्यापक सुधार के लिए एक निरीक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की है. 9 जुलाई से सभी सरकारी […]

जिले से लेकर प्रखंड तक के शिक्षा अधिकारी करेंगे सभी सरकारी स्कूलों की मॉनीटरिंग
नौ जुलाई से सभी सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करने की प्रक्रिया की गयी शुरू
पटना : राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता में व्यापक सुधार के लिए एक निरीक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की है. 9 जुलाई से सभी सरकारी स्कूलों का निरीक्षण शुरू होने जा रहा है. इसमें एक विशेष एप बेस्ट (बिहार ईजी स्कूल ट्रैकिंग) का सहयोग लिया जायेगा और इसकी रिपोर्ट वेब पोर्टल पर भी अपलोड करनी है. निरीक्षण करने के लिए शिक्षा महकमा के जिला से लेकर प्रखंड तक के सभी अधिकारियों की ड्यूटी निर्धारित कर दी गयी है.
ऐसे सप्ताह में किसी दिन कोई भी संबंधित अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण कर सकते हैं, लेकिन बुधवार और गुरुवार को हर हाल में स्कूल का निरीक्षण करना अनिवार्य कर दिया गया है. निरीक्षण के क्रम में गड़बड़ी पाये जाने पर तुरंत कार्रवाई करने से संबंधित दिशा-निर्देश भी शिक्षा विभाग ने जारी कर दिया है.
इस मामले में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) को विस्तृत पत्र जारी किया है. एक महीने के दौरान डीईओ को कम से कम आठ स्कूलों, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को 10 स्कूल, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को 20 स्कूल, प्रखंड साधन सेवी को 25 स्कूल और संकुल संसाधन केंद्र समन्वयक को संकुल के सभी विद्यालयों का निरीक्षण करना है.
इससे पहले भी शिक्षा विभाग ने इस वर्ष अप्रैल महीने में बेस्ट एप की मदद से स्कूलों का निरीक्षण करने की शुरुआत की थी. इसकी शुरुआत प्रायोगिक तौर पर की गयी थी, लेकिन यूनिसेफ की मदद से तैयार किये गये इस एप में कुछ गड़बड़ी आ गयी थी. इस बार तमाम समस्याओं को दूर करने के बाद नये स्तर से सतत मॉनीटरिंग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. निरीक्षण के दौरान अगर किसी स्कूल में गड़बड़ी पायी गयी, तो इसके लिए संबंधित अधिकारी को उनके ओहदे के हिसाब से कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है.
छात्रों की उपस्थिति 75 % करने पर जोर, अनुपस्थित शिक्षकों का पूरा ब्योरा भी दर्ज होगा
— मोबाइल एप पर सभी निरीक्षण की वास्तु स्थिति दर्ज की जायेगी. इसमें अनुपस्थित शिक्षकों का पूरा ब्योरा भी दर्ज किया जायेगा.
प्रत्येक बुधवार और शनिवार को प्रखंड शैक्षणिक आंकड़ा प्रबंधन केंद्र के ऑपरेटर संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को रिपोर्ट भेजेंगे. इसी तरह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एवं डीईओ भी सभी स्कूलों की जांच रिपोर्ट वेब पोर्टल के जरिये अवलोकन करेंगे.
— अगर निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि स्कूल निर्धारित समय पर नहीं खुला या समय से पहले ही बंद हो गया, तो ऐसी स्थिति में स्कूल के प्रधानाध्यापक पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे. संबंधित प्रधानाध्यापक के खिलाफ संबंधित पदाधिकारी के स्तर पर कार्रवाई की जायेगी.
— निरीक्षण के दौरान किसी प्रारंभिक स्कूल में 60 फीसदी से कम छात्रों की उपस्थिति पायी जाती है, तो स्कूल के प्राचार्य और शिक्षक अनुपस्थित छात्रों के अभिभावक से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करेंगे. इस कार्य में स्कूल शिक्षा समिति की सहायता ली जा सकती है. स्कूलों में हर हाल में छात्रों की उपस्थिति 75 फीसदी से ज्यादा कराने की कोशिश करेंगे.
— अगर स्कूल से कोई शिक्षक बिना किसी सूचना के अनुपस्थित पाये जाते हैं, तो प्रधानाध्यापक अनुश्रवण पदाधिकारी की उपस्थिति में ही अटेन्डेंस रजिस्टर में संबंधित शिक्षक की हाजिरी को काट देंगे. यदि अनुश्रवण करने वाले अधिकारी प्रखंड या इससे ऊपर के पदाधिकारी होंगे, तो अनुपस्थित शिक्षक का संबंधित तिथि का वेतन भी स्थगित करते हुए उनसे तुरंत स्पष्टीकरण पूछा जायेगा. इसका जवाब असंतोषजनक पाये जाने पर उनका वेतन काट दिया जायेगा.
— प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी जितने शिक्षकों से स्पष्टीकरण पूछेंगे, इसका विस्तृत रजिस्टर दर्ज किया जायेगा. इस रजिस्टर को प्रत्येक महीने डीईओ और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेंगे.
— सभी डीईओ के स्तर से इस बेस्ट एप के माध्यम से किये गये अनुश्रवण की समीक्षा प्रत्येक महीने जिला स्तर पर किया जायेगा. फिर इसे वेबसाइट पर अपलोड करना होगा.

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