बरसात का सीजन. घर, गलियारा या आसपास लकड़ी का ढेर हो, तो उसे रखें साफ-सुथरा
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जहरीले जीव-जंतु हो जाते हैं सक्रिय, रहें अलर्ट
बरसात का सीजन. घर, गलियारा या आसपास लकड़ी का ढेर हो, तो उसे रखें साफ-सुथरा बरसात में पांच गुना बढ़ जाती हैं सर्पदंश की घटनाएं सांप के काटने पर हर्ट अटैक से होती हैं दो तिहाई मौतें भभुआ सदर : बरसात के मौसम में सांप और बिच्छूओं सहित अन्य कीटों का हमला इंसानों पर होता […]
बरसात में पांच गुना बढ़ जाती हैं सर्पदंश की घटनाएं
सांप के काटने पर हर्ट अटैक से होती हैं दो तिहाई मौतें
भभुआ सदर : बरसात के मौसम में सांप और बिच्छूओं सहित अन्य कीटों का हमला इंसानों पर होता ही रहता है. शहरी इलाकों में सांप और बिच्छू भले ही कम निकलते हो. लेकिन, अन्य कीट इंसानों की बस्तियों में हमेशा से मौजूद रहते आये हैं. शहरी आबादी में सांप भी पाये जाते हैं. लेकिन, यहां इनकी संख्या गांवों के मुकाबले कम होती है. वहीं, बारिश का पानी जमीन में जाते ही बिलों में छिपे हुए सांप बाहर निकल आते हैं. ग्रामीण इलाकों में सांपों के बिल मानव बस्तियों के आसपास होते हैं. इसलिए यहां सर्पदंश का सबसे अधिक हमला भी उन्हीं पर होता है. बारिश के दिनों में सांप, बिच्छू से लेकर तमाम जहरीले जीव जंतु सक्रिय हो जाते हैं.
बारिश के पानी से अपनी जान बचाने के लिए ये भी सुरक्षित जगह तलाशने लगते हैं. ये जगह आपका घर, गलियारा, घर का कोना या फिर लकड़ी का ढेर कुछ भी हो सकता है. ऐसे में जरूरत है तो बरसात में सावधानी बरतने की. क्योंकि, सांप पहले से हमला नहीं करता, बल्कि वह दबने पर ही काटता है.
घर में सांप के घुसने पर क्या करें : शहर में सांप विशेषज्ञ ओंकार नट का कहना था कि सांप कभी इनसान की तरफ नहीं आता. सांप तभी काटता है जब वह दबता है या उसे कोई छेड़ता है. उसका कहना था कि घर में घुसे सांप को कई तरीके से बाहर निकाला जा सकता है. घर में घुसने पर चारों तरफ मिट्टी का तेल या फिनाइल छिड़क दें. उसकी गंध से सांप बाहर चला जाता है.
सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है वैक्सीन : सिविल सर्जन डॉ नंदेश्वर प्रसाद ने बताया कि सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल मोहनिया, रेफरल अस्पताल रामगढ़ के अलावा सभी पीएचसी में एंटी स्नैक वेनम वैक्सीन उपलब्ध करायी जा चुकी है. वैसे भी सांप काटने पर लोगों को झाड़-फूंक कराने की जगह मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना चाहिए.
एक पखवारे में हो चुकी हैं दो की मौत : बरसात सीजन नजदीक आते ही जिले में सर्पदंश की घटनाएं तेजी से बढ़ जाती हैं. वैसे भी अभी बरसात पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है. लेकिन, फिर भी एक महिला व पुरुष की अब तक सर्पदंश से मौत हो चुकी है. बरसात के दिनों में बिच्छू भी आदमी का चैन छीन लेता हैं और उसके भी जहरीले दंश से लोग परेशान रहते हैं.
झाड़-फूंक के बजाय इलाज की होती है जरूरत
सदर अस्पताल के वरीय चिकित्सक डॉ विनोद कुमार सिंह कहते हैं कि सांपों का केवल 52 प्रजातियां ही विषैले होती है. पूर्वांचल खास कर कैमूर और उसके आसपास के क्षेत्रों में कोबरा, करैत व बाइपर ही विषैले होते हैं. बताया कि कोबरा आमतौर पर दिन में काटता है. इसके दंश वाले स्थान पर सूजन आ जाती है और उसके काटे स्थान पर असहनीय दर्द होता है. पीड़ित को आंखों से दिखना कम हो जाता है. बेहोश होने के साथ ही सांसों की गति कम हो जाती है और दिल काम करना बंद कर देता है. जबकि, इसके विपरीत करैत सांप रात को काटता है. इसके काटने वाले स्थान पर सूजन नहीं होती. इसके चलते लोग मच्छर आदि काटने की बात मान कर बेपरवाह हो जाते हैं और जब तक सर्पदंश का एहसास होता है, तब तक मरीज की हालत काफी बिगड़ जाती है.
जुलाई विषधरों का होता है प्रजनन काल
मवेशी अस्पताल के विशेषज्ञ एसके उपाध्याय बताते हैं कि जून माह के अंतिम सप्ताह और जुलाई का महीना कोबरा, करैत जैसे विषधर सांपों के प्रजनन का काल होता है. जब वह इस अनुकूल मौसम में मादा के साथ जोड़े बनाते हैं, तब वैसे विषधर आसपास किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करते और ऐसे समय में वह आक्रामक हो जाते हैं. इसलिए मानव जीवन को ऐसे में तीन माह तक विशेष सावधानी बरतनी जरूरी हैं. उनका कहना था कि अपने जिले में पाये जानेवाले कोबरा, करैत ही अमूमन विषैले होते हैं. इनके अलावा धामिन, डोड़हा, दो मुंहा आदि भुजंग विषधर की श्रेणी में नहीं आते. आमतौर पर सांप खेतों में चूहों द्वारा बनाये गये बिल में रहते हैं. बारिश के सीजन में बिलों में पानी भर जाने के कारण यह चूहों का पीछा करते हुए घरों तक पहुंच जाते हैं और यह तभी काटते हैं, जब कोई इन्हें छेड़ता है.
विषधर काट ले, तो क्या करें
सर्पदंश के बाद व्यक्ति को भागना नहीं चाहिए. क्योंकि, इससे रक्त का संचार बढ़ने से जहर तेजी से फैलने लगता है. घटना के बाद व्यक्ति को तुरंत बैठ जाना चाहिए और सर्पदंश के स्थान को पोटेशियम परमेगनेट या लाल दवा के पानी अथवा साबुन से धोना चाहिए. सर्पदंश के स्थान पर बर्फ न लगाये. सर्पदंश के स्थान से दो इंच ऊपर कपड़े की पट्टी अथवा रस्सी कस कर बांध दें. पट्टी लगभग एक इंच चौड़ी होना चाहिए. साथ ही दंश के 20 मिनट के अंदर बांधी जानी चाहिए.
पट्टी इतना टाइट भी नहीं बांधना चाहिए, जिससे खून का प्रवाह पूरी तरह बंद हो जाये. जितने ज्यादा क्षेत्र में पट्टियां बांधेगे उतना फायदा होगा. दिल तक जहर न पहुंचे इसके लिए धड़ को भी पट्टियों से लपेटा जा सकता है, जहां तक संभव हो सके मरीज को पैदल चलने से रोकें. याद रहे कि शरीर की हलचल न्यूनतम हो. काटे स्थान पर पांच से छह इंच ऊपर बांध देना चाहिए. ताकि, जहर आगे न बढ़े. इसके तत्काल बाद उसे डॉक्टर के पास तुरंत ले जाना चाहिए.
पीड़ित को भी वैसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए, जहां एंटी स्नेक वेनम के अतिरिक्त सांस और दिल की सहायता संबंधी उपकरण उपलब्ध हो. झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ने से जान गंवानी पड़ सकती है. घर में चूहा, छिपकली आदि को न रहने दें. घर के बाहर साफ-सफाई रखें.
सांप के काटने पर क्या करना जरूरी
सदर अस्पताल के फिजिशियन डॉ विनय कुमार तिवारी के अनुसार, कभी भी सर्पदंश वाले स्थान से जहर चूसने की कोशिश न करें. ऐसा करना खुद आपके लिए घातक हो सकता है. साथ ही मरीज का भी कोई भला नहीं होता. किसी तरह का घरेलू उपचार देने की कोशिश न करें. मरीज को तत्काल अस्पताल पहुंचाएं. सांप को अच्छी तरह देखने और पहचानने की कोशिश करें. इसका कारण यह है कि सांप का हुलिया बताने से चिकित्सक को इलाज करने में आसानी होती है.
मरीज को शांत रखने की कोशिश करें. मरीज जितना उत्तेजित रहेगा उसका रक्तचाप भी उसी गति से बढ़ेगा. यदि सर्प काट ले तो मरीज को बिस्तर पर सीधा लेटा दें. शरीर में जितनी कम हलचल होगी जहर भी उतना कम फैलेगा. यदि हाथ में सांप ने काटा है तो उसे नीचे की ओर लटकाकर रखें. ताकि, जहर दिल तक पहुंचने में वक्त लग सके. यदि पैर में काटा है तो पलंग पर इस तरह लिटा दें. ताकि, मरीज के पैर नीचे लटके रहें. और कोशिश करें जल्द से जल्द अस्पताल ले जाकर इलाज कराएं.
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