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लोगों की परंपरा की जांच किये बिना ही निर्गत हो रहे हैं जाति प्रमाण पत्र

झारखंड में किसी व्यक्ति द्वारा उसके जातिगत रूढ़ियों एवं प्रथाओं का पालन किये जाने के तथ्य की जांच किये बिना ही सिर्फ खतियान के आधार पर संबंधित व्यक्ति को जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जा रहा है. यह न्यायालय के आदेश के विरुद्ध है. इस बात की जानकारी गुरुवार को जनजाति विधिक सहायता केंद्र के […]

झारखंड में किसी व्यक्ति द्वारा उसके जातिगत रूढ़ियों एवं प्रथाओं का पालन किये जाने के तथ्य की जांच किये बिना ही सिर्फ खतियान के आधार पर संबंधित व्यक्ति को जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जा रहा है. यह न्यायालय के आदेश के विरुद्ध है. इस बात की जानकारी गुरुवार को जनजाति विधिक सहायता केंद्र के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को दी.
शंकर टोप्पो के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केरल राज्य एवं अन्य बनाम चंद्रमोहन के मामले में दिये गये निर्णय का उल्लेख करते हुए बताया कि किसी व्यक्ति को संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के परिक्षेत्र के भीतर लाये जाने के पूर्व उसे जनजाति से संबंधित होना चाहिए.
सरकार के आदेश का लाभ अभिप्राय करने के प्रयोजन के लिए एक व्यक्ति को जनजाति का सदस्य होने की शर्त पूरी करनी होगी और निरंतर जनजाति का सदस्य बना रहना होगा. प्रतिनिधिमंडल में शंकर टोप्पो के अलावा संजय लकड़ा, डॉ प्रेम प्रकाश, आदर्श कुमार शर्मा आदि शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल ने इस मामले में पहल करने का आग्रह किया कि जांच के बाद ही अंचल कार्यालय द्वारा अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाये.

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