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प्रभातखबर से बातचीत में कांग्रेस नेता रामेश्वर उरांव ने कहा, फादर को जेल भेजना गलत, पत्थलगड़ी व गैंग रेप के पीछे PLFI

रांची : खूंटी में पांच महिलाओं के साथ गैंग रेप व पत्थलगड़ी के साथ सांसद के अंगरक्षकों सहित चार पुलिसकर्मियों के अपहरण के मुद्दे पर जायजा लेने गये पूर्व आइपीएस अधिकारी व अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके कांग्रेस के नेता रामेश्वर उरांव से प्रभात खबर के वरीय संवाददाता प्रणव ने मंगलवार को […]

रांची : खूंटी में पांच महिलाओं के साथ गैंग रेप व पत्थलगड़ी के साथ सांसद के अंगरक्षकों सहित चार पुलिसकर्मियों के अपहरण के मुद्दे पर जायजा लेने गये पूर्व आइपीएस अधिकारी व अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके कांग्रेस के नेता रामेश्वर उरांव से प्रभात खबर के वरीय संवाददाता प्रणव ने मंगलवार को लंबी बातचीत की.
उन्हाेंने गैंग रेप के मामले में फादर अल्फोंस आइंद को जेल भेजना गलत करार दिया. वहीं गैंग रेप और पत्थलगड़ी के पीछे प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ का हाथ बताया. पेश है बातचीत का ब्याेरा :
फादर अल्फोंस आइंद की गैंग रेप में क्या भूमिका दिखी आपको, खूंटी पुलिस प्रशासन ने उन्हें जेल भेजा है?
देखिए मैं पुलिस अफसर रहा हूं. गैंग रेप के मामले में फादर अल्फोंस आइंद को जेल भेजना नाजायज है, गलत है. इस संबंध में स्कूल की टीचर से भी उनकी बात हुई है. अपराधी लोगों ने स्कूल पहुंचकर उन्हें डरा दिया. इसके बाद डर से फादर घर में घुसा, तो निकला ही नहीं. ऐसे में उससे क्यों उम्मीद करते हैं कि वह 30-40 किमी से आकर आपको घटना की सूचना देगा.
उसको डराया गया, खबरदार कर दिया गया. इस वजह से वह सूचना देने नहीं गया. रोज घटनाएं होती है़ कितनी लोग सूचना नहीं देते हैं. फिर कितने लोगों पर पुलिस कार्रवाई करती है. मर्डर होता है, उधर से जानेवाला गाड़ी वाला देखता है, लेकिन वह डर से भाग जाता है़, तो क्या सबको गिरफ्तार करते चलियेगा.
आइपीसी के तहत नागरिकों को संज्ञेय अपराध की सूचना देनी है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति सूचना नहीं देता है, तो यह देखना होगा न कि वह किस परिस्थिति में सूचना नहीं दे रहा है. कोचांग जैसे जंगल के इलाके में स्कूल में रहने वाला टीचर बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकता.
स्कूल में 800 लड़के-लड़कियां रहकर पढ़ते हैं. फादर उनका ध्यान रखेंगे कि साजिश करते चलेंगे. ऐसे में फादर पर केस होना, गिरफ्तारी होना गलत है. पहले मामले की जांच करनी चाहिए थी, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई जल्दबाजी में की़
फिर आप फादर की जगह दोषी किसे मानते हैं?
जिनके साथ गलत हुआ, उन्हें फादर या स्कूल के किसी टीचर ने नहीं बुलाया था. उन्हें कोचांग जैसे अशांत इलाके में स्कूल ले जाने वाला कौन है़, वह स्कूल के टीचर से ज्यादा दोषी हैं. उसको बचाया जा रहा है. बेचारे फादर को जबरन फंसाकर उन पर आठ-दस धारा लगा दिया गया है. वे जल्द जेल से भी बाहर नहीं निकल सकेंगे. यह सब जो हुआ, वह गलत है़
कोचांग में गैंग रेप की घटना हुई है, क्या कहेंगे?
गैंग रेप के मामले में लोगों ने बताया कि पीड़िताओं से उनके परिजनों को मिलने नहीं दिया जा रहा है. हालांकि डीसी सूरज कुमार ने बताया कि पीड़िताओं को काउंसलिंग के लिए रखा गया है़ कुछ के अभिभावक भी साथ हैं. पत्रकार लोगों को भी मिलने नहीं दिया जा रहा है. इसलिए लोगों को लग रहा है कि प्रशासन कुछ छिपा रहा है़
गैंग रेप को पत्थलगड़ी से जोड़ना क्या लगता है?
यह सब सरकार ने एक पॉलिटिकल थ्योरी दे दिया कि पत्थलगड़ी में सब क्रिश्चियन लोग हैं.फादर लोग सब कर रहा है. रेप केस में शामिल हैं इसलिए पत्थलगड़ी में भी शामिल होगा. लेकिन यह सब गलत है. देखा यह जाना चाहिए कि चर्च का हाथ है कि किसी व्यक्ति विशेष का हाथ है. अगर किसी क्रिश्चियन की भूमिका कहीं है, तो उसको पकड़िये. न कि चर्च पर दोषारोपण कीजिये.
फिर कौन लोग शामिल है गैंग रेप व पत्थलगड़ी के पीछे?
दोनों ही मामले का सूत्रधार पीएलएफआइ है. मैं नहीं समझता कि युसूफ पूर्ति इतना पहलवान और दबंग है कि उसके कहने से लोग पत्थलगड़ी के लिए आ जाते हैं.
उग्रवादी लोग अपने पक्ष में माहौल बना रहे हैं. वे पूर्ति जैसे लोगों के बहाने लिमिटेड जोन बनाने के लिए सारा काम कर रहे हैं. सरकार व पुलिस को पीएलएफआइ के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, न कि आमलोगों के खिलाफ.
आप अपनी टीम के साथ खूंटी गये, क्या देखा और क्या पाया?
हमलोग पांच गांव गये. अनिगड़ा, कोचांग, घाघरा, चांदीडीह, उदबुरू व इसके बगल का एक गांव. नजारा यही था कि खेती-बाड़ी का समय है़ लोग गांव छोड़कर भाग गये हैं. ऐसी स्थिति सिर्फ यही पांच गांवों में नहीं थी, बल्कि वहां के हरि मुंडा ने कहा कि करीब 20 गांवों में यही स्थिति है़
क्या वजह मानते हैं इस तरह की स्थिति का?
सरकार ने शुरू से पत्थलगड़ी जैसे मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया. आंदोलन होते हैं, लेकिन शुरू से ही आप इसको किनारे में रख देते हैं.
यूसुफ पूर्ति जैसे लोगों द्वारा किया जा रहा पत्थलगड़ी को कितना जायज मानते हैं?
इस मामले में राजनीति करने की बात नहीं है. पत्थलगड़ी के मामले में यूसुफ पूर्ति व उसके साथियों की गतिविधि एकदम गलत है. यह छिपाने की बात नहीं है. जहां-जहां गये, देखा कि पत्थलगड़ी के नाम पर जगह-जगह बड़ा-बड़ा शिलालेख लगाये हुए है़
पूर्ति जैसे पत्थलगड़ी समर्थक जो संविधान की बात करते हैं, वह कहां तक सही है?
इन लोगों द्वारा संविधान की गलत व्याख्या की गयी है. यह लोग कहते हैं कि बाहर का कोई व्यक्ति इस इलाके में नहीं आ सकता. ऐसा कहीं नहीं है. हम भी संविधान पढ़े हैं. संविधान में कहा गया है कि हिंदुस्तान में एक कोने से दूसरे कोने तक कोई भी नागरिक आ-जा सकता है. व्यापार कर सकता है़
यह लिखा है. हालांकि शिड्यूल छह में थोड़ी रोक-टोक है. चार राज्यों नागालैंड, मिजोरम, असम व त्रिपुरा का एक पार्ट जहां पर प्रवेश करने से पहले सरकार द्वारा तैनात लाेगों से अनुमति लेकर जाना पड़ता है. इसकी समय अवधि भी होती है. लेकिन खूंटी या झारखंड का कोई भी इलाका शिड्यूल छह में नहीं आता है. इसलिए झारखंड में रोक-टोक की बात कहना गलत है़

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