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क्षमता 50 की, पर पांच बसें भी नहीं हो पा रहीं खड़ी

तीन करोड़ के बस पड़ाव में फर्श पर बैठते हैं यात्री तो पेयजल के लिए लगाते हैं चक्कर भभुआ सदर: शहर के पूरब पोखर के पास बनाये गये अत्याधुनिक सोनहन बस स्टैंड में वैसे तो एक साथ 50 बसों को खड़े करने की सुविधा है. लेकिन, स्टैंड में जबर्दस्त अतिक्रमण से अब पांच बसें भी […]

तीन करोड़ के बस पड़ाव में फर्श पर बैठते हैं यात्री तो पेयजल के लिए लगाते हैं चक्कर
भभुआ सदर: शहर के पूरब पोखर के पास बनाये गये अत्याधुनिक सोनहन बस स्टैंड में वैसे तो एक साथ 50 बसों को खड़े करने की सुविधा है. लेकिन, स्टैंड में जबर्दस्त अतिक्रमण से अब पांच बसें भी खड़ी नहीं हो सकतीं.
कारण है कि स्टैंड परिसर में अवैध रूप से खड़ी आधा दर्जन से अधिक ट्रकें और स्टैंड के मुहाने पर ही नगर पर्षद की सुस्ती का फायदा उठाते हुए एक व्यापारी द्वारा रखे गये पहाड़ सरीखे बालू.
इसके चलते स्टैंड में यात्रियों को काफी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है. इसके चलते बस के चालक और एजेंट भी परेशान हैं. लेकिन, इस मामले में शिकायत के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. शहरी आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड द्वारा लगभग दो करोड़ 95 लाख की लागत से बनाये गये सोनहन बस पड़ाव में यात्रियों को किस प्रकार की सुविधा मिल रही है.
इसको लेकर मंगलवार को प्रभात खबर की टीम ने जब सोनहन बस पड़ाव का जायजा लिया, तो कई मामले चौंकाने वाले सामने आये. इसमें नगर पर्षद को हस्तगत किये साल भर बीत जाने के बाद भी इस बस पड़ाव में यात्रियों की सुविधाओं के लिए कुछ नया नहीं हो पाया है. यहां आने-जाने वाले यात्रियों व लोगों को बैठने जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी ख्याल नहीं रखा गया है.
क्योंकि, कमरों और हॉल में ताला लटके होने के कारण यात्रियों और नयी नवेली दुल्हनों, बूढ़े बुजुर्गों को बस पड़ाव के गलियारे में फर्श पर बैठना पड़ रहा है. इस स्टैंड में प्रतीक्षालय सहित आठ कमरे व हॉल है. लेकिन, प्रतीक्षालय व कमरों में ताला लटके हैं.
वैसे ही पेयजल के लिए परिसर के बाहर व अंदर दो हैंडपंप लगाये गये हैं. लेकिन, इसमें एक हैंडपंप बंद है तो एक हैंडपंप बाहर होने की वजह से यात्री वहां तक पहुंच नहीं पाते. बस पड़ाव में फर्श पर बैठ बस के इंतजार में मिली सोनवर्षा की इंद्रावती देवी, शिवसागर की मधु देवी, अकोढ़ी के लक्ष्मण कुमार आदि का कहना था कि इतनी बड़ी बिल्डिंग का क्या फायदा, जब बस पड़ाव में यात्रियों को फर्श पर ही बैठना पड़े. ऊपर से सभी कमरों में ताला बंद हैं. यहां पर महिलाओं के लिए परिसर में शौचालय तक नहीं है, तो करोड़ों रुपये खर्च कर इतना बड़ा बस पड़ाव बनाने से क्या फायदा.
एजेंट दुर्गा पासवान ने बताया कि यहां सबकी मनमानी चलती है और आसपास के लोग अपनी ट्रक या अन्य वाहन इसी में खड़ी कर स्टैंड को जाम किये हुए हैं. ऊपर से अवैध तरीके से स्टैंड के मुख्य द्वार पर ही बालू रख दिये जाने से भी स्टैंड सकरी हो गयी हैं. इसके चलते 50 बस खड़े होने वाले इस स्टैंड में अब मुश्किल से पांच बस खड़ी हो रही हैं. कई बस वाले तो जगह नहीं रहने के चलते स्टैंड के बाहर ही बसें खड़ी कर यात्रियों को चढ़ाते-उतरते हैं.
स्टैंड की चहारदीवारी तोड़ बना लिया दुकान व जमीन का रास्ता
सोनहन बस पड़ाव में बदहाल स्थिति के अलावे वहां अनियमितता और मनमानी भी देखने को मिली. बस पड़ाव में नगर पर्षद द्वारा सुरक्षा के लिहाज से चहारदीवारी का निर्माण कराया था. चहारदीवारी के निर्माण से स्टैंड के आसपास की कई जमीन और दुकानों के रास्ते अवरुद्ध हो गये. लेकिन,वहां मौजूद दुकानदारों व जमीन मालिकों ने बिना नगर पर्षद के आदेश के चहारदीवारी को जगह-जगह तोड़ कर अपना रास्ता बना लिया गया हैं.
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इस रास्ते के लिए जमीन व दुकान मलिकों द्वारा मुट्ठी भी गर्म किये गये हैं, ताकि उनकी जमीन की वैल्यूएशन बनी रहे या फिर दुकानों तक यात्रियों को आने में सहूलियत हो सके. हालांकि,स्टैंड की चहारदीवारी को तोड़ना नियम संगत नही हैं. क्योंकि,अगर चहारदीवारी तोड़ना ही था तो फिर नगर पर्षद द्वारा लाखों रुपये खर्च कर बनाया ही क्यों गया.
कई जिलों के लिए खुलती हैं गाड़ियां
सोनहन बस पड़ाव में एक वर्ष से विभिन्न जगहों के लिए यात्री वाहन खुल रहे हैं. लेकिन, रात गुजारना तो दूर इस बस पड़ाव में अब भी यात्रियों की बैठने जैसी मामूली सुविधा भी बहाल नहीं हो सकी है. वाहन एजेंटों ने बताया कि इस स्टैंड से सासाराम, चेनारी, वाराणसी, कुदरा सहित कई जिला व प्रखंडों के लिए बस, पिकअप, ऑटो छोटे-बड़े वाहन खुलते हैं. लेकिन, यहां पर यात्रियों को बैठने, लाइट, शौचालय आदि की व्यवस्था नहीं होने से सारी व्यवस्था धरी की धरी रह जा रही है.
महिलाओं के लिए शौचालय की भी व्यवस्था नहीं
अब इसे यात्रियों की बिडंबना नहीं तो और क्या कहा जाये कि अत्याधुनिक बने सोनहन बस पड़ाव के प्रतीक्षालय सहित अन्य कमरों में ताला लटकता रहता है.
यात्रियों को बस पड़ाव के गलियारे के फर्श पर बैठ कर वाहनों का इंतजार करना पड़ता है. इस बस पड़ाव में लगभग आधा दर्जन से अधिक कमरे हैं. बड़े-बड़े हॉल हैं. लेकिन, बाहर व अंदर के हॉल में भी बैठने की व्यवस्था नहीं है. परिसर में महिलाओं के लिए शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है. इस स्थिति में महिला यात्रियों को खुले में शौच जाने की मजबूरी रहती है. इसके अलावे पेयजल, साफ-सफाई व अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं.

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