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विचारों की शक्ति को पहचानने का नाम है अध्यात्म : डॉ प्रणव पंड्या
कोलकाता : विचारों की शक्ति को पहचानने का नाम ही अध्यात्म है. यह गेरुआ वस्त्र पहनने या माला जपने से नहीं होता. आंतरिक बदलाव के लिए विचारों की ताकत को पहचानने की जरूरत है. ये बातें अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या ने कला मंदिर ट्रस्ट के कला कुंज सभागार में ‘सूत्राज […]
कोलकाता : विचारों की शक्ति को पहचानने का नाम ही अध्यात्म है. यह गेरुआ वस्त्र पहनने या माला जपने से नहीं होता. आंतरिक बदलाव के लिए विचारों की ताकत को पहचानने की जरूरत है. ये बातें अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या ने कला मंदिर ट्रस्ट के कला कुंज सभागार में ‘सूत्राज ऑफ लिव लाइफ पॉजिटिवली’ पर दिए व्याख्यान में कही.
इस कार्यक्रम का आयोजन वनबंधु परिषद, श्रीहरि सत्संग समिति और गायत्री चेतना केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था. इस अवसर पर श्री पंड्या ने सकारात्मक जीवन जीने के सूत्रों को उदघाटित किया. आज याेगासन को योग कहा जा रहा है. पर वास्तव में योग हमारे अंदर की समस्त शक्तियों को एकसाथ करने की कला है.
योगासन इसके लिए साधन है, साध्य नहीं. केवल गेरूआ वस्त्र धारण करने से हमारे विचारों में बदलाव नहीं आ सकता. इसके लिए हमें जीवन को योगमय करना होगा. साधनों की कमी नहीं भाव की कमी से ग्रस्त मन ही अभावग्रस्त है. भावना से रहित मन को शांति नहीं मिल सकती. अशांत मन को सुख कैसे मिलेगा. मन को शांत रखना सीखे.
रोजमर्रा के जीवन में गुणों को विकसित करने का कार्य करें. स्वमूल्यांकन, स्वंचितंन, स्वनिर्माण के माध्यम से विकसित करें. आत्म सुधार और आत्मविकास की प्रक्रिया एक साथ चलाये. हम अपने कर्मों का दृष्टा बनें. तभी हमारे जीवन में शांति आ सकती है. शांति से सुख और सुख से जीवन ईश्वरमय हो जाएगा. साथ ही उन्होंने गीता, गायत्री व गंगा को अपने जीवन में स्थान देने पर भी बल दिया.
इस अवसर पर अन्य विशिष्ट अतिथियों में वनबंधु परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सज्जन बंसल, गायत्री चेतना केंद्र की अंजना मेहरिया, श्रीहरि सतसंग समिति कोलकाता के अध्यक्ष सत्यनारायण देवरालिया व वनबंधु परिषद कोलकाता के अध्यक्ष रामानंद रस्तोगी शामिल थे. वहीं मंच का संचालन वनबंधु परिषद कोलकाता के संयुक्त सचिव नीरज घारोदिया व स्वागत भाषण वनबंधु परिषद कोलकाता के उपाध्यक्ष जयदीप चितलंगिया ने दिया.
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