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जाल में झारखंड जगुआर के जवानों के फंसने के बाद हुई शहादत की घटना

रमकंडा : मंगलवार की देर शाम भंडरिया थाना क्षेत्र के खपरी महुआ के पास माओवादियों के बिछाये गये जाल में झारखंड जगुआर के जवानों के फंसने के बाद हुई शहादत की घटना ने फिर से माओवादियों के ख़ौफ़ की पुरानी यादों के ताजा होने पर मजबूर कर दिया. वहीं इस घटना के बाद से एक […]

रमकंडा : मंगलवार की देर शाम भंडरिया थाना क्षेत्र के खपरी महुआ के पास माओवादियों के बिछाये गये जाल में झारखंड जगुआर के जवानों के फंसने के बाद हुई शहादत की घटना ने फिर से माओवादियों के ख़ौफ़ की पुरानी यादों के ताजा होने पर मजबूर कर दिया. वहीं इस घटना के बाद से एक तरफ जहां माओवादियों का मनोबल बढ़ा है, तो दूसरी तरफ शहादत के गम के साथ ही पुलिस के जवान इनसे लोहा लेने के लिए पूरी तरह से तैयार दिखते हैं.

झारखंड जगुवार के जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए पुलिस के जवान कितना आतुर थे, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अपने साथियों के शहादत के 24 घंटे के अंदर ही पुलिस के जवानों ने माओवादियों से दो-दो हाथ कर एरिया कमांडर बिगू बिरिजिया उर्फ विजय उर्फ शेखर को ढेर कर दिया. लेकिन
जवानों को बरसात का मौसम होने की वजह से इस ऑपरेशन में दिक्कत हो सकती है.
बूढ़ा पहाड़ से सटे भंडरिया थाना क्षेत्र के चपिया, मदगड़ी, कुटकू, खुरा, पोलपोल, खपरी महुआ, तुरेर, तुमेरा, चेमो सन्या सहित लातेहार जिले के सीमावर्ती कबरी, कोटम, बारीबांध, डांडीछप्पर, हेनार सहित अन्य गांवों में हल्की भी बारिश हुई, तो इसका सीधा असर सीआरपीएफ व कोबरा बटालियन द्वारा चलाये जा रहे संयुक्त अभियान पर पड़ेगा. चूंकि इस क्षेत्र के गांवों को जोड़नेवाली सभी सड़कें पूरी तरह से कच्ची है. इसमें हरैया सहित करीब आधा दर्जन नदी-नालों पर पुल भी नहीं है. ये नदियां थोड़ी बरसात में ही अपने उफान पर बहने लगती है. ऐसे में इन कच्ची सड़कों पर दोपहिया वाहन से तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. इसका सीधा असर जवानों के ऑपरेशन पर पड़ सकता है. यद्यपि इसके बावजूद इस विपरीत परिस्थिति में भी कोबरा, सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर व एसटीएफ के जवान माओवादियों के खिलाफ अभियान जारी रखे हुए हैं.
बूढ़ा पहाड़ से माओवादियों को खदेड़ने के लिए पुलिस का जारी है संयुक्त ऑपरेशन
कच्ची सड़क व बिना पुल के नदी-नाले बन रहे हैं बाधक
सुरक्षित जोन बूढ़ा पहाड़ को बचाने में माओवादी भी लड़ रहे हैं अंतिम लड़ाई
दोनों तरफ से पीस रहे हैं ग्रामीण
बुढ़ा पहाड़ क्षेत्र से माओवादियों को नेस्तानाबूत करने का संकल्प लेकर पुलिस द्वारा चलाये जा रहे ऑपरेशन में इस क्षेत्र के गांवों में बसने वाले ग्रामीण दोनों तरफ से पीस रहे हैं. गांवों में रहने वाले आदिम जनजाति के लोगों से जहां पुलिस विभिन्न तरह से नक्सलियों के बारे में पूछताछ करती रहती हैं, तो दूसरी तरफ पुलिसिया गतिविधि की जानकारी के लिए इन्हीं ग्रामीणों से नक्सली भी पूछताछ करते हैं. ऐसे में ग्रामीण अपने आप में असहज महसूस करते हैं.
ग्रामीण बताते हैं कि इस तरह की समस्याओं से उन्हें अक्सर गुजरना पड़ता है. यही वजह है कि ग्रामीण नक्सली और पुलिस दोनों के ही विषय में किसी तरह की जानकारी बताने से बचने का प्रयास करते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि इन क्षेत्रों में नक्सलियों का गढ़ है. उन्हें ज़रा भी शक हुआ तो माओवादी से उन्हें खतरा हो सकता है. ऐसे में पुलिस भी क्या करेगी. दबी जुबान ग्रामीण बताते हैं कि हमारा कान तो खुला रहता है. लेकिन मुंह और आंख बंद रहता है. इस तरह की परिस्थिति में उन्हें दोनों तरफ से प्रताड़ना को सहन करना पड़ता है.
मोबाइल के उपयोग से परहेज कर रहे हैं माओवादी
बीड़ी पत्ता के मौसम आते ही गढ़वा जिले के रमकंडा व भंडरिया थाना क्षेत्र से लेवी की उगाही शुरू करने के साथ ही माओवादियों ने हिंसक घटना को अंजाम देकर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है. लेकिन विभिन्न विकास कार्यों से लेवी की उगाही के लिए माओवादी अब पुरानी तकनीक की ओर लौटने की रणनीति बना रहे हैं. जानकारी के अनुसार माओवादी विकास कार्यों से लेवी वसूलने के लिए मोबाइल फोन की जगह पुरानी तकनीक लेटरपैड का उपयोग करने की तैयारी में है. लेवी के लिए मोबाइल से हुई बातचीत के बाद इस मोबाइल नंबर के पुलिस तक पहुंचने से उसे ट्रेस किया जाता था. इसके आधार पर पुलिस माओवादियों के ठिकाने तक पहुंचने में सफल हो जाती थी. इसके कारण ही माओवादी फिर से लेटरपैड के जरिये लेवी वसूलने की तैयारी कर रहा है.
सुरक्षित जोन को बचाने में जुटे हैं माओवादी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस द्वारा चलाये जा रहे बूढ़ा पहाड़ ऑपरेशन को जवाब देने के लिए माओवादियों की ओर से जहां विश्वनाथजी अपनी एक टीम के साथ मोर्चा संभाल रखा है. वहीं दूसरी तरफ माओवादी के उदयजी अपनी एक अलग टुकड़ी लेकर जवानों को रोकने में लगी हुई है. सूत्र बताते हैं कि बुढ़ा पहाड़ स्थित अपने जोन को बचाने में माओवादियों ने पुलिस से मुठभेड़ व ब्लास्ट सहित बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए अपनी पांच टीमें लगा रखी हैं. इनका सामना अक्सर पुलिस के साथ होता रहा है. इसके साथ ही माओवादियों के गुरिल्ला नक्सली की कड़ी सुरक्षा में माओवादी के बड़े नेता सुधाकरण व उसकी पत्नी जया भी बूढ़ा पहाड़ में शरण लिए हुए है. सूत्र बताते हैं कि माओवादियों ने अपनी सुरक्षा को लेकर पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विदेशों में निर्मित हाई डेफिनेशन कैमरे पहाड़ी क्षेत्र के ऊंचे पेड़ों पर लगा रखा है. इससे पहाड़ पर बनाये गये अपने सुव्यवस्थित घर से कंट्रोल किया जाता है.

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