13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फिल्म ”डैडी” : बाप-बेटी के रिश्ते की एक भावनात्मक दास्तां

रांची : किरदार बदले हुए थे. स्थान बदला हुआ था. यहां तक की डायरेक्टर भी. पर इन सबके बाद भी एक बात जो नहीं बदली थी वह थी कहानी की रूह. जी हां, हम बात कर रहे हैं बाप-बेटी के रिश्ते की एक भावनात्मक दास्तां को बताती फिल्म ‘डैडी’ के नाट्य रूपांतरण की. इस फिल्म […]

रांची : किरदार बदले हुए थे. स्थान बदला हुआ था. यहां तक की डायरेक्टर भी. पर इन सबके बाद भी एक बात जो नहीं बदली थी वह थी कहानी की रूह. जी हां, हम बात कर रहे हैं बाप-बेटी के रिश्ते की एक भावनात्मक दास्तां को बताती फिल्म ‘डैडी’ के नाट्य रूपांतरण की. इस फिल्म को आज से तकरीबन ढाई दशक पहले सेल्यूलॉयड के पर्दे पर फिल्म निर्माता महेश भट्ट ने उतारा था. इसके नाट्य रूपांतरण का मंचन रविवार को रिम्स ऑडिटोरियम में महेश भट्ट और पूजा भट्ट की मौजूदगी में किया गया. कभी पिता के रूप में अनुपम खेर ने जिस तरह की भूमिका अदा की थी लगभग वैसी ही संजीदगी रंगकर्मी इमरान जाहिद के बतौर पिता के परफॉरमेंस में देखने को मिली. वहीं बेटी के रूप में नवोदित कलाकार चेतना ध्यानी ने किरदार के साथ पूरा न्याय किया. इसे दिनेश गौतम ने निर्देशित किया.

रिम्स ऑडिटोरियम में फिल्म डैडी का नाट्य रूपांतरण
नये रूप में डैडी ने दी दोबारा दस्तक

डैडी की कहानी को नाटक के रूप में ऐसा नहीं है कि रांची में पहली बार मंचित किया गया. इससे पहले चंडीगढ़ व दिल्ली में भी जिंदा किरदारों ने दर्शकों की रूह तक इसके माध्यम से दस्तक दी है. इसे महज नाटक नहीं समझना चाहिए, बल्कि यह हमारे बीच का दुर्भाग्य है, जिसे महेश भट्ट ने कहानी की शक्ल दी है. कहानी दो अभागे किरदार की है. इसमें एक बाप है और दूसरा किरदार बेटी. बेटी जिसका नाम पूजा है. पिता अभागा इसलिए कि वह अपनी बेटी से मिल नहीं पाता.

16 साल की पूजा अभागी इसलिए कि उसके पिता जिंदा हैं फिर भी जवानी की दहलीज तक वह एक अनाथ की मानिंद अपनी जिंदगी जीती है, तो सिर्फ इसलिए कि उसके नाना के बकौल पूजा के पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं. मंच के सामने बैठे दर्शकों को यह कहानी तब झकझोरती है, जब जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी पूजा को अनजान फोन कॉल्स आने शुरू होते हैं जिसका संवाद महज ‘आइ लव यू’ तक सिमटा होता है. फोन पर पूजा को ‘आइ लव यू’कहने वाला कोई और नहीं बल्कि उसका पिता ही होता है. यह बात पूजा के नाना कान्ता प्रसाद को लगती है, तो उनके इशारे पर फोन करनेवाले शख्स के साथ मारपीट की जाती है.

कहानी उस वक्त एक नया मोड़ लेती है जब पूजा के साथ बदसलूकी की घटना सामने आती है और उसे बचाने उसका बाप सामने आ जाता है. मैले-कुचैले लिबास में खड़ा एक शरीर, जो शराब के नशे में धुत है, लेकिन उसे अपनी बेटी से प्यार है. पूजा को पहली बार उसके पिता के जिंदा और इस हालत में होने का पता चलता है. यहीं से शुरू होती है बाप-बेटी के रिश्ते की एक भावनात्मक दास्तान.

पिता की बेबसी व बेटी की जिद
एक घंटे से अधिक समय के इस नाट्य रूपांतरण में एक बेटी की जिद दिखती है, जो अपने पिता को वापस उनकी जिंदगी लौटाने में लगी है. वहीं हर एक संवाद में पिता की बेबसी भी दिखती है. शराब की लत में बर्बाद हो चुके पिता को पूजा तमाम कसमें देकर उबरने को कहती है, तो वह(पूजा का पिता) कहता है कि मैं तुमसे ऐसा कोई वादा नहीं कर सकता, जिसे मैं पूरा ही नहीं कर पाऊं. तो उसमें लत में बर्बाद हो चुके पिता का खोता आत्मविश्वास सोचने पर विवश कर देता है. पूरे नाटक में लगभग एक दर्जन पात्र हैं. इस आयोजन का प्रभात खबर प्रिंट मीडिया, रेडियो धूम रेडियो पार्टनर था. वहीं झारखंड सरकार का पर्यटन विभाग भी प्रायोजक की भूमिका में रहा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें