नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश के पुत्र सहित दो वकीलों की इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए शीर्ष अदालत के कोलेजियम द्वारा की गयी सिफारिश को केंद्र सरकार ने दूसरी बार लौटा दिया है.
सरकार ने दोनों वकीलों के खिलाफ शिकायत का हवाला देते हुए उनके नाम लौटाये हैं. इन दोनों वकीलों के नाम मोहम्मद मंसूर और बशारत अली खान हैं. मंसूर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश दिवंगत सगीर अहमद के बेटे हैं. न्यायमूर्ति अहमद ने जम्मू-कश्मीर के विशेष संदर्भ में केंद्र-राज्य संबंधों पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से गठित कार्य समूह की अध्यक्षता की थी. मोदी सरकार इससे पहले भी एक बार शिकायतों का हवाला देते हुए मंसूर और खान के नाम की सिफारिश करनेवाली फाइल लौटा चुकी है. लेकिन, कोलेजियम ने उनके खिलाफ शिकायतों को ‘अगंभीर’ बताते हुए अपनी सिफारिश दोहरायी थी. पिछले महीने सरकार ने मंसूर और खान के नाम की सिफारिशवाली फाइल लौटाते हुए उनके नाम पर फिर से विचार करने को कहा था. करीब ढाई साल तक फाइल को लंबित रखने के बाद सरकार ने पिछले महीने फाइल लौटायी थी.
शुक्रवार को न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर के सेवानिवृत होने के बाद पांच सदस्यीय कोलेजियम का पुनर्गठन करना होगा. उच्चतम न्यायालय के शीर्ष पांच न्यायाधीश कोलेजियम का हिस्सा होते हैं. नये सदस्य से युक्त कोलेजियम को इन दो नामों पर फैसला करना होगा. दोनों वकील इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वरिष्ठ स्थायी वकील के तौर पर नियमित तौर पर पेश हो रहे हैं. इस बीच, सरकार ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए वकील नजीर अहमद बेग के नाम की सिफारिश लौटाने का भी फैसला किया है. तीन अन्य नामों वसीम सादिक नरगल, सिंधु शर्मा और जिला जज राशिद अली डार पर कानून मंत्रालय अभी विचार कर रहा है. सरकार ने इस बाबत अभी कुछ नहीं कहा है कि बेग का नाम कोलेजियम को क्यों लौटाया गया.