21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एजी ऑफिस को नहीं दे पा रहे 41.5 करोड़ का हिसाब

भागलपुर : सरकारी स्कूलों में फर्जी नामांकन के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र बनाने में धांधली का नया मामला सामने आया है. भागलपुर जिले के 105 सरकारी स्कूलों ने 41.5 करोड़ रुपये खर्च कर इसका हिसाब-किताब अबतक सरकार को नहीं दिया है. वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 के 40 करोड़ रुपये का हिसाब बकाया है. वहीं […]

भागलपुर : सरकारी स्कूलों में फर्जी नामांकन के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र बनाने में धांधली का नया मामला सामने आया है. भागलपुर जिले के 105 सरकारी स्कूलों ने 41.5 करोड़ रुपये खर्च कर इसका हिसाब-किताब अबतक सरकार को नहीं दिया है. वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 के 40 करोड़ रुपये का हिसाब बकाया है. वहीं करीब 1.5 करोड़ की राशि 2011 से 2015 के बीच के हैं. दरअसल, जिले के सरकारी स्कूलों में 68 हजार फर्जी नामांकन लेकर करीब 72 करोड़ का गबन करने के बाद स्कूल प्रबंधन अन्य योजनाओं की राशि को घालमेल करने के फिराक में हैं. इतना ही नहीं स्कूलों ने उल्टे सीधे उपयोगिता प्रमाण पत्र बनाकर एजी ऑफिस को भेज भी दिया.

विभागीय सूत्रों के अनुसार एजी ऑफिस पटना ने स्कूलों द्वारा जमा किये गये कई उपयोगिता प्रमाण पत्र को यह कहकर लौटा दिया है कि कई कागजात में प्रधानाध्यापक और निकासी और व्ययन पदाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं. इधर, यू डायस रिपोर्ट 2017 ने 68 हजार फर्जी नामांकन की पुष्टि के बाद मामले के खुलासा होने के डर से दोबारा स्कूल के प्रधानाध्यापक उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं जमा कर रहे हैं. इधर, जिला शिक्षा कार्यालय ने हिसाब नहीं देने वाले स्कूलों को जून माह तक का आखिरी मौका दिया है. बता दें कि स्कूलों द्वारा छात्रवृत्ति, पोशाक, मध्याह्न भोजन समेत अन्य योजनाओं में पैसे खर्च कर उपयोगिता प्रमाण पत्र एजी ऑफिस पटना को नहीं दिया गया है.
डीइओ मधुसूदन पासवान का कहना है कि उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने वाले स्कूलों के पास अंतिम मौका है, इसके बाद कार्रवाई की जायेगी. सोमवार से स्कूल खुल रहे हैं, जून माह के अंत तक उपयोगिता प्रमाण पत्र जरूर जमा कर दें.
फर्जी नामांकन के बाद ऑनलाइन एमडीएम रिपोर्ट में फंसे स्कूल
आधार कार्ड और ऑनलाइन बिलिंग की प्रक्रिया अपनाने के बाद फर्जी नामांकन का खुलासा यू डायस रिपोर्ट नेे कर दिया. दरअसल, ग्रामीणों के दबाव में प्राइवेट स्कूल के छात्रों को सरकारी स्कूलों में नामांकन किया गया. स्कूलों ने योजनाओं का लाभ देने के लिए फर्जी नामांकन कर 75 प्रतिशत उपस्थिति बना दी. लेकिन मध्याह्न भोजन योजना की रिपोर्ट रोजाना पटना मुख्यालय को भेजना पड़ता है. रिपोर्ट बनाने में प्रधानाध्यापकों ने जमकर धांधली की है. लेकिन एजी ऑफिस की पैनी निगाह से ये बच नहीं पाये. एजी ऑफिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि खर्च की गयी राशि का हिसाब नहीं दे पा रहे स्कूलों ने फर्जी नामांकन लेकर पैसे का गबन किया है. फर्जी नामांकन दिखाकर खर्च की गयी राशि का समायोजन करने में स्कूल प्रबंधन ने भयंकर गलतियां की है.
2011 से अबतक के बिल अटके
योजना लेखा कार्यालय से जानकारी मिली है कि स्कूलों का बिल 2011 से अबतक अटका हुआ है. कई शिक्षक रिटायर हो गये, कुछ की मौत हो गयी और कई प्रधानाध्यापकों ने ट्रांसफर करा लिया है. पुरानी गड़बड़ी का खामियाजा वर्तमान समय में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. हिसाब नहीं देने वाले स्कूलों के प्रधानाध्यापकों का कहना है कि गड़बड़ी करने वाले शिक्षकों ने दूसरी जगह ट्रांसफर करवा लिया है, अब गड़बड़ी वाले कागज पर हम हस्ताक्षर क्यों करें.
शैक्षणिक सत्र 2017-18 की यू डायस रिपोर्ट के अनुसार जिले के सरकारी स्कूलों में 68 हजार फर्जी नामांकन की आंच एजी ऑफिस पटना तक पहुंच गयी है. फर्जीवाड़े के बाद स्कूलों में खर्च की गयी राशि का सही सही हिसाब नहीं देने पर एजी ऑफिस ने पूर्व पदाधिकारी, स्कूलों के प्रधानाध्यापक और निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की कार्यशैली पर सवाल उठाये हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें