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गोपालगंज : गायब 42400 कॉपियों का मामला, पूछताछ में प्राचार्य का बढ़ा बीपी, कर्मी की भूमिका संदिग्ध

गायब 42400 कॉपियों का मामला : पांच दिन की जांच में 28 लोगों से पूछताछ, जांच अधिकारी अब तक खाली हाथ गोपालगंज/पटना : एसएस बालिका प्लस टू स्कूल से 42400 कॉपियों के गायब होने का खुलासा होने के बाद पुलिस पिछले पांच दिनों से एसआईटी के साथ जांच कर रही है. अब तक 28 लोगों […]

गायब 42400 कॉपियों का मामला : पांच दिन की जांच में 28 लोगों से पूछताछ, जांच अधिकारी अब तक खाली हाथ
गोपालगंज/पटना : एसएस बालिका प्लस टू स्कूल से 42400 कॉपियों के गायब होने का खुलासा होने के बाद पुलिस पिछले पांच दिनों से एसआईटी के साथ जांच कर रही है. अब तक 28 लोगों से पूछताछ हो चुकी है. जांच अधिकारियों का हाथ अब तक खाली हैं. पुलिस फिलहाल गुत्थी सुलझाने में जुटी है.
एसआईटी एसएस बालिका के एक शिक्षकेतर कर्मी की भूमिका को खंगाल रही है. उधर प्राचार्य प्रमोद कुमार श्रीवास्तव का बीपी फिर बढ़ गया. उनसे कई राउंड पूछताछ हो चुकी है जबकि, उनके द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में एक शिक्षकेतर कर्मी के संलिप्त होने की बात कही गयी है. कर्मी कौन हैं. इसको लेकर पूछताछ की जा रही है. संदिग्ध शिक्षकेतर कर्मी के नेटवर्क को भी खंगाला जा रहा है.
वैसे शुक्रवार को स्कूल के प्रधान सहायक व अन्य कर्मियों से सब इंस्पेक्टर ब्रज भूषण एवं राजेश सिंह की टीम ने तीन घंटे तक पूछताछ की. पुलिस के हाथ अहम सुराग लगने का दावा सूत्र कर रहे हैं. कॉपी गायब करने में स्कूल के कर्मियों की मुख्य भूमिका बतायी जा रही है.
कॉपियों के मूल्यांकन के दौरान बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है. 42400 कॉपियों को किस वाहन से ले जाया गया इसका भी पुलिस को अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है. प्राचार्य की प्राथमिकी के आधार पर भी पुलिस जांच कर रही है. फर्जीवाड़े को पचाने के लिए कॉपियों को गायब करने की चर्चा चहुंओर हैं. वैसे पुलिस के अधिकारी फिलहाल कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं.
चार माह बाद प्राचार्य को होना है रिटायर : पुलिस पूछताछ के लिए हिरासत में रखे गये प्राचार्य प्रमोद श्रीवास्तव की महज चार माह की सेवा बची थी.
उन्हें अक्तूबर में रिटायर्ड होना था. इससे पहले डीएलएड में कदाचार के आरोप में उन्हें निलंबित किया गया है. उन पर अब तक किसी तरह की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है और न ही अधिकारियों की तरफ से कोई आदेश आया है कि उन पर कार्रवाई की जाये. पुलिस के अधिकारी ने जांच में सहयोग के नाम पर उन्हें हिरासत में रखा है.
कॉपियों के बिना कैसे होगी स्क्रूटनी
मैट्रिक परीक्षा की 42400 कॉपियों के अब तक बरामद नहीं होने से बिहार शिक्षा समिति के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया हो गया हैं. कॉपियां नहीं मिली तो भले ही रिजल्ट पर फर्क नहीं पड़े, लेकिन किसी छात्र के रिजल्ट में अगर त्रुटि हो तो उसकी स्क्रूटनी कैसे होगी. त्रुटियों का सुधार कैसे कराया जायेगा.
पांच दिनों की जांच के बाद जांच एजेंसियों को कॉपियों का सुराग नहीं मिला है. कॉपियों के अभाव में स्क्रूटनी करना संभव नहीं होगा. सैकड़ों छात्रों के भविष्य पर ग्रहण लगने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता.
प्राचार्य से मिलने पर लगाया प्रतिबंध
पुलिस हिरासत में 19 जून से एसएस बालिका प्लस टू स्कूल के प्राचार्य प्रमोद कुमार श्रीवास्तव हैं. पटना से गोपालगंज उन्हें 20 जून को लाया गया.
उसके बाद प्राचार्य से मिलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. प्राचार्य के परिजनों ने कहा कि उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा. कहां रखा गया है इसकी भी जानकारी नहीं दी जा रही. इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है. परिजनों की मानें तो पुलिस ने प्राचार्य से दोबारा पूछताछ की है. उसके बाद नगर थाने से कहां ले जाया गया कोई नहीं बता रहा और नहीं मेरे वकील को जानकारी दी जा रही.
बोर्ड भी कम दोषी नहीं: डॉ अनुजा
एसएस बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से मूल्यांकन के बाद कॉपियों के गायब होने के मामले में बोर्ड भी कम दोषी नहीं है. बोर्ड की तरफ से सुरक्षा से संबंधी कोई आदेश मूल्याकंन केंद्र के प्रभारी को क्यों नहीं दिया गया. कमला राय कॉलेज की प्रो डॉ अनुजा सिंह ने गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि कॉपी गायब होने के मामले में जितनी जिम्मेदारी प्राचार्य की है, उतनी ही जिम्मेदारी जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग की है.
वर्षों से मूल्यांकन केंद्रों पर पड़ी हैं जंची कॉपियां
पटना : मैट्रिक परीक्षा की कॉपियां हों या इंटरमीडिएट की, उनके रखरखाव व सुरक्षा को लेकर बिहार बोर्ड कितना लापरवाह है, इसका उदाहरण राजधानी में स्थित मूल्यांकन केंद्रों पर मिल जाता है.
इन केंद्रों पर पिछले तीन-चार वर्षों की मूल्यांकित कॉपियां पड़ी हुई हैं, लेकिन बोर्ड ने अब तक इन केंद्रों से कॉपियां नहीं मंगायी हैं. जबकि नियमानुसार इन कॉपियों की देखरेख की जिम्मेदारी बोर्ड की है. राजधानी पटना ही नहीं, बल्कि राज्य भर में बने मूल्यांकन केंद्रों पर कमोबेश यह स्थिति देखी जा सकती है.
जानकारों के मुताबिक बोर्ड अगर कॉपियों की सुरक्षा के संदर्भ में सतर्क होता तो गोपालगंज के एक मूल्यांकन केंद्र से कॉपियां गायब होने का मामला सामने नहीं आता. जानकार बताते हैं कि बोर्ड कार्यालय परिसर में मूल्यांकित कॉपियों को रखने के लिए तीन मंजिला भवन बना हुआ है, लेकिन वर्ष 2015 के बाद से ही कॉपियों को मूल्यांकन केंद्र पर छोड़ दिया जाता है.
इससे संबंधित स्कूल (मूल्यांकन केंद्र) के प्रधानाचार्य हमेशा सतर्क रहते हैं. क्योंकि कॉपियां रखे होने के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. इसे लेकर संबंधित प्रधानाचार्यों ने कई बार बोर्ड से कॉपियां हटवाने के लिए आग्रह किया, लेकिन स्थिति जस-की-तस बनी हुई है. इसका एक उदाहरण है बीएन कॉलेजिएट, जहां वर्ष 2015 से ही कॉपियां पड़ी हुई हैं.
सुरक्षा मामले में जिम्मेदारी से भागता बोर्ड
कॉपी रखने को बोर्ड परिसर में है तीन मंजिला भवन, फिर भी नहीं मंगायी जाती हैं उत्तरपुस्तिकाएं
क्लास रूम की कमी के बावजूद कॉपियों को सहेज रहे स्कूल
कहीं सड़ रहीं हैं कॉपियां
मूल्यांकन के बाद संबंधित स्कूलों (केंद्र) में कॉपियों को रूम में रख दिया गया है. कहीं-कहीं एक जगह पर रखे रहने के कारण कॉपियां सड़ रही हैं, तो कहीं-कहीं दीमक भी चाट रहे हैं. स्कूलों में आधारभूत संरचना की कमी के कारण किसी तरह कॉपियों को रखा गया है, ताकि कॉपियों की भी हिफाजत हो सके और क्लास व लैब का भी संचालन किया जा सके.
बोर्ड मूल्यांकन केंद्र पर ही कॉपियों को छोड़ देता है. प्रधानाचार्यों के बार-बार आग्रह पर भी बोर्ड उसे वापस नहीं मंगवाता है. ऐसे में प्रधानाचार्यों को जिम्मेदार ठहराने के बजाय, बोर्ड को सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
अभिषेक कुमार, प्रदेश प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
कॉपियों की जिम्मेदारी किसकी: बोर्ड की ओर से कॉपियों को उन स्कूलों में ही छोड़ दिया जाता है, जहां मूल्यांकन केंद्र बनाया जाता है. स्कूलों में न तो रात्रि प्रहरी की व्यवस्था है और न ही सुरक्षा की. प्रधानाचार्यों की मानें, तो ऐसे में कॉपियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कौन होगा.
कॉपी गायब होने से आक्रोशित छात्रों ने किया विरोध-प्रदर्शन
पटना : मैट्रिक परीक्षा की करीब 42,400 कॉपियां गायब होने व इंटरमीडिएट के रिजल्ट में गड़बड़ी से नाराज छात्रों ने शुक्रवार को एआईएसएफ के बैनर तले इंटर काउंसिल व बिहार बोर्ड के समक्ष विरोध-प्रदर्शन व हंगामा किया.
कॉपी गायब होने व गड़बडी के मामले को लेकर वे बोर्ड के अध्यक्ष से मिलने की मांग कर रहे थे. इस दिशा में कोई पहल नहीं होते देख छात्र उग्र हो गये. बोर्ड कार्यालय का मेन गेट बलपूर्वक तोड़ने का प्रयास किया. इसी बीच कुछ छात्रों ने गेट फांद कर कार्यालय में घुसने की कोशिश भी की. इसके बाद वहां मौजूद पुलिस ने हस्तक्षेप कर छात्रों को नियंत्रित किया. बोर्ड सचिव अनूप सिन्हा से वार्ता के पश्चात पुलिस छात्रों को आयुक्त कार्यालय लेकर गयी, जहां बोर्ड अध्यक्ष सह आयुक्त आनंद किशोर से मिल कर छात्रों ने उन्हें अपनी मांगों से अवगत कराया.
जुलूस की शक्ल में पहुंचे बोर्ड ऑफिस
दोपहर 12:00 बजे छात्र इंटर काउंसिल गेट पर पहुंचे. वहां प्रदर्शन व हंगामा किया. इस दौरान कुछ छात्रों ने काउंसिल गेट को भी हिलाने का प्रयास किया. बोर्ड अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री के खिलाफ नारेबाजी भी की.
स्कूल में इससे पहले कई महिला शिक्षक प्राचार्य रहीं. उनको अपने प्रभाव में लेकर कुछ कर्मी मनमानी कर रहे थे. जब प्रमोद कुमार श्रीवास्तव प्राचार्य बनें तो इस मनमानी पर रोक लगायी.
प्राचार्य के परिजन बताते हैं कि 120 सीट के बदले 200 छात्रों का नामांकन किया गया था. इस पर उन्होंने नाराजगी जतायी थी. उसी समय से उन पर टेढ़ी नजर थी. एक शिक्षकेतर कर्मी ने तो डेढ़ महीना मेडिकल में रहने की बात कह दी. आखिर मेडिकल में जाने के पीछे क्या राज था. पुलिस धीरे-धीरे पूरे प्रकरण को सामने ला सकती है. शिक्षकेतर कर्मी की कार्यों की जांच हो तो सबकुछ पानी की तरह साफ हो जायेगा. वे दबंग हैं इसलिए प्राचार्य ने उनके भय से नामजद नहीं किया.

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