नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो चुका है और देश के कुछ सबसे चर्चित अधिकारियों को सूबे में बहाल किया गया है. छत्तीसगढ़ के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम को राज्यपाल का मुख्य सचिव जबकि पूर्व आईपीएस अधिकारी विजय कुमार को राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया है. सुब्रमण्यम की बात करें तो उनकी गिनती देश के काबिल अधिकारियों में होती है. उन्हें नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति बहाल करने के लिए खास तौर पर जाना जाता है. यदि आपको याद हो तो कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन को अक्टूबर 2004 में एक मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया था, विजय कुमार ने ही उस टीम को लीड किया था.
बीवीआर सुब्रमण्यम का बारे में जानें
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खास अधिकारियों में भी सुब्रमण्यम का नाम शामिल था. यही नहीं उन्हें यूपीए-1 में मनमोहन ने अपना निजी सविच नियुक्त किया था. मनमोहन सिंह ने जब यूपीए-2 में दूसरी बार पीएम पद की कमान संभाली तो उस वक्त भी उन्हें 2012 में फिर से संयुक्त सचिव के पद पर बहाल किया गया. तीन साल तक वर्ल्ड बैंक के साथ सफलतापूर्वक काम करने के बाद सुब्रमण्यम वापस लौटे तो एक बार फिर मनमोहन ने उन पर भरोसा दिखाने का काम किया और जॉइंट सेक्रेटरी का पद दिया. सुब्रमण्यम ने मोदी सरकार के साथ भी जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर काम किया और उसके बाद ही उनकी वापसी अपने काडर छत्तीसगढ़ में हुई. छत्तीसगढ़ के गृह सचिव के पद पर रहते हुए उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सराहनीय काम किया. खास कर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में उन्होंने विकास की बयार बहायी. बस्तर इलाके में बीवीआर सुब्रमण्यम ने मुख्य सचिव रहते हुए सही रणनीति और इच्छाशक्ति के जरिए 700 किमी. लंबी सड़क लाइन बनाने में वे सफल रहे. इतना ही नहीं , 2017 में इस इलाके में 300 नक्सली मारे गये और 1000 से अधिक ने सरेंडर किया.
जानें विजय कुमार को
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन राव के सलाहकार नियुक्त किये गये पूर्व आईपीएस अधिकारी विजय कुमार कुमार जंगल में उग्रवाद निरोधक अभियान चलाने में अच्छी पकड़ रखते हैं. तमिलनाडु काडर के 1975 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे कुमार 1998-2001 में बीएसएफ के महानिरीक्षक (आईजी) के तौर पर कश्मीर घाटी में अपनी सेवा दे चुके हैं. उस वक्त बीएसएफ घाटी में आतंकवाद निरोधक अभियानों में काफी सक्रिय नजर आया था. साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 75 जवानों के शहीद होने के बाद कुमार को इस बल का डीजी नियुक्त किया गया था जिसके बाद इलाके में नक्सली गतिविधियों में कमी आयी थी. कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन को अक्टूबर 2004 में एक मुठभेड़ में मारा गया था, विजय कुमार ने ही उस टीम का नेतृत्व किया था.