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भोपाल की योगिता की योग्यता सबसे अलग, अपने आंखों में पाल रही थी बच्चों के सपने

कोलकाता : किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि जिंदगी जीने का तरीका उन्हीं लोगों को आया है, जिन्होंने अपनी जिंदगी में हर जगह धक्का खाया है. जमाया है सर्द रातों में खुद को, तपती धूप में खुद को तपाया है. वही हुए हैं कामयाब जिंदगी में, उन्होंने ही इतिहास रचाया है. ऐसी ही […]

कोलकाता : किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि जिंदगी जीने का तरीका उन्हीं लोगों को आया है, जिन्होंने अपनी जिंदगी में हर जगह धक्का खाया है. जमाया है सर्द रातों में खुद को, तपती धूप में खुद को तपाया है. वही हुए हैं कामयाब जिंदगी में, उन्होंने ही इतिहास रचाया है. ऐसी ही संघर्षरत जिंदगी व्यतीत करनेवालीं भोपाल की योगिता रघुवंशी हैं, जो आज भारत की पहली महिला भारी ट्रक चालक के रूप में जानी जाती हैं. वह गत 15 वर्षों से भारी वाहन (छह चक्के वाली टाटा 1612) चलाकर जिंदगी बीता रही हैं. उन्होंने भारत की महिलाओं के लिए एक इतिहास रचा. महिलाओं के लिए कामयाबी की मिसाल बनीं.
क्या है कहानी : 13 अगस्त 1970 में योगिता रघुवंशी का जन्म महाराष्ट्र के नंदुरबार इलाके में हुआ. पिता विजय सिंह रघुवंशी और माता वंदना रघुवंशी फिलहाल नंदुरबार में ही रहते हैं. पिता रिटायर्ड हैं. योगिता बचपन से ही एयर होस्टेस बनना चाहती थीं. लेकिन बी कॉम की पढ़ाई पूरी हुई और फिर उनकी शादी भोपाल के वकील राजबहादुर रघुवंशी से हुई. शादी के बाद सपना, सपना ही बनकर रह गया. पति वकील होने के कारण वह भी एलएलबी की. शादी के बाद एक बेटी और एक बेटा हुआ. दोनों बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाना शुरू की. फरवरी 2003 में योगिता के पति राजबहादुर रघुवंशी बाइक से जा रहे थे. उसी दौरान एक बस के धक्के से उनकी मौत हो गयी. हादसे में पति की मौत के बाद सदमे में उबरने में योगिता को कुछ समय लग गया, लेकिन उसने जिंदगी से हार नहीं मानी.
उस समय उसका बेटा यसवीन केजी में पढ़ रहा था और बेटी याशिका कक्षा चार में पढ़ रही थी. उसने अपने अरमानों को कुचल दिया और अपने दोनों बच्चों की जिंदगी उनके भविष्य को निखारने के लिए उन्होंने कठिन मेहनत शुरू की. उसी साल सितंबर से वह ट्रक चलाने लगीं. पहले दो माह ट्रेनिंग में लग गये. फिर वह धीरे-धीरे कमाने लगीं और बच्चों को उसी रफ्तार में पढ़ाना शुरू की. बेटे को बीबीए और बेटी को भोपाल के ही ओरिएंटल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से पढ़ाकर इंजीनियर बनायी.
योगिता का कहना है कि पति की मौत के बाद सब कुछ असहाय लगने लगा था. उस समय मेरी आंखों में सिर्फ मेरे बच्चों के सपने दिख रहे थे. मेरे सामने सिर्फ बच्चों के भविष्य बनाने की जिद थी. बेटे को डॉक्टर और बेटी को इंजीनियर बनाने की इच्छा दिल में पाल रखी थी. उन दोनों की जिंदगी के लिए भारी ट्रक चलाने लगीं.
योगिता रघुवंशी का कहना है कि वह जज्बे और जुनून के साथ काम करती हैं. आज के समाज के बच्चों और महिलाओं सभी को सिर्फ यही बताना चाहती हूं कि वे अपने जीवन में कभी भी किसी भी पेशे को छोटा नहीं समझे, बल्कि जज्बे और जुनून के साथ काम करें. एक दिन सफलता जरूर मिलेगी.
योगिता को सम्मानित करेगा सेवा केंद्र कलकत्ता
कोलकाता. योगिता रघुवंशी के कारनामे व जज्बे को देखते हुए सेवा केंद्र कलकत्ता की ओर से उसे अवार्ड देकर सम्मानित किया जायेगा. सेवा केंद्र कलकत्ता के निदेशक डॉ फ्रेंकलीन मिनेजस ने कहा कि संस्था की ओर से गुरुवार को ट्रक चालकों को लेकर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है. इस दौरान ट्रक चालकों को सम्मानित किया जायेगा. इसमें पहली महिला भारी ट्रक चालक योगिता को मुख्य रूप से सम्मानित किया जायेगा.

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