नयी दिल्ली : तीन साल पहले जब जम्मू कश्मीर में बेमेल मानी जाने वाली जोड़ी पीडीपी व बीजेपी की सरकार बन रही थी तो राम माधव चर्चा में आये थे. और, आज जब महबूबा सरकार भाजपा ने गिराई तो उसका एलान करने पार्टी ने राम माधव को ही भेजा. राम माधव भाजपा के जम्मू कश्मीर मामले के प्रभारी हैं और पार्टी की ओर से वही इस सबसे जटिल राज्य को हैंडल करते रहे हैं. हालांकि राम माधव का राजनीतिक कैरियर बहुत लंबा नहीं है. वे चार साल पहले केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने व संगठन के बहुत सारे लोगों के सरकार में शामिल हो जाने की परिस्थिति में पितृ संगठन आरएसएस द्वारा पार्टी में भेजे गये थे. वे जुलाई 2014 में संघ से भाजपा में आये.
राम माधव मूलत: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रवक्ता हैं. 53 वर्षीय राम माधव युवावस्था मेंही आरएसएस में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले चेहरों में शामिल हो गये थे और उनकी योग्यता के कारण ही आरएसएस ने उन्हें प्रवक्ता की जिम्मेवारी दी थी. उनसे पहले माधव गोविंद वैद्य यह भूमिका निभाते रहे थे. कर्नाटक के ईस्ट गोदावरी जिले के रहने वाले राम माधव ने एकेडमिक कैरियर भी विविधताओं का उसी तरह अद्भुत संगम रहा है जैसे उनके सार्वजनिक जीवन के फैसले. उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी सेपॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की है और इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी हासिल किया है.इसीतरह यह मुखर हिंदुत्ववादी चेहरा भाजपा व पीडीपी का पॉलिटिकल कांबिनेशन तैयार कर लेता है, जिसे सालों भाजपा नम्र अलगाववादी बताती रही थी.
राम माधव मात्र 17 साल की उम्र में 1981 में आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने थे. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश में भारतीय मूल के लोगों के बीच के भव्य भाषणआयोजन के भी शिल्पकार हैं, जिसे मोदी व बीजेपी की छवि चमकाने की कोशिश विपक्ष बताता रहा है. राम माधव विदेश मामलों में खासी रुचि रखते हैं और गहन अध्ययन करते हैं. उन्होंने कुछ किताबें भी लिखी है.
राम माधव ने आज बड़ी सफाई से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद व अलगावाद के लिए पीडीपी को जिम्मेवार बताया और कहा कि राष्ट्रहित में उनकी पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले रही है, लेकिन इस फैसले को लोकसभा चुनाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है.