नयी दिल्ली : जम्मू कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) का गंठबंधन टूट गया है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज दिल्ली में राज्य के सभी बड़े पार्टी नेताओं के साथ बैठक की, जिसके बाद भाजपा ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया.
इसके बाद भाजपा महासचिव राम माधव ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापसी का एेलान किया.
मुख्यमंत्रीमहबूबा मुफ्ती की सरकार से भाजपाद्वारा समर्थन वापस लेने के पीछे जो पांचबड़ीवजहें बतायी जा रही हैं, वो ये रहीं-
- रमजान में सीजफायर पर केंद्र और राज्य में मतभेद
- ऑपरेशन ऑलआउट पर राज्य सरकासर का असहयोगात्मक रवैया
- लोकसभा चुनाव 2019 में पीडीपी से रिश्ते पर बीजेपी को हो सकता था नुकसान
- पत्थरबाजों पर सख्त नहीं हुई महबूबा सरकार
- सेना के ऑपरेशन पर केंद्र और राज्य सरकार में मतभेद
दोनों पार्टियों में ऐसे पड़ी दरार
फौरी तौर पर यहफैसला जम्मू कश्मीर में संघर्ष विराम केंद्र द्वारा वापस लिये जाने के निर्णय के बाद लिया गया है. मालूम हो कि रविवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संघर्ष विराम का फैसला वापस लिया था. इससे पीडीपी नाराज थी और दोनों पार्टियों में दरार पड़ गयी थी. अमित शाह से आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सुबह भेंट की थी, जिसके बाद शाह ने जम्मू कश्मीर के भाजपा कोटे के मंत्रियोंऔर प्रमुख नेताओं से चर्चा की.
हुर्रियत से बातचीत पर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व राजी नहीं
मोटे तौर पर देखें, तो राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती हालत की वजह से भाजपा ने यह फैसला किया. रिपोर्ट्सके मुताबिक, पीडीपी चाहती थी कि सीजफायर को आगे बढ़ाया जाये और हुर्रियत से बातचीत हो. लेकिन भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इसकेलिएराजी नहीं था.
विकास कार्यों में भेदभाव
भाजपा महासचिव राम माधव ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा- पीडीपी के इरादों पर सवाल नहीं है, लेकिन राज्य सरकार विफल रही है. जम्मू और लद्दाख के विकास मेंभाजपा के मंत्रियों कीराह में रोड़े आते रहे. कई विभागों में काम के लिहाज से जम्मू और लद्दाख की जनता भेदभाव महसूस करती रही.
अब राज्यपाल शासन
राम माधव ने कहा- देश की अखंडता और सुरक्षा के व्यापक हितों को देखते हुए, कश्मीर को देश का अखंड हिस्सा मानते हुए भाजपा ने यह फैसला किया है और राज्य मेंराज्यपाल का शासन लागू कर हालात में सुधार किया जाए.
मालूम हो कि मौजूदा घटनाक्रम के बीच राज्यपाल एनएन वोहरा का कार्यकाल नयी नियुक्ति तक बढ़ा दिया गया है. गवर्नर का शासन आगामी 25 जून को पूरा होनेवाला था.
यहां यह जानना गौरतलब है कि तीन साल पहले यह सरकार बनी थी, उस समय खंडित जनादेश था. जम्मू इलाके में ज्यादातर सीटें भाजपा को, तो कश्मीर घाटी मेंअधिकतर सीटें पीडीपी को मिली थीं. चार महीने की कवायद के बाद दोनों दलों ने एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाकर सरकार बनाया था.