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आज बलिदान दिवस : खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली…

बचपन में हम सभी ने ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’ कविता जरूर पढ़ी होगी. आज उसी रानी लक्ष्मीबाई की 60 वीं पुण्यतिथि या यूं कहें कि उनका बलिदान दिवस है. रानी लक्ष्मीबाई का नाम स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में अमर है. लक्ष्मीबाई की वीरता और साहस की आज भी मिसाल दी […]

बचपन में हम सभी ने ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’ कविता जरूर पढ़ी होगी. आज उसी रानी लक्ष्मीबाई की 60 वीं पुण्यतिथि या यूं कहें कि उनका बलिदान दिवस है. रानी लक्ष्मीबाई का नाम स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में अमर है. लक्ष्मीबाई की वीरता और साहस की आज भी मिसाल दी जाती है.

स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली लक्ष्मीबाई को बहुत त्याग भी करना पड़ा था. लक्ष्मीबाई को पति राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत खराब होने के कारण पुत्र गोद लेना पड़ा जिसका नाम दामोदर रखा गया था. लेकिन ब्रिटिश सरकार उनके दत्तक पुत्र को वारिस मानने से इनकार कर रही थी जिसके कारण युद्ध हुआ.
लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए उनसे किसी भी तरह के समझौते से इनकार किया और झांसी को वापस लेने की कसम खा ली.
उन्हें कई बार देशद्रोहियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे डिगी नहीं और उन्हें टक्कर दी और हराया भी. अंग्रेजों के साथ युद्ध में उन्होंने बहुत बहादुरी से उनका मुकाबला किया, लेकिन अंग्रेजों की सेना बड़ी थी और लक्ष्मीबाई की छोटी इसलिए अंतत: उन्होंने बलिदान देना पड़ा.
रानी लक्ष्मीबाई के अद्‌भुत बलिदान और अदम्य वीरता की वजह से उन्हें खुद अंग्रेजों ने ही उन्हें भारतीय ‘जॉन ऑफ आर्क’ का नाम दिया था.

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