नयी दिल्ली/जम्मू : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अपने अभियान फिर शुरू करने की घोषणा की है. मंत्रालय ने रविवार को कहा कि भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अभियानों पर रमजान के महीने में लगायी गयी रोक को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार, जम्मू-कश्मीर में आतंक एवं हिंसा मुक्त माहौल बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है. केंद्र सरकार ने 17 मई को निर्णय लिया था कि रमजान के दौरान जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल आतंकियों के खिलाफ अभियान नहीं चलायेंगे. रमजान के दौरान बार-बार उकसावे के बावजूद संयम बरतने के लिए सरकार ने सुरक्षा बलों की सराहना की.
गृह मंत्री ने कहा कि इसकी पूरी उम्मीद थी कि इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने में सभी सहयोग करेंगे. इस दौरान सुरक्षा बलों ने उदाहरणीय संयम बरता, जबकि आतंकियों ने नागरिकों और सुरक्षा बलों पर अपने हमले जारी रखे, जिसमें कई लोगों की जान गयी और कई लोग घायल हुए. आतंकवाद के खिलाफ अभियान फिर शुरू किये जायेंगे. सिंह ने कहा कि सुरक्षा बलों को आतंकियों को हिंसा एवं हत्याओं से जुड़ी घटनाओं के अंजाम देने से रोकने के लिए सभी कदम उठाने का निर्देश दिया गया है.
रमजान में 50 आतंकी घटनाएं
अधिकारियों ने बताया कि इस साल 17 अप्रैल और 17 मई के बीच आतंकवाद की 18 घटनाएं हुई हैं और अभियान पर रोक के दौरान यह आंकड़ा 50 के ऊपर चला गया. अभियान पर रोक के दौरान आतंकियों ने एक सैनिक की जघन्य हत्या कर दी, उदारवादी रवैया अपनाने वाले आम नागरिकों पर हमले किये और आखिरकार जाने-माने पत्रकार शुजात बुखारी की गोली मारकर हत्या कर दी, जो शांति की एक सशक्त आवाज थे.
घाटी में स्टील की गोली का इस्तेमाल कर रहे आतंकवादी
जम्मू-कश्मीर में आतंकी एके-47 राइफल में स्टील बुलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये बुलेट बुलेट प्रूफ बंकरों को उड़ाने में सक्षम है. इस तरह की गोलियों का इस्तेमाल जैश-ए-मोहम्मद संगठन से जुड़े आतंकी कर रहे हैं. इस तरह की पहली घटना जनवरी में नये साल के मौके पर नजर में आयी थी, जब जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के लेथपुरा में सीआरपीएफ के शिविर पर आत्मघाती हमला किया था. इस घटना में सेना द्वारा उपलब्ध करायी गयी बुलेट प्रूफ ढाल के पीछे होने के बावजूद अर्धसैनिक बल के पांच में से एक कर्मी को गोली लग गयी थी. उक्त हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गये थे. जांच में यह बात सामने आयी कि आतंकियों द्वारा क्लाशनिकोव (एके) राइफल से चलायी गयी गोलियां स्टील से बनी थीं, जो बुलेट प्रूफ शील्ड में छेद करने में सक्षम हैं.