मुंबई : तेल के दाम में वृद्धि तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण कर संग्रह बेहतर रहने से राज्यों को चालू वित्त वर्ष में 37,426 कराड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता है. एक रिपोर्ट में यह कहा गया है . एसबीआई रिसर्च के अनुसार कुछ राज्यों को छोड़कर जीएसटी का कर राजस्व पर प्रभाव नगण्य है.
रिपोर्ट के अनुसार 24 राज्यों में से 16 के राजस्व में आपसी सहमति के आधार पर कर में निर्धारित न्यूनतम 14 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हो रही है. केंद्र एवं राज्यों ने आपसी सहमति से कर राजस्व में न्यूनतम 14 प्रतिशत की वृद्धि का निर्धारण किया है. ऐसा नहीं होने पर राज्यों को क्षतिपूर्ति देनी होगी. इसमें कहा गया है , ‘‘ हमने पाया है कि सकल आधार पर राज्यों को 2017-18 में 18,698 करोड़ रुपये का लाभ हुआ. अगर हम कच्चे तेल के दाम में वृद्धि से होने वाले लाभ को जोड़ दे तो यह आंकड़ा 37,426 करोड़ रुपये पहुंच जाता है. ”
राज्य अगर कच्चे तेल के केवल आधार मूल्य पर ही कर लगाते हैं तो इससे होने वाले 34,627 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिये उक्त राशि पर्याप्त है. पिछले साल जुलाई में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन के बाद राज्यों का कर राजस्व 2017-18 में बढ़ा. इसका कारण कर अनुपालन तथा कर दायरा बढ़ना है.
जीएसटी से जहां गुजरात , हरियाणा , महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़ , झारखंड तथा पंजाब को सर्वाधिक लाभ हुआ , वहीं कर्नाटक , बंगाल , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश तथा असम के कर संग्रह में गिरावट दर्ज की गयी. कराधान की प्रकृति में बदलाव के कारण इन राज्यों पर प्रभाव पड़ा. जीएसटी ने सेवा , वैट , उत्पाद शुल्क , प्रवेश कर , मनोरंजन कर आदि को नई कर व्यवस्था में समाहित किया है. इन राज्यों के कर राजस्व में इसका 55 प्रतिशत से अधिक योगदान है.
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