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Rising Kashmir अखबार के संपादक की आतंकियों ने की हत्या, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा-कायराना हरकत

श्रीनगर : पाक परस्त आतंकवादियों ने कई सालों के बाद कश्मीर में एक बार फिर पत्रकारों को निशाना बनाया है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के चर्चित अखबार राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी को गुरुवार की देर शाम गोली मार कर हत्या कर दी. इस हमले में उनका पीएसओ भी घायल हो गया था, जिसकी इलाज के […]

श्रीनगर : पाक परस्त आतंकवादियों ने कई सालों के बाद कश्मीर में एक बार फिर पत्रकारों को निशाना बनाया है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के चर्चित अखबार राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी को गुरुवार की देर शाम गोली मार कर हत्या कर दी. इस हमले में उनका पीएसओ भी घायल हो गया था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गयी. वरिष्ठ पत्रकार एवं राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी और उनके पीएसओ की श्रीनगर में उनके कार्यालय के बाहर अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी.

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पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि बुखारी यहां प्रेस एंक्लेव स्थित अपने कार्यालय से एक इफ्तार पार्टी के लिए जा रहे थे, तभी अज्ञात बंदूकधारियों ने उन पर हमला कर दिया. उन्होंने बताया कि बुखारी की सुरक्षा में तैनात उनके निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) में से एक की इस हमले में मौत हो गयी. हमले में एक अन्य पुलिसकर्मी तथा एक आम नागरिक घायल हो गया. अधिकारियों ने बताया कि हमले में घायल दोनों लोगों की हालत गंभीर है. हमला ईद से पहले हुआ है.

शुजात बुखारी के पिता भी थे पत्रकार, भाई कश्मीर के कानून मंत्री हैं

फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हमलावरों की संख्या कितनी थी. बुखारी ने पूर्व में द हिंदू के कश्मीर संवाददाता के रूप में भी काम किया था. उन्होंने कश्मीर घाटी में कई शांति सम्मेलनों के आयोजनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. वह पाकिस्तान के साथ ट्रैक -2 प्रक्रिया का भी हिस्सा थे. बुखारी लगभग एक दशक से श्रीनगर से अपना अखबार चला रहे थे. उनके पिता भी पत्रकार थे. महबूबा सरकार में उनके भाई सैयद बशरत बुखारी कश्‍मीर के कानून मंत्री हैं. वह मानवाधिकारों के हनन पर खुलकर लिखते थे. बुखारी कश्‍मीर की समस्‍या के समाधान के लिए बातचीत के हमेशा समर्थक रहे.

बुखारी पर पहले भी हुआ था हमला, किया गया था अपहरण

फ्री प्रेस कश्‍मीर की रिपोर्ट के अनुसार, आठ जुलाई 1996 को सरकार समर्थक आतंकी ग्रुप इख्‍वान ने अनंतनाग जिले से 19 पत्रकारों का अपहरण किया था और उन्‍हें सात घंटे तक बंधक बनाये रखा था. इन पत्रकारों में बुखारी भी शामिल थे. अंतरराष्‍ट्रीय एनजीओ रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने एक बार आईएफईएक्स डॉट ओआरजी को बताया था कि 2006 में बुखारी को दो लोगों ने अगवा कर लिया था. शहर से दूर ले जाकर उन्‍होंने गोली मारने की कोशिश की, लेकिन बंदूक जाम होने से वह बच गये थे.

कश्मीर में एक दशक बाद पत्रकार को बनाया गया निशाना

मीडिया की रिपोर्ट को मानें, तो कश्‍मीर में लगभग एक दशक बाद फिर से पत्रकार पर हमला हुआ है. इससे पहले 2003 में परवेज मुहम्‍मद सुल्‍तान की बंदूकधारियों ने हत्‍या कर दी थी. साल 2000 में एक बम धमाके में फोटो जर्नलिस्‍ट प्रदीप भाटिया की मौत हो गयी थी.

बुखारी की हत्या कायराना हरकत : राजनाथ

वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कड़ी निंदा की और पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की. राजनाथ सिंह ने कहा कि बुखारी की हत्या करना एक कायराना हरकत है. यह कश्मीर की आवाज दबाने की कोशिश है. बुखारी एक निडर और साहसी पत्रकार थे. उनकी मौत की खबर से गहरा दुख हुआ है. पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं.

महबूबा मुफ्ती ने जताया शोक

बुखारी की हत्या के बाद मीडिया जगत में शोक की लहर है. जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस हमले की कड़ी निंदा की और घटना पर दुख जताया. मुफ्ती ने ट्विटर पर लिखा कि शुजात बुखारी की अचानक मौत से बेहद दुखी हूं, ईद की पूर्व संध्या पर आतंक ने अपना घिनौना चेहरा दिखाया है. इस हिंसा की कार्रवाई की कड़ी निंदा करती हूं और उनकी आत्मा की शांति के लिए कामना करती हूं. उनके परिवार को मेरी ओर से सांत्वना.

राहुल गांधी ने बुखारी को दी श्रद्धांजलि, बताया बहादुर दिल इंसान

शुजात बुखारी की हत्या पर दुख जताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की हत्या के बारे में सुनकर दुखी हूं. वह एक बहादुर दिल इंसान थे, जो जम्मू-कश्मीर में न्याय और शांति के लिए निडरता से लड़े. उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं. उन्हें भुलाया नहीं जा सकेगा.

राज्यवर्धन सिंह राठौर प्रेस की आजादी पर क्रूर हमला बताया

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने शुजात की हत्या पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि शुजात बुखारी की हत्या प्रेस की आजादी पर एक क्रूर हमला है. आतंक का एक भयावह और अपमानजनक कार्य है. निडर मीडिया हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है और हम मीडिया व्यक्तियों को एक सुरक्षित और अनुकूल कामकाजी माहौल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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