नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों के धरने को गुरुवार को और अधिक राजनीतिक समर्थन मिला. धरने का समर्थन करने वालों में तमिल अभिनेता कमल हासन के अलावा राजद, माकपा और भाकपा शामिल थीं जिन्होंने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर आप सरकार के कार्य में बाधा उत्पन्न करने का आरोप लगाया.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उपराज्यपाल के कार्यालय का इस्तेमाल दिल्ली की निर्वाचित सरकार के लिए उसके संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में ‘बाधा’ खड़ी करने के लिए कर रही है. येचुरी ने ट्वीट किया, ‘…यह निंदनीय है. केंद्र को इस तरह का टकराव तत्काल छोड़ देना चाहिए.’
केजरीवाल और उनके तीन कैबिनेट सहयोगी मनीष सिसोदिया, गोपाल राय और सत्येंद्र जैन अपनी मांगों को लेकर गत सोमवार से ही उपराज्यपाल के कार्यालय में धरने पर बैठे हैं. इन मांगों में यह भी शामिल है कि अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वे अपनी ‘हड़ताल’ समाप्त करें और कार्य बाधित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. वे यह भी चाहते हैं कि उपराज्यपाल दरवाजे पर राशन की आपूर्ति को भी मंजूरी दें.
गत फरवरी में अपनी राजनीतिक पार्टी एमएनएम शुरू करने वाले हासन ने कहा कि एक निर्वाचित सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप ‘लोकतंत्र में अस्वीकार्य है.’ राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘तानाशाही केंद्र’ ने दिल्ली और पुडुचेरी में ‘लोकतंत्र का मखौल’ उड़ाया है. जदयू के पूर्व नेता शरद यादव ने केजरीवाल का समर्थन करते हुए कहा, ‘निर्वाचित सरकार को एक ना एक कारण से काम नहीं करने दिया जा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘यह अच्छा उदाहरण पेश नहीं किया जा रहा है कि एक निर्वाचित सरकार को काम नहीं करने दिया जा रहा. यह उल्लेख किया जा सकता है कि यह राज्य सरकार की विफलता नहीं है बल्कि उपराज्यपाल और राज्य सरकार के बीच बिना वजह के टकराव से दिल्ली के लोग नजरंदाज हो रहे हैं.’
भाकपा की दिल्ली इकाई ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के इस रूख की निंदा की कि उन्होंने उपराज्यपाल सचिवालय कार्यालय के प्रतिक्षा कक्ष में गत सोमवार से धरने पर बैठे मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों से ‘मुलाकात नहीं की.’ उल्लेखनीय है कि कल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था कि उपराज्यपाल कार्यालय में धरने पर बैठे निर्वाचित मुख्यमंत्री को उचित सम्मान मिलना चाहिए.