कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि शीर्ष पदों पर सीधी भर्ती से सरकार के कामकाज से जुड़ी ‘संवेदनशीलता शिथिल’ हो सकती है. उसे लागू करने से पहले विभिन्न संबंधित पक्षों के बीच उस पर व्यापक बहस की जरूरत है. केंद्र ने आर्थिक क्षेत्रों जैसे आर्थिक विषयों, कृषि, सड़क परिवहन और पर्यावरण में विशेषज्ञता वाले व्यक्तियों, जो निजी क्षेत्रों से भी हो सकते हैं, से संयुक्त सचिव स्तर के 10 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं.
ममता ने फेसबुक पर पोस्ट किया कि यदि मेधावी व्यक्ति केंद्र सरकार की कार्यकुशलता सुधारने के लिए उससे जुड़ते हैं, तो कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन चिंता के कुछ विषय हैं. उन्होंने लिखा, ‘अखिल भारतीय सेवा/केंद्रीय सेवाओं के अधिकारी भारत सरकार में फिलहाल संयुक्त सचिव और समतुल्य पदों पर कार्यरत हैं. ये अधिकारी यूपीएससी जैसे संवैधानिक निकायों की पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से सरकारी सेवाओं में लिये जाते हैं.’
इसे भी पढ़ें : नीतीश ने संयुक्त सचिव स्तर पर सीधी भर्ती का किया बचाव, मायावती ने की पहल की आलोचना
ममता ने कहा कि इन अधिकारियों से अपने कर्तव्य निर्वहन में राजनीतिक रूप से तटस्थ रहने की उम्मीद की जाती है और ऐसे मानकों से थोड़ा भी हटना देश के लिए अच्छा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी ईमानदारी, जवाबदेही के साथ काम करते हैं और देशहित सर्वोच्च होता है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ऐसे में मैं महसूस करती हूं कि इस व्यवस्था से थोड़ा भी हटना खासकर गैर सरकारी क्षेत्र के पेशेवरों को लाना, भले ही वे मेधावी ही क्यों न हों, से सरकार के कामकाज से जुड़ी संवेदनशीलता शिथिल हो सकती है. ऐसे में इस विषय पर व्यापक चर्चा जरूरी है.’