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रांची : मैकलुस्कीगंज की पूरी जमीन फंसी, नहीं जारी हो रही रसीद

जमीन मालिकों की परेशानी बढ़ी : गैरमजरूआ जमीन का हवाला देकर लॉक कर दिया गया है जमीन का लगान लेने का अॉप्शन रांची : रांची शहर के कुछ ही दूरी पर स्थित पर्यटन स्थल मैकलुस्कीगंज की पूरी जमीन (करीब 10 हजार एकड़) फंसी हुई है. यहां की जमीन की रसीद जारी नहीं हो रही है. […]

जमीन मालिकों की परेशानी बढ़ी : गैरमजरूआ जमीन का हवाला देकर लॉक कर दिया गया है जमीन का लगान लेने का अॉप्शन
रांची : रांची शहर के कुछ ही दूरी पर स्थित पर्यटन स्थल मैकलुस्कीगंज की पूरी जमीन (करीब 10 हजार एकड़) फंसी हुई है. यहां की जमीन की रसीद जारी नहीं हो रही है. गैर मजरुआ जमीन का हवाला देकर जमीन का लगान लेने का अॉप्शन लॉक कर दिया गया है. ऐसा पूरे राज्य में किया गया है. रसीद जारी नहीं होने के कारण नये निर्माण कार्य में परेशानी आ रही है. साथ ही ऋण मिलना भी बंद हो गया है.
विकास होने में बाधा है यह निर्णय
यहां रह रहे कुछ लोगों का कहना है कि अचानक रसीद जारी करना बंद कर दिया गया है, जो इस इलाके के विकास में बाधा है. उन्होंने कहा कि जमीन ऐसी प्रकृति की है कि रसीद निर्गत होने को रोका नहीं जा सकता है. हाल के दिनों में पर्यटक यहां बढ़ रहे हैं. ऐसे में यहां होटल भी बनाने की तैयारी हो रही है. नेतरहाट के पूर्ववर्ती छात्र भी इसमें लगे हैं, लेकिन रसीद नहीं होने के कारण ऋण नहीं मिलेगी. ऐसे में यहां का विकास प्रभावित होगा.
रसीद जारी नहीं होने से नये निर्माण कार्य में आ रही परेशानी, ऋण मिलना भी बंद हो गया
रातू महाराजा से मिली थी जमीन
1933-37 के बीच एंग्लो इंडियन की सोसाइटी ने मैकलुस्कीगंज में बसने का निर्णय लिया था. इसे लेकर उन्होंने कोलनाइजेशन सोसाइटी अॉफ इंडिया लिमिटेड बनाया. इसका मुख्यालय कोलकाता था. तब अंग्रेजों की हुकूमत यहां थी.
इस सोसाइटी ने रातू महाराजा से 10 हजार एकड़ गैर मजरुआ जमीन पपेचुअल लीज पर ली थी. इसके तहत जमीन हमेशा के लिए या 299 साल के लिए एंग्लो इंडियन को मिली थी. लीज में यह शर्त थी कि यह जमीन बाजार योग्य, खरीद-बिक्री योग्य व हस्तांतरणीय होगी. इसके अलावा भी उनलोगों ने रैयती खाता की जमीन ली. बाद में इसमें 400 से 500 घर बनाये. पूरा मैकलुस्कीगंज को विकसित किया. बड़े-बड़े बगीचे बनाये गये.
दूसरे राज्यों के लोगों ने भी खरीदी जमीन
खूबसूरत पर्यटन स्थल के मद्देनजर दूसरे राज्यों के लोगों ने भी एंग्लो इंडियन से जमीन खरीदी. वहीं, झारखंड के लोगों ने भी जमीन खरीदी. बाद में इसका दाखिल खारिज कराया और लगान देकर रसीद निर्गत कराया.

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