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आज पटना विश्वविद्यालय में बीकॉम का एंट्रेंस टेस्ट
पटना : पटना विश्वविद्यालय में बीकॉम का एंट्रेंस टेस्ट सोमवार को साढ़े ग्यारह बजे से डेढ़ बजे के बीच होगा. इसके लिए चार जगहों पर परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं. परीक्षा में कुल 3800 छात्र-छात्राएं शामिल होंगे. मगध महिला कॉलेज में 1300, बीएन कॉलेज में 1000, पटना कॉलेज में 1200 व वाणिज्य महाविद्यालय में 300 […]
पटना : पटना विश्वविद्यालय में बीकॉम का एंट्रेंस टेस्ट सोमवार को साढ़े ग्यारह बजे से डेढ़ बजे के बीच होगा. इसके लिए चार जगहों पर परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं.
परीक्षा में कुल 3800 छात्र-छात्राएं शामिल होंगे. मगध महिला कॉलेज में 1300, बीएन कॉलेज में 1000, पटना कॉलेज में 1200 व वाणिज्य महाविद्यालय में 300 छात्र टेस्ट में भाग लेंगे. प्रॉक्टर प्रो जीके पलइ ने बताया कि परीक्षा को लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये जायेंगे. कदाचार करते हुए पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी. बीकाॅम की परीक्षा में कुल 100 प्रश्न 100 अंकों के होंगे. इसमें 40 अंकों का जीएस व 60 अंकों के प्रश्न काॅमर्स विषय से पूछे जायेंगे. इसके बाद बीएससी का टेस्ट मंगलवार को होगा.
रंग लायी मेहनत तो खिल उठे चेहरे
देश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए जेईई एडवांस्ड परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों का इंतजार रविवार 10 जून को खत्म हो गया. परीक्षा में सफल विद्यार्थियों ने अपने भविष्य की योजनाओं को लेकर बातचीत की. कोई वैज्ञानिक तो कोई कंप्यूटर विज्ञानी बन कर अपना नाम रोशन करना चाहता है, तो कोई शिक्षक बन कर देश का भविष्य बनाने में योगदान करना चाहता है. इन सफल विद्यार्थियों से बातचीत में एक बात कॉमन रही कि लगभग सभी ने सोशल साइट्स को पढ़ाई के लिए एकाग्रता में बाधक बताया.
सभी कमजोर पहलूओं को दूर किया
शुरू से ही मेरी तमन्ना थी कि हायर एजुकेशन के लिए आईआईटी में नामांकन लेना है. इसके लिए जी-जान से तैयारी करता था. यह कहना है पटना सिटी के त्रिपोलिया के निवासी ऋषि रंजन का. ऋषि के पिता मनोज रंजन फिनांस डिपार्टमेंट में सीनियर ऑडिटर हैं, जबकि मां कविता कुमारी गृहणी हैं. ऋषि कहते हैं, जेईई की तैयारी में मुझे केमिस्ट्री को लेकर दिक्कत होती थी.
इसलिए मैंने अपने कमजोर पहलू को ही मजबूत करने का फैसला लिया और इस विषय में जितनी मेहनत हो सकती थी, उसे किया. इंसेंटजीसस स्कूल, पटना सिटी से 2016 में दसवीं तथा सीबीएसई बोर्ड से 12वीं करने वाले ऋषि बताते हैं कि मैंने सेल्फ स्टडी के अलावा कोचिंग में भी पूरा वक्त दिया. आईआईटी दिल्ली, कानपुर या रुड़की में नामांकन लेने की चाहत है.
दिव्योजित बागची की झोली में लगातार खुशियां आ रही हैं. जेईई मेन में 302रैंक लाने वाले बागची को एडवांस में ऑल इंडिया 325वां रैंक हासिल हुआ है. 245 अंक लाकर वह गुवाहाटी जोन में चौथा स्थान प्राप्त किया है. इनके प्रदर्शन से घर में खुशी का माहौल है. पिता संजीत बागची और माता पल्लवी बागची का सपना साकार हो गया. इससे पहले भी दिव्योजित बागची सीबीएससी 12वीं साइंस में बिहार के थर्ड टॉपर बने थे.
उन्हें 97 प्रतिशत अंक मिले थे. वहीं बिहार से इनका चयन साइंस ओलंपियाड के लिए हुआ था. 21 मई से दो जून तक भाभा रिसर्च सेंटर में कैंप कर वह हाल ही में पटना वापस आये हैं. उन्होंने कहा कि मैंने केवल पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया. घर में चार से पांच घंटे तक पढ़ाई मन लगाकर किया करता था. सेल्फ स्टडी पर फोकस किया. उन्होंने कहा कि मेरी आईआईटी मुंबई या आईआईटी दिल्ली में पढ़ने की इच्छा है. मैं शिक्षा के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहता हूं. इलेक्ट्रॉनिक्स या मैथ एंड कंप्यूटिंग लेकर पढ़ाई करनी है.
मुझे अध्ययन और अध्यापन दोनों अच्छा लगता है. मैंने हमेशा पढ़ाई को सीरियस लिया. पढ़ाई के समय किसी को भी टाइम पास नहीं करना चाहिए. किताबों से दोस्ती होनी चाहिए. सोशल साइट्स या मोबाइल से दूरी बना कर रखनी चाहिए.
काॅन्सेप्ट क्लियर रखें
मैं बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहता था. इसके लिए कड़ी मेहनत की है. 2011 में ही पापा के नहीं रहने के बाद मां ने दिन-रात मेहनत करके मुझे इस योग्य बनाया. पढ़ाई में उसने काफी मदद की. मार्गदर्शन भी किया. दादाजी ने आर्थिक सपोर्ट किया. साथ ही पढ़ाई में मदद की. पिता भी भी इंजीनियर रह चुके हैं. इसलिए उनका मुझे फायदा मिला. मैं कंप्यूटर साइंस लेकर पढ़ाई करना चाहता हूं. दिल्ली या कानपुर आईआईटी में पढ़ना चाहता हूं. केशव सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में पढ़ता था.
वहां के शिक्षकों ने काफी मदद की. मेरा मानना है कि अगर आपको सफल होना है तो दिन में आठ-दस घंटे तो पढ़ाई करनी ही पड़ती है, क्योंकि सामान्य पढ़ाई से आईआईटी जैसे संस्थानों में नामांकन मुश्किल है. यह काॅन्सेप्ट क्लियर रखने की जरूरत है, क्योंकि मेहनत के अलावा सफलता का कोई दूसरा कोई रास्ता नहीं है.
वैज्ञानिक बन शोध करूंगा
मैं वैज्ञानिक बन कर शोध करना चाहता हूं. मेरी सफलता में मेरे पापा का बहुत योगदान है. मुझे पढ़ाने और मार्गदर्शन करने के अलावा बुक्स आदि पर भी वे रिसर्च करते थे.
वह मुझे बताते थे कि क्या पढ़ना है और क्या नहीं. वे बिजली विभाग में चीफ इंजीनियर हैं. यही वजह है कि उनके अनुभव का मुझे भी फायदा मिला. मेरा फर्स्ट च्वाइस आईआईटी दिल्ली है. मैं मैकेनिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स लेना चाहता हूं.
मेरी सफलता में डीपीएस स्कूल के शिक्षकों का भी योगदान है, जहां मेरी स्कूलिंग हुई. कोचिंग के शिक्षकों का भी काफी योगदान रहा, जिन्होंने बहुत अच्छे से पढ़ाया. हालांकि, फिर भी मैं लेट नाइट नहीं पढ़ता था. जो भी पढ़ाई करता, दिन में ही करता था. यहां यह बताना जरूरी है कि क्वांटिटी से अधिक क्वालिटी पर ध्यान देना जरूरी है. पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेना जरूरी है.
साइट्स से बनाये रखी दूरी
अगर सफलता हासिल करनी हो तो इसके लिए जी-जान से मेहनत करनी पड़ती है. मेरी स्टडी में किसी तरह का व्यवधान ना हो, इसके लिए मैंने जितने दिन तैयारी किया, उतने दिन सोशल साइट्स से दूर रहा. यह कहना है पटना के कंकड़बाग के हनुमान नगर के निवासी चैतन्य श्रीवास्तव का. चैतन्य के पिता आशीष कुमार सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में कोर्ट ऑफिसर हैं, जबकि मां प्रीति श्रीवास्तव हाईस्कूल में टीचर हैं.
2016 में डॉन बास्को से दसवीं करने के बाद विक्रम, रोहतास के एसआर पब्लिक स्कूल से बारहवीं करने वाले चैतन्य कहते हैं, मुझे शुरू में फिजिक्स को लेकर दिक्कत होती थी. मैंने इस कमजोरी को दूर करना शुरू किया. टाॅपिक्स को कवर करने की कोशिश की. वह कहते हैं तैयारी करने में सबसे अहम होता है प्रश्न को लेकर वक्त देना और मैंने यही किया. चैतन्य बताते हैं, मेरी तमन्ना आईआईटी दिल्ली में मैथमेटिक्स या कंप्यूटर साइंस में नामांकन लेने की है.
रिसर्च करने की है तमन्ना
रिसर्च को लेकर मेरे मन में शुरू से ही जिज्ञासा बनी रहती थी. इसलिए मैंने अपने ड्रीम को पूरा करने के लिए अाईआईटी में नामांकन लेने का मन बनाया और अपनी सफलता को पाने के लिए लग गया. यह कहना है मूलरूप से बिहार के मोतिहारी के निवासी और आईआईटी बांबे जोन में 102 रैंक हासिल करने वाले यश संजीव का. यश बताते हैं, उनके पिता संजीव कुमार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर के पद पर पोस्टेड हैं और मुंबई में ही पोस्टेड हैं, वहीं मां अनामिका कुमारी गृहणी हैं.
यश बताते हैं, सफलता को हासिल करने के लिए मैंने हर वह काम किया, जिससे स्टडी में किसी भी तरह की दिक्कत न हो. सीएमएस स्कूल लखनऊ से 2016 में दसवीं तथा होली मिशन स्कूल समस्तीपुर से बारहवीं करने वाले यश बताते हैं, कोचिंग से लेकर घर तक मैं हर रोज सात से आठ घंटे की स्टडी करता था. वैसे तो मुझे आईआईटी बांबे में नामांकन लेने की तमन्ना थी, लेकिन शायद वह न मिले.
दो बेटों को मिली आईआईटी में सफलता
अरवल जिले के छोटे से गांव कन्हैया चक के निवासी और पेशे से किसान रमेश शर्मा वैसे अभिभावकों के लिए आदर्श बन गये हैं, जो बच्चों की ऊंची शिक्षा देने में संसाधन की कमी की बात कहते हैं.
रविवार को जब जेईई एडवांस के परिणाम की घोषणा हुई, तब यह घोषणा रमेश के घरवालों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आयी. दरअसल इस पिछले साल रमेश शर्मा के जहां बड़े बेटे ने जेईई एडवांस्ड को क्लियर किया वहीं इस साल उनके एक और बेटे ने जेईई एडवांस्ड को क्वालीफाई किया. रमेश शर्मा की पत्नी नीलम देवी कहती हैं, उनकी तीन संतान हैं और उसमें से दो बेटों का आईआईटी में नामांकन होना, उनके सपने के सच होने जैसा है. वहीं बेटी एमसीए कर रही है.
वह कहती हैं, पिछले 25 सालों से बच्चों की स्टडी को लेकर तपस्या कर रही थी, आज वह सारी मेहनत सफल हो गयी. रमेश शर्मा कहते हैं, यह सपना अधूरा ही रह जाता यदि अभ्यानंद सुपर 30 का साथ नहीं मिलता. बड़ा बेटा राजकुमार अखबार में विज्ञापन देखकर अभ्यानंद सुपर-30 के टेस्ट में शामिल हुआ था.
जाऊंगा विदेश
मैं कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता हूं. टॉप आईआईटी
कॉलेज में पढ़ना चाहता हूं. इसके बाद हायर स्टडीज के लिए मैं विदेश जाना चाहता हूं. टाइम मैनेजमेंट व हार्ड वर्क सफलता की कुंजी है. दिन में आठ से दस घंटे पढ़ना जरूरी है, वह भी पूरी एकाग्रता के साथ. कोचिंग भी जरूरी है. क्योंकि आईआईटी लेवल की पढ़ाई स्कूल में संभव नहीं. हालांकि स्कूल की पढ़ाई से मदद जरूर मिलती है. दादा जी ने काफी सपोर्ट किया. उनके मार्गदर्शन से काफी लाभ हुआ. इसके अतिरिक्त परिवार, दोस्त सभी ने काफी सहयोग किया.
सेल्फ स्टडी जरूरी
पटना के रहने वाले आयुष श्रीवास्तव ने जेईई एडवांस में ऑल इंडिया 266 रैंक प्राप्त किया है. इससे पहले भी आयुष ने दो मई को जेईई मेन के जारी रिजल्ट में ऑल इंडिया 108वीं रैंक हासिल की थी. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से पहली बार में ही बेहतर रैंक के साथ एडवांस में 250 अंक प्राप्त किये हैं. वहीं मेन में इनको 315 नंबर प्राप्त हुए थे. इनके प्रदर्शन से रेलवे में कार्यरत पिता अंजनी प्रसाद श्रीवास्तव और माता कुमकुम वर्मा काफी खुश हैं. बेटे को आईआईटी में पढ़ाने का सपना पूरा हो गया. घर में खुशी का माहौल है. पिता कहते हैं कि पढ़ने के लिए बेटे पर कभी भी दबाव नहीं डाला.
हमेशा ही स्वतंत्र रूप से पढ़ाई करने का माहौल दिया. केंद्रीय विद्यालय कंकड़बाग से 10वीं पास करके वह कोटा गया. वहीं से 91 प्रतिशत अंक के साथ 12वीं की पढ़ाई पूरी की. आयुष ने कहा कि दिल्ली आईआईटी में एडमिशन लेना है. कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करनी है. मैं हमेशा से अपनी रुटीन को फॉलो किया. हमेशा शिक्षकों की बात मानी. सेल्फ स्टडी काफी काम आता है. कोचिंग, स्कूल के अलावा सेल्फ स्टडी काफी जरूरी है.
मेरी मेहनत रंग लायी
रविवार को जारी जेईई एडवांस्ड 2018 के परिणाम के बाद से ही प्रशांत के चेहरे पर विनर्स की मुस्कान कायम है. प्रशांत कहते हैं, परिणाम जारी होने के बाद मेरी इतने दिनों की मेहनत सफल हो गयी. पटना के जगदेव पथ के निवासी प्रशांत के पिता मनोज कुमार सिंह बिहार पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं, जबकि मां रंजू सिंह गृहणी हैं. प्रशांत की एक बहन पटना में ही मेडिकल की तैयारी कर रही है.
2016 में डीएवी राजवंशी नगर से दसवीं तथा डीएवी से ही 2018 में बारहवीं क्लियर करने वाले प्रशांत अपनी सफलता के बारे में कहते हैं, इस परीक्षा में सफल होने के लिए मैंने सात से आठ घंटे की लगातार तैयारी की. केमेस्ट्री मेरे लिए वीक सब्जेक्ट लगता था. इसलिए सबसे पहले मैंने इस सब्जेक्ट को ही दुरुस्त करने का फैसला किया और इसके डाउट्स को हल करने में लगा रहा.
क्लास करने के बाद या फिर घर पर, जब भी मुझे मौका मिलता था. मैं अपनी कमजोरी को दूर करने में लगा रहता था. पढ़ाई में किसी तरह का व्यवधान न हो, इसके लिए मैंने सोशल साइट्स से दूरी भी बना ली थी. प्रशांत कहते हैं कि शुरू से ही मेरा रुझान कंप्यूटर साइंस में था.
इलेक्ट्रॉनिक्स में थी शुरू से रुचि
स्टडी के दौरान ही मेरी रूचि इलेक्ट्रॉनिक्स में होती थी. हर वक्त मेरा ध्यान इलेक्ट्रॉनिक्स पर ही लगा रहता था. शायद इसी जुनून का नतीजा है कि मैंने मेहनत किया और मेरी मेहनत आज रंग लायी है. यह कहना है गुवाहाटी जाेन में टॉपर बनी पटना के भूतनाथ रोड की निवासी प्रांजल सिंह का.
प्रांजल के पिता जहां सिविल इंजीनियर के पद पर हैदराबाद में पोस्टेड हैं, वहीं मां अर्चना सिंह हाउसवाइफ हैं. प्रांजल ने अपनी दसवीं की परीक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल, ट्रांसपोर्ट नगर से पूरी किया है वहीं बैरिया स्थित सत्यम इंटरनेशनल स्कूल से उसने बारहवीं को क्लियर किया है. प्रांजल कहती है, हर रोज डेडिकेट होकर मैंने दस से 11 घंटे की तैयारी की.
सोशल साइट्स से पूरी तरह से दूरी बना कर रही. मेरी तमन्ना इलेक्ट्रॉनिक्स में नामांकन लेने की है. अब यह देखना है कि इस रैंक में किसी आईआईटी में नामांकन मिलता है.
अभयानंद सुपर 30 के नौ बच्चे सफल
मेंटर अभयानंद के नौ छात्रों को सफलता मिली है. संस्थान द्वारा अायोजित प्रेसवार्ता में सभी सफल छात्रों ने अपनी सफलता का श्रेय मेंटर अभ्यानंद और कठोर श्रम को दिया. इस मौके पर अभ्यानंद ने बताया कि 29 में से 26छात्रों ने जेईई मेन क्वालीफाई किया था. जिसमें रितिक राज को 1840 रैंक हासिल हुआ. वहीं प्रेम कुमार को 2013 रैंक प्राप्त हुआ है. इसके अलावा संस्थान के शांभवी, आकाश कुमार, सिद्धार्थ वारसी, श्रीनिवास भारद्वाज, रवि कुमार, कृष्णा मुरारी तथा हर्षवर्द्धन को भी सफलता मिली है. इस मौके पर उर्मिला सिंह प्रताप धारी सिन्हा फाउंडेशन के ट्रस्टी एडी सिंह, प्रेमचंद्र कुमार उर्फ मुंशी, शिक्षक पंकज कुमार आदि मौजूद थे.
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