नयी दिल्ली : भारतीय सेना, अद्धैसैनिक बलों या देश के अन्य सशस्त्र बलों में भर्ती होने की इच्छा रखने वाले अभ्यर्थियों के लिए एक बेहद अहम फैसले में दिल्ली हाइ कोर्ट ने कहा है कि वेरिकोस वेन्स से ग्रस्त लोग सुरक्षा बलों में काम करने के लिए फिट नहीं हैं.
कोर्ट ने कहा कि वेरिकोस वेन्स की परेशानी होने के बाद सर्जरी कराने वाला अभ्यर्थी सशस्त्र बल में नौकरी करने के लिए फिट नहीं है, क्योंकि ऐसी नौकरी में बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है और बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत भी करनी पड़ती है.
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और प्रतिभा रानी की पीठ ने कहा कि वेरिकोस वेन्स की सर्जरी कराने के बाद उन मरीजों को कई परेशानियां आती हैं, जैसे-रक्त संचरण में दिक्कत, साथ ही सर्जरी के बाद उन मरीजों के दूसरे वेन्स में यही परेशानी उभरने की आशंका भी होती है.
पीठ का कहना है कि स्थिति को ध्यानमें रखते हुए याचिका दायर करने वाला व्यक्ति सिविल क्षेत्र में नौकरियों के लिए फिट हो सकता है, लेकिन वह सेना/अर्द्धसैनिक बलों के पदों के लिए फिट नहीं है, क्योंकि उसे बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है और शारीरिक मेहनत बहुत ज्यादा होती है.
अदालत ने कहा कि ऐसे में मेडिकल बोर्ड और समीक्षा मेडिकल बोर्ड द्वारा व्यक्ति को सैन्य सेवा के लिए अनफिट बताया जाना गलत नहीं है.
पीड़ित अधिक देर नहीं रह सकता है खड़ा
वेरिकोस वेन्स से ग्रस्त मरीजों के पैरों में दर्द /भारीपन रहता है, वह बहुत देर तक चल या खड़ा नहीं रह सकता, खुजली होती है और रात में पैरों की नसों में खिंचाव होता है. नसों के फूलने व सूजने की यह बीमारी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर पैर की नसों पर होता है. इससे महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं. पैरों में भारीपन आने, अकड़ा रहने, घुटनों व टखनों में सूजन आने, चमड़ी पर नीली नसों के उभरने, चमड़ी का सिकुड़ना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं.