बेंगलुरु : पत्रकार गौरी लंकेश और अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता एमएम कलबुर्गी की हत्या में एक ही देसी कट्टे का इस्तेमाल किया गया था. एसआइटी ने बताया कि राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला ने एक रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है.
लंकेश की हत्या की जांच कर रहे दल को सौंपी गयी फॉरेंसिक रिपोर्ट एसआइटी द्वारा हाल में दाखिल पहले आरोप आरोप पत्र का हिस्सा है. उसमें केटी नवीन कुमार को आरोपी के तौर पर नामजद किया गया था. कुमार को हाल में गिरफ्तार किया गया था. कुमार ने एसआइटी को दिये गये बयान में बताया कि वह लंकेश की हत्या की साजिश को अंजाम देने के लिए गोलियों की व्यवस्था करने में विफल रहा.
यह आरोप पत्र दोनों हत्याओं के बीच संबंधों की पहली आधिकारिक पुष्टि है. ये दोनों हत्याएं दो वर्ष के अंतराल पर हुई थीं.
2015 में हुई थी एमएम कलबुर्गी का हत्या
एमएम कलबुर्गी (77) की 30 अगस्त, 2015 को धारवाड़ में जबकि 55 वर्षीय लंकेश की पांच सितंबर, 2017 को हत्या कर दी गयी थी. एसआइटी सदस्यों ने इससे पहले एक ही पिस्तौल का इस्तेमाल किये जाने की थ्योरी की चर्चा की थी, लेकिन पहली बार यह सामने आया है कि कलबुर्गी की हत्या में भी उसी गिरोह का हाथ था जिसने लंकेश की हत्या की.