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एसोचैम ने पेट्रोल -डीजल में कटौती के लिए बताया सर्वश्रेष्ठ उपाय

लखनऊ : पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छूने के बीच उद्योग मण्डल एसोचैम का कहना है कि आम आदमी से जुड़ी इस समस्या से निपटने के लिये तेल पर लागू करों में कटौती करना ही सबसे अच्छा उपाय है . एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत ने आज यहां जारी एक बयान में […]

लखनऊ : पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छूने के बीच उद्योग मण्डल एसोचैम का कहना है कि आम आदमी से जुड़ी इस समस्या से निपटने के लिये तेल पर लागू करों में कटौती करना ही सबसे अच्छा उपाय है .

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि देश में तेल के दामों में हालिया समय में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है. इससे आम जनता को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालात को सम्भालने के लिये पेट्रोल और डीजल पर लागू करों में कटौती करना सर्वश्रेष्ठ उपाय है. रावत ने जोर देकर कहा कि इसके अलावा पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लाया जाना चाहिये.
उन्होंने कहा कि करों में कटौती करने से हमारा निर्यात भी अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा, चालू खाते का घाटा भी कम होगा. साथ ही इससे देश की करेंसी की गिरावट को भी सम्भालने में मदद मिलेगी. रावत ने भारत में तेल के दाम तय किये जाने की गणित का खुलासा करते हुए बताया कि एक लीटर कच्चा तेल आयात करने की कुल लागत करीब 26 रुपये होती है.
उस कच्चे तेल को पेट्रोलियम कम्पनियां खरीदती हैं. वे उसमें प्रवेश कर, शोधन का खर्च, माल उतारने की लागत और मुनाफा जोड़कर उसे डीलर को 30 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचती हैं. उन्होंने बताया कि उसके बाद तेल पर केन्द्र सरकार 19 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से उत्पाद कर वसूलती है. उसके बाद इसमें तीन रुपये प्रति लीटर के हिसाब से डीलर का कमीशन जुड़ता है और फिर सम्बन्धित राज्य सरकार उस पर वैट लगाती है.
उसके बाद ढाई गुना से ज्यादा कीमत के साथ तेल ग्राहक तक पहुंचता है. रावत ने कहा कि वर्ष 2013 में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 110 डालर प्रति बैरल थी, तब देश में उत्पाद कर नौ रुपये प्रति लीटर था, जो अब 19 रुपये है. वर्ष 2014 के बाद कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद उपभोक्ताओं को इसका फायदा इसलिये नहीं मिल सका क्योंकि सरकारों ने करों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर दी.
नवम्बर 2014 से जनवरी 2016 के बीच तेल पर कर की दरों में नौ बार बढ़ोत्तरी हुई है. उन्होंने कहा कि हाल में आयी रपटों के मुताबिक केन्द्र सरकार ने तेल पर एक्साइज कर के रूप में रोजाना 660 करोड़ रुपये कमाये हैं.
वहीं, राज्यों की यह कमाई 450 करोड़ रुपये प्रतिदिन की रही. रोजाना दाम तय होने की व्यवस्था लागू होने के बाद हाल में करीब एक सप्ताह के दौरान पेट्रोल के दामों में करीब ढाई रुपये और डीजल के दाम मंे लगभग दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई है. इस अवधि में केन्द्र सरकार ने इससे 4600 करोड़ रुपये और राज्य सरकारों ने 3200 करोड़ रुपये कमाये हैं.

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