नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्विंगदाओ में शनिवार को एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी. बैठक में दोनों नेता पिछले माह वुहान में उनके बीच हुई अनौपचारिक शिखर बैठक में किये गये निर्णयों को लागू किये जाने का जायजा लेंगे.
मोदी की अन्य एससीओ देशों के नेताओं के साथ करीब आधा दर्जन बैठक होने की संभावना है. तथापि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या मोदी की पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन के साथ कोई बातचीत होगी. हुसैन भी चीन में हो रहे इस सम्मेलन में हिस्सा लेनेवाले हैं. मोदी 18वें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. यह शिखर सम्मेलन नौ-दस जून को शानदांग प्रांत के क्विंगदाओ में राष्ट्रपति शी की अध्यक्षता में होगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि मोदी और शी के बीच नौ जून को बैठक होगी. प्रधानमंत्री की अन्य नेताओं के साथ बैठक को अंतिम रूप दिया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि उम्मीद की जा रही है कि मोदी एवं शी उन निर्णयों को लागू किये जाने का जायजा लेंगे जो वुहान में उनके बीच अनौपचारिक वार्ता के दौरान किये गये थे. अन्य मुद्दों के अलावा शिखर सम्मेलन में एससीओ सदस्यों के बीच सहयोग के अवसरों तथा क्षेत्र की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा.
शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भी भाग लेने की संभावना है. मोदी की पुतिन के साथ पिछले माह सोची में अनौपचारिक शिखर बैठक हुई थी. एससीओ की स्थापना 2001 में रूस, चीन, किर्गीज गणतंत्र, कजाकस्तान, तजाकिस्तान एवं उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने किया था. भारत एवं पाकिस्तान पिछले साल ही इसके सदस्य बने हैं और पहली बार इसके पूर्ण सदस्य के रूप में भाग ले रहे हैं. कुमार ने ब्रीफिंग के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि चीन ने पिछले सप्ताह सिंगापुर में हुई शांग्री-लाॅ वार्ता में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की सराहना की. उन्होंने कहा कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने यह बात विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से इस सप्ताह दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर हुई मुलाकात में कही थी.
कुमार ने कहा कि यह बात चीन के उप विदेश मंत्री कांग शुआनयोउ ने यहां हुई एक बैठक में विदेश सचिव विजय गोखले से भी कही थी. शांग्री-लाॅ वार्ता में मोदी ने कहा था कि जब भारत एवं चीन विश्वास एवं भरोस के साथ मिलकर काम करेंगे तथा एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील रहेंगे तो एशिया एवं विश्व का बेहतर भविष्य होगा. इससे पहले मोदी की चीनी शहर वुहान में अप्रैल माह में अनौचारिक शिखर बैठक हुई थी. इस बैठक में दोनों एशियाई शक्तियों के बीच संबंधों को मजबूती देने के बारे में दोनों नेताओं के बीच विचारों का आदान-प्रदान हुआ था.