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पटना : रिजर्व बैंक हुआ सख्त, कहा, सिक्कों को स्वीकार नहीं करना देश का अपमान
बार-बार दिशा-निर्देश देने के बावजूद गंभीरता से नहीं ले रहे हैं बैंक पटना : अधिकांश सार्वजनिक और निजी बैंकों द्वारा सिक्के स्वीकार नहीं करने को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सख्त हो गया है. पहले चरण में रिजर्व बैंक सूबे के बैंक प्रमुखों को बुलानेके लिए नोटिस जारी करने पर गंभीरता से विचार कर रहा […]
बार-बार दिशा-निर्देश देने के बावजूद गंभीरता से नहीं ले रहे हैं बैंक
पटना : अधिकांश सार्वजनिक और निजी बैंकों द्वारा सिक्के स्वीकार नहीं करने को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सख्त हो गया है. पहले चरण में रिजर्व बैंक सूबे के बैंक प्रमुखों को बुलानेके लिए नोटिस जारी करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. अधिकारियों की मानें तो रिजर्व बैंक सिक्कों को लेकर बैंकों को बार-बार दिशा-निर्देश जारी कर रहा है, लेकिनबैंक गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. इस कारण वैसे बैंक के अधिकारियों पर आने वाले दिनों पर गाज गिर सकती है.
इसके पूर्व रिजर्व बैंक बैंकों के कार्यकलाप की जांच करवा सकता है. इसके लिए रिजर्व बैंक के अधिकारी बैंकों का औचक निरीक्षण कर सकते हैं. मिली जानकारी के अनुसार औचक निरीक्षण के लिए विशेष दस्ता की तैयारी चल रही है. लगातार सिक्कों को लेकर समाचार पत्र में खबर प्रकाशित होने के बाद बैंक प्रबंधन भी थोड़ा सहमा हुआ है. बैंकों से मिली जानकारी के अनुसार बैंकों के कंट्रोलर ने अपने बैंक प्रबंधक को हिदायत दी है कि सिक्कों को स्वीकार करें, ताकि लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो.
बैकों में स्टाफ का अभाव
एआईबीओए के संयुक्त महामंत्री डी एन त्रिवेदी ने बताया कि बैंकों द्वारा ग्राहकों से सिक्के लिये जाने में परेशानी की घटनाएं बढ़ रही हैं, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा अपने डिजिटलाइजेशन एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए नोटों की पर्याप्त छपाई के बजाय उस मूल्य के सिक्के अधिक जारी किये जा रहे हैं.
जबकि, बैंकों में सिक्के गिनने और उनके संग्रहण की पर्याप्त मूलभूत आवश्यकताओं तथा स्टाफ का अभाव है. इस बात को भी रिजर्व बैंक को रखना चाहिए. अगर कोई जानबूझ कर सिक्कों को स्वीकार नहीं करता है, तो उस बैंक के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
बैंकों पर दबाव बनाये रिजर्व बैंक
स्टेट बैंक के पूर्व मुख्य प्रबंधक बीडी प्रसाद के अनुसार रिजर्व बैंक देश का केंद्रीय बैंक है. इसके नाते रिजर्व बैंक की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह सिक्के जमा लेने के निर्देश को नजरअंदाज करने वाले बैंक पर दबाव बनाये अन्यथा उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करे.
एेसा नहीं होने पर रिजर्व बैंक की साख पर भी प्रश्न चिह्न खड़ा होता है. जहां तक बैंकों की शाखाओं में कर्मियों की कमी की व्यवस्था संबंधित शाखा या बैंक को करनी है, इसके लिए रिजर्व बैंक द्वारा कठोर कदम उठाया जाना चाहिए. साथ ही सिक्कों पर लगने वाले जमा शुल्क को माफ कर देना चाहिए या स्वयं रिजर्व बैंक को इसका वहन करना चाहिए. इससे जनता पर बोझ नहीं पड़ना चाहिए.
निर्देश के उल्लंघन पर कार्रवाई
इंडियन बैंक इम्प्लाॅइज फेडरेशन के महासचिव रंजन राज ने बताया कि रिजर्व बैंक ने सिक्कों को लेकर जो निर्देश जारी किया था, उनमें एक हजार रुपये तक के ही सिक्के स्वीकार करने की बात कही गयी थी.
उन्होंने बताया कि अगर बैंक रिजर्व बैंक के निर्देश का उल्लंघन करता है, तो उस पर कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है. रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को नोटिस जारी कर सकता है. आर्थिक दंड लगा सकता है. लाइसेंस भी रद्द कर सकता है. वैसे किसी सार्वजनिक या निजी बैंक का लाइसेंस रद्द करने में व्यावहारिक परेशानी है. इसलिए बैंक का लाइसेंस रद्द करने की आशंका नहीं के बराबर रहती है.
सिक्कों को स्वीकार नहीं करना देश का अपमान
जानकारों को कहना है कि रिजर्व बैंक सीधे बैंकों पर कार्रवाई नहीं कर सकती है. कार्रवाई के पहले बैंकों को नोटिस जारी किया जाता है, ताकि वे समय रहते कार्यकलाप में सुधार कर लें. सिक्कों को स्वीकार नहीं करना देश का अपमान है. इसलिए बैंकों को हर हाल में सिक्के स्वीकार करने होंगे. वैसे यह थोड़ा व्यावहारिक नहीं है. खास कर छोटी शाखा में स्ट्रॉन्ग रूम छोटा होता है, जिससे अधिक परेशानी होती है.
बैंक अधिकारियों के अनुसार बैंक काउंटर पर ग्राहकों से सिक्के नहीं लिया जाना ग्राहक सेवा की गंभीर त्रुटि है, जिसके खिलाफ रिजर्व बैंक अपनी अधिसूचना 20 जुलाई, 2016 जारी कर किसी एक घटना के लिये 10 हजार रुपये और लगातार पांच घटनाओं के लिये पांच लाख रुपये तक का बैंक पर आर्थिक दंड लगा सकता है. कस्टमर सर्विस में त्रुटियों के लिये संबंधित बैंक शाखा के साथ-साथ संबंधित स्टाफ के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है.
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