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ट्रेनों की लेटलतीफी पर प्रोमोशन रोकने के निर्णय पर बोर्ड नरम

रेलवे ट्रैक या दूसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार कार्य के कारण होने वाले लेट को लेकर उठा मुद्दा पटना : ट्रेनों की लेटलतीफी रोकने के लिए जिम्मेदार अफसरों के प्रोमोशन रोक देने वाले सनसनीखेज निर्णय पर रेलवे बोर्ड कुछ नरम पड़ा है. रेलवे बोर्ड ने एक विभागीय अनौपचारिक संदेश में अफसरों को बताया है कि प्रोमोशन रोकने […]

रेलवे ट्रैक या दूसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार कार्य के कारण होने वाले लेट को लेकर उठा मुद्दा
पटना : ट्रेनों की लेटलतीफी रोकने के लिए जिम्मेदार अफसरों के प्रोमोशन रोक देने वाले सनसनीखेज निर्णय पर रेलवे बोर्ड कुछ नरम पड़ा है. रेलवे बोर्ड ने एक विभागीय अनौपचारिक संदेश में अफसरों को बताया है कि प्रोमोशन रोकने से जुड़े निर्णय की व्याख्या अलग तरीके से की जा रही है. बोर्ड ने अपने अफसरों को बताया है कि एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों की लेट लतीफी सुधारने को लेकर सख्त निर्णय हुआ जरूर है, लेकिन यात्रियों की जान पर उसे भारी नहीं पड़ने दिया जायेगा.
अगर रेलवे ट्रैक या दूसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने को लेकर लाइन ब्लॉक लिया जा रहा है तो उससे हो रही देरी को अफसर की लापरवाही नहीं मानी जायेगी. बोर्ड ने सभी रेल जोन को निर्देश दिया है कि रेलवे ट्रैक के मेंटेनेंस को लेकर ब्लॉक जरूर लिये जाएं. उसमें लापरवाही बरतने की जरूरत नहीं है. हां, अगर बेवजह ट्रेनों को विलंब किया गया, तो संबंधित अधिकारियों को हर हाल में कीमत चुकानी पड़ेगी.
जानकारी हो कि पूर्व मध्य रेल या फिर दानापुर रेलमंडल में आने या फिर गुजरने वाली अधिकतर एक्सप्रेस ट्रेनें तीन से 20 घंटे तक की देरी से पटना जंक्शन पहुंच रही हैं. इस देरी की मुख्य वजह मेंटेनेंस को लेकर लिये जाने वाले ब्लॉक हैं. दरअसल लगातार हो रही ट्रेन दुर्घटनाओं के पीछे खराब ट्रैक को जिम्मेदार बता पिछले कुछ माह से रेलवे बोर्ड ट्रैक के मेंटेनेंस पर अधिक जोर दे रहा है जिससे ट्रेनों का समय पर परिचालन कठिन हो गया है..
बताना होगा देर होने का कारण
ट्रेनों की लेट लतीफी सुधारने को लेकर रियल टाइम मॉनीटरिंग सिस्टम डेवलप किया गया. लेकिन, इसकी निगरानी व्यवस्थित तरीके से नहीं की जा रही थी. गलत जानकारी देकर 90 प्रतिशत ट्रेनों को निर्धारित समय से बताया जाने लगा था. यानी ट्रेन फतुहा में खड़ी होती थी, तो उसे ऑनलाइन सिस्टम पर पटना जंक्शन पर दिखाया जाता था.
इस व्यवस्था में सुधार करते हुए जनवरी माह से वास्तविक टाइम फीड किये जाने लगे, तो 90 प्रतिशत का आंकड़ा 50 प्रतिशत पर आ गया. अगर अब ट्रेनें विलंब से चलीं, तो संबंधित रेल जोन व रेलमंडल को कारण बताना होगा.
रेलमंडल का मजाक
केवल 19 फीसदी गाड़ियां ही चल रही हैं विलंब
दानापुर रेलमंडल के अनुसार अब 81 प्रतिशत एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनें निर्धारित समय से चल रही हैं. केवल 19% एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनें देरी से चल रही हैं. हालांकि, यह रेलवे की कागजी कवायद है. दरअसल रेलवे अफसराें ने ट्रेन में देरी के समय की अपने हिसाब से व्याख्या शुरू कर दी. उदाहरण के तौर पर अगर कोई ट्रेन दिल्ली से मुगलसराय तक तीन घंटे देरी से पहुंची और पटना जंक्शन भी तीन घंटे की देरी से पहुंची, तो दानापुर मंडल उसे अपने जोन में देरी नहीं बल्कि दूसरे जोन में दर्शाता है जबकि असलियत यही है कि ट्रेन तीन घंटे की देरी से जंक्शन पहुंची.
रास्ते में ट्रेनें अधिक हो रही हैं विलंब
पूर्व मध्य रेल में आने या फिर गुजरने वाली ट्रेनें ईस्ट कॉस्ट रेल, ईस्टर्न रेल, नॉर्थ सेंट्रल रेल, नॉर्थ-ईस्ट रेल, नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेल, नॉर्दर्न रेल और साउथ ईस्ट सेंट्रल रेल से अधिक आ-जा रही हैं. पूर्व मध्य रेल क्षेत्र की एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए अतिरिक्त रैक की व्यवस्था की गयी है, ताकि स्टेशनों से ट्रेनें निर्धारित समय से रवाना की जा सकें.
लेकिन, सफर के दौरान रास्ते में देर हो जा रही है और गंतव्य स्टेशनों पर देरी से पहुंच रही हैं. पूर्व मध्य रेल क्षेत्र की करीब एक दर्जन से अधिक ट्रेनें हैं, जिसके परिचालन को सुधारने में पूर्व मध्य रेल प्रशासन जुटा है.

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