सिक्कों का खेल l केवल सर्कुलर का हवाला दे रहा आरबीआइ, बैंक जमा नहीं ले रहे सिक्के
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आरबीआइ की भी नहीं सुन रहे हैं बैंक
सिक्कों का खेल l केवल सर्कुलर का हवाला दे रहा आरबीआइ, बैंक जमा नहीं ले रहे सिक्के रांची : बैंकों में सिक्के जमा नहीं लिये जाने के कारण हर कोई परेशान हैं. आम आदमी से लेकर कारोबारियों की परेशानी हर दिन बढ़ती जा रही है. किसी तरह सिक्के खत्म हो रहे हैं, तो फिर सिक्कों […]
रांची : बैंकों में सिक्के जमा नहीं लिये जाने के कारण हर कोई परेशान हैं. आम आदमी से लेकर कारोबारियों की परेशानी हर दिन बढ़ती जा रही है. किसी तरह सिक्के खत्म हो रहे हैं, तो फिर सिक्कों की भरमार हो जा रही है. स्थिति यह हो गयी है कि कारोबारियों को सिक्के मजबूरन असुरक्षित जगहों पर रखना पड़ रहा है. हालांकि, आरबीआइ को लोगों को हो रही इस परेशानी से कोई मतलब नहीं है. आरबीआइ के अधिकारियों की ओर से हर बार केवल सर्कुलर का हवाला दिया जाता है कि कोई भी बैंक सिक्के लेने से मना नहीं कर सकता है.
ग्राहकों को भ्रमित कर रहे हैं बैंक : यही नहीं, जब भी ग्राहक किसी बैंक में सिक्के जमा करने जाते हैं, तो बैंक कर्मचारियों का कहना होता है कि हर दिन 1,000 रुपये मूल्य के सिक्के लिये जायेंगे. जबकि आरबीआइ का नियम कहता है कि अपने बैंक खाता में जमा करने पर कोई भी प्रतिबंध नहीं है. वह कितने भी मूल्य के सिक्के जमा कर सकते हैं. वहीं एक्सचेंज करने की स्थिति में ही 1,000 रुपये के सिक्के बदले जा सकते हैं. फरवरी, 2018 में पटना में हुई बैठक में भी आरबीआइ के रीजनल डायरेक्टर एनपी टोपनो ने कहा था कि 1,000 रुपये की सीमा केवल कॉमर्शियल ट्रांजेक्शन के लिए है. जबकि बैंकिंग ट्रांजेक्शन के लिए यह सीमा नहीं है. ग्राहक कितने भी मूल्य के सिक्के जमा कर सकता है.
आरबीआइ का सर्कुलर कहता है : कोई भी बैंक को छोटे नोट या सिक्का लेने से मना नहीं करना चाहिए. एक या दो रुपये के सिक्के वजन करके ले सकते हैं. लेकिन इन सिक्कों को पैक्ड पॉलिथीन सैशे में होना चाहिए. क्षमता से अधिक सिक्के जमा होने पर सिक्कों को करेंसी चेस्ट में भेजा जाये. बैंकों के कंट्रोलिंग ऑफिस शाखा में किसी भी समय जाकर जांच करें. आरबीआइ के आदेश की अवहेलना होने पर कार्रवाई होगी. लेकिन, हर ओर शिकायत करने पर एक ही जवाब मिलता है कि आपकी शिकायत से बैंक को अवगत करा दिया गया है. लेकिन बैंक में जाने पर बैंक वाले कुछ नहीं सुनते हैं.
बैंकों की अपनी परेशानी : बैंकों की भी अपनी परेशानी है. बैंक अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान स्थिति यह है कि बैंकों का फिजिकल स्टोरेज और करेंसी चेस्ट भरा हुआ है. किसी भी बैंक का कैश रिटेंशन लिमिट होता है. मान लिया जाये कि किसी शाखा की लिमिट 15 लाख रुपये है. उसके पास 12 लाख रुपये के सिक्के पहले से जमा हो गये हैं. इस प्रकार लगभग तीन लाख रुपये के नोट ही बचते हैं. पर्याप्त मात्रा में नोट नहीं रहेंगे, तो परेशानी बढ़ जायेगी. आखिर सिक्के लेकर रखेंगे कहां.
परेशानी की जड़ यह है : सिक्कों को लेकर हो रही परेशानी सबसे बड़ी जड़ यह है कि आरबीआइ बैंकों के चेस्ट से सिक्के वापस नहीं ले रहा है. सूत्रों के अनुसार आरबीआइ ने मौखिक आदेश दिया है कि सिक्कों को आम लोगों के बीच ही बांटिये. बैंकों के पास जगह नहीं है, तो आखिर कहां रखेंगे. आरबीआइ न तो कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर रहा है और न ही इन सिक्कों को वापस ले रहा है, ताकि जगह खाली हो सके.
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