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रांची : डॉ नाग की गिरफ्तारी पर आयोग ने लिया संज्ञान, प्रभात खबर में छपी खबर को बनाया आधार

मनोज सिंह राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रभात खबर में छपी खबर को बनाया आधार रांची : रिनपास के पूर्व निदेशक डॉ अशोक कुमार नाग की गिरफ्तारी के मामले को राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया है. इसके लिए आयोग ने प्रभात खबर में छपी खबर को आधार बनाया है. इस मामले में निगरानी को […]

मनोज सिंह
राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रभात खबर में छपी खबर को बनाया आधार
रांची : रिनपास के पूर्व निदेशक डॉ अशोक कुमार नाग की गिरफ्तारी के मामले को राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया है. इसके लिए आयोग ने प्रभात खबर में छपी खबर को आधार बनाया है. इस मामले में निगरानी को अपना पक्ष रखने को कहा गया है.
इस मामले में डॉ नाग को भी अपनी बात रखने के लिए 29 मई को बुलाया गया था. किसी विशेष परिस्थिति के कारण उस दिन इनका पक्ष नहीं सुना जा सका है. रिनपास के पूर्व निदेशक डॉ नाग को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 23 फरवरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
विजिलेंस व डॉ नाग को पक्ष रखने को कहा, 23 फरवरी को डॉ नाग की हुई थी गिरफ्तारी
छह अप्रैल को हाइकोर्ट ने बताया था : डॉ नाग के मामले में 19 दिसंबर को ही केस हो चुका है निरस्त
झारखंड उच्च न्यायालय से निरस्त एक मामले में एसीबी ने रिनपास के पूर्व प्रभारी निदेशक सह चिकित्सा अधीक्षक डॉ अशोक कुमार नाग को 23 फरवरी को कांके स्थित एक श्मशान घाट से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
इस मामले की सुनवाई के दौरान छह अप्रैल को जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने याचिकाकर्ता को बताया था कि इस मामले की प्राथमिकी 19 दिसंबर को ही निरस्त हो चुकी है. जब हाइकोर्ट में मामला ही नहीं है, तो याचिकाकर्ता के खिलाफ धारा-82 के तहत कार्रवाई क्यों हो रही है? अदालत ने प्रार्थी की दलील को स्वीकार करते हुए मामला निष्पादित कर दिया. डॉ नाग सहित कई अधिकारियों पर एसीबी ने रिनपास में नियुक्ति, प्रोन्नति, टेंडर और किताब खरीद व अन्य वित्तीय गड़बड़ी की जांच सरकार के निर्देश पर वर्ष 2015 में शुरू की थी़
अब तक निलंबित हैं डॉ नाग
25 फरवरी को गिरफ्तार होने के बाद 24 घंटे के अंदर स्वास्थ्य विभाग ने डॉ अशोक कुमार नाग को निलंबित नहीं किया था. सात अप्रैल को जेल से निकलने के बाद विभाग की ओर से उन्हें निलंबित किया गया था. उनका निलंबन 11 अप्रैल को हुआ था. इधर, डॉ नाग का निलंबन अब तक वापस नहीं लिया गया है. इस कारण पिछले तीन माह से उनको वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है. डॉ नाग ने पूरे मामले की लिखित जानकारी विभागीय सचिव को भी दी है.
सूचना नहीं मिल पाने के कारण कार्रवाई में देरी
इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव बीके सिंह का कहना है कि समय पर सूचना नहीं मिल पाने के कारण कार्रवाई में देरी हुई है. वहीं रिनपास के निदेशक डॉ सुभाष सोरेन का कहना है कि डॉ नाग की गिरफ्तारी की सूचना समय पर उचित माध्यम से संबंधित स्थानों को दे दी गयी थी. इसमें कहीं कोई देरी नहीं की गयी थी.

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