नयी दिल्ली : यूआईडीएआई ने बैंक आैर दूरसंचार कंपनियों जैसे सेवा प्रदाताओं तथा एजेंसियों के लिए आभासी पहचान प्रणाली पूरी लगाने व आधार के बदले इस तरह की आईडी स्वीकार करने की समय सीमा एक महीने बढ़ाकर अब एक जुलाई कर दी है. आभासी आईडी (वीआईडी) का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को यह विकल्प उपलब्ध करवाना है कि उन्हें प्रमाणन के समय अपना आधार नंबर नहीं बताना पड़े. आधार जारी करने वाली यूआईडीएआई ने इससे पहले कहा था कि सभी एजेंसियों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे एक जून, 2018 से वीआईडी स्वीकार करें.
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यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे ने बताया कि हम तो तैयार हैं, लेकिन एजेंसियों को आभासी पहचान (वीआईडी) प्रणाली अपनाने के लिए कुछ और समय चाहिए. इसलिए हमने एक महीने और एक जुलाई तक का समय दिया है. उन्होंने कहा कि आंतरिक काम व दिक्कतों को देखते हुए यह समयसीमा बढ़ाने का फैसला किया गया है. इस साल जनवरी में आधार के मामले में निजता से जुड़ी चिंताओं को दूर करते हुये भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आभासी पहचान प्रणाली शुरू करने की घोषणा की थी.
इस प्रणाली के जरिये कोई भी आधार कार्डधारक अपनी वेबसाइड से निकाल सकेगा और विभिन्न पहचान कार्यों के लिए इसका इस्तेमाल कर सकेगा. आभासी पहचान का इस्तेमाल 12 अंक वाले आधार कार्ड के स्थान पर किया जा सकेगा.
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