नयी दिल्ली : दिल्ली हार्इकोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार व वोडाफोन के बीच जारी कानूनी लड़ाई में बुधवार को इस दूरसंचार कंपनी को नोटिस जारी किया. दरअसल, केंद्र सरकार ने इस मामले में अदालत की एकल पीठ के समक्ष सात मई के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है. इस आदेश में वोडाफोन की अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया के खिलाफ केंद्र की याचिका खारिज कर दी गयी थी. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल आैर न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने वोडाफोन को नोटिस जारी कर पांच जुलाई तक जवाब मांगा है. वोडाफोन ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से अदालत में कहा कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया में मध्य जुलाई तक कुछ नहीं होगा. इस पर अदालत ने कोई और आदेश नहीं किया.
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार तथा वोडाफोन के बीच 2012 में पिछली तिथि से लागू किये गये एक कानून के तहत 11,000 करोड़ रुपये की इस कर मांग को लेकर विवाद बना हुआ है. कंपनी ने भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि (बीपा) के तहत इस मामले को अंतराष्ट्रीय मध्यस्थता अधिकरण में उठाया है. इसी सात मई को दिल्ली हार्इकोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया था. वोडाफोन ने इस मामले में भारत-नीदरलैंड द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू कर रखी है, जो लंबित है.
यह मामला वोडाफोन की आेर से करीब 11 अरब डॉलर में हचिसन टेलीकॉम की हिस्सेदारी का अधिग्रहण किये जाने के सौदे से पर पीछे की तिथि से लागू किये गये एक संशोधित कर कानून के तहत कर की मांग से जुड़़ा है. भारत-नीदरलैंड द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत मध्यस्थता प्रक्रिया के लंबित रहते हुए कंपनी ने 24 जनवरी, 2017 को भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत दूसरी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया भी शुरू कर दी. इसके विरोध में केंद्र सरकार ने अदालत से कहा कि वोडाफोन समूह ने दो मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करके कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग किया है.
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