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फ्री पढ़ाई के साथ कमाई के भी ऑप्शन्स, जानें कैसे देश से भी कम खर्च में विदेश में कर सकते हैं पढ़ाई

पटना : देश में बेहतर एजुकेशन प्राप्त करना कितना मुश्किल भरा और खर्चीला है, इससे सब वाकिफ हैं. सरकारी कॉलेज सस्ते तो हैं लेकिन उनमें पढ़ना हर किसी के बूते की बात नहीं है और एक सामान्य प्राइवेट कॉलेज में नामांकन से लेकर पढ़ने में भी देश में 10 से 15 लाख रुपये आसानी से […]

पटना : देश में बेहतर एजुकेशन प्राप्त करना कितना मुश्किल भरा और खर्चीला है, इससे सब वाकिफ हैं. सरकारी कॉलेज सस्ते तो हैं लेकिन उनमें पढ़ना हर किसी के बूते की बात नहीं है और एक सामान्य प्राइवेट कॉलेज में नामांकन से लेकर पढ़ने में भी देश में 10 से 15 लाख रुपये आसानी से लग जाते हैं.
वहीं अगर मेडिकल की पढ़ाई करनी हो, तो 40 से 50 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन यह जान कर आश्चर्य होगा कि इससे चार गुणा कम खर्च में अच्छे मेडिकल कॉलेज से विदेश में पढ़ाई के ऑप्शंस हैं. वहीं वहां की यूनिवर्सिटीज व गवर्मेंट द्वारा चलायी जा रही कई स्कॉलरशिप भी छात्रों को मिल जाती हैं.
ऑनलाइन या एजेंसी का ले सकते हैं सहारा विदेश जाने के दो ऑप्शन्स हैं.एक तो कि आप स्वयं इंटरनेट पर सर्च करें और इन कॉलेजों की वेबसाइट पर जाकर नामांकन के लिए आवेदन करें.कई जगहों पर आवेदन करने पर आपको वहां से मेल आने लगेंगे. इसके अलावा आप निर्देशों को फॉलो करके और खुद से जानकारियां इकठ्ठी करके भी विदेश में पढ़ाई कर सकते हैं. लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो इंटरनेट पर कई प्राइवेट एजेंसियां यहां यह काम कर रही हैं.
वे आपके आवेदन से लेकर वहां भिजवाने तक की व्यवस्था करती हैं. नेट के अलावा शहरों में इन एजेंसियों के दफ्तर व कार्यालय भी हैं, जहां छात्र जाकर इंक्वायरी कर सकते हैं. ये एजेंसियां एक से तीन-चार लाख तक एक्सट्रा (कमीशन) चार्ज करती हैं. यह इस पर निर्भर करता है कि आप उनसे कहां कितनी मदद ले रहे हैं.
कुछ एजेंसियां छात्र को विदेश ले जाकर नामांकन कराने से लेकर वहां रहने-खाने से लेकर सारी व्यवस्था तक का ठेका लेती हैं. लेकिन यहां यह बात भी समझ लेने वाली है, इस क्षेत्र में कई फ्राॅड एजेंसियां भी हैं. इसलिए थोड़ा ठोक बजा कर काम करने में ही भलाई है. ज्यादा-से-ज्यादा एजेंसियों से मशवरा व खुद से यूनिवर्सिटीज की वेबसाइट पर तथा व अन्य सोर्स से जानकारी के बाद ही नामांकन का निर्णय लेना उपयुक्त होगा.
सरकार उठाती है पढ़ाई का खर्च
विदेश में कुछ जगह ऐसे हैं, जहां पढ़ाई का खर्च वहां की सरकार उठाती है और उसके साथ-साथ कमाई भी कर सकते हैं, जिससे छात्र रहने-खाने का खर्च खुद निकाल सकते हैं. कुछ राशि बचा भी सकते हैं. वहीं वहां से पढ़ाई करने के बाद विदेश में और अपने देश में भी अच्छा प्लेसमेंट मिल जाता है. जर्मनी में ट्यूशन फी नहीं है. सिर्फ रहने और खाने में 500 यूरो तक खर्च होते हैं, जबकि वहां पार्ट टाइम जॉब करने पर 1200 यूरो तक कमा सकते हैं. सप्ताह में सिर्फ 22 घंटे का काम छात्रों को दिया जाता है.
विश्व भर से आते हैं छात्र
यहां उस देश के छात्रों के अलावा विश्व भर के छात्रों का नामांकन होता है. विश्व का कोई भी छात्र यहां आकर पढ़ सकता है. चूंकि वहां सीटें अधिक होती हैं और जनसंख्या कम. इसलिए वहां नामांकन के चांस बढ़ जाते हैं.
मिल जाता है एजुकेशन लोन
विदेश में पढ़ाई के लिए आसानी से लोन मिल जाता है. अगर यूनिवर्सिटी से नामांकन के लिए लेटर जारी हो जाता है, तो बैंक पांच से पंद्रह लाख तक आसानी से लोन दे देते हैं. जर्मनी, सिंगापुर, रूस आदि देश काफी सस्ते हैं. ‌वहां आसानी से इंजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेजों में नामांकन हो जाता है. नैनयांग और पीएसबी सिंगापुर समेत कई ऐसे कॉलेज हैं. हालांकि यहां रहने-खाने का खर्च अधिक है. यूके में प्रति वर्ष तीन से चार लाख, रूस में एक से डेढ़ लाख, ऑस्ट्रेलिया में चार से पांच लाख में पढ़ सकते हैं.
वीजा प्रोसेसिंग के लिए बैंक स्टेटमेंट जरूरी :अगर आप विदेश में पढ़ाई करने की सोच रहे हैं और एजुकेशन वीजा चाहते हैं, तो पासपोर्ट के साथ आपको बैंक अकाउंट के स्टेटमेंट की कॉपी देनी होगी. इसके बाद ही एंबेसी द्वारा स्वीकृति मिलेगी. इसमें पिता का ज्वाइंट अकाउंट भी चलेगा. प्लस टू में 65 प्रतिशत से अधिक मार्क्स होना जरूरी है.
अंग्रेजी या उक्त देश की कोई भाषा का बेसिक ज्ञान जरूरी: विदेश में जाने के लिए जो सबसे जरूरी अहर्ता है, वह है कि आपकी अंग्रेजी अच्छी होनी चाहिए या फिर जिस देश में आप जा रहे हैं उस देश की भाषा का बेसिक ज्ञान होना चाहिए. जैसे जर्मनी के लिए जर्मन, रूस में रशियन लैंग्वेज जरूरी है. लेकिन भाषा नहीं भी जानते हैं, तो अंग्रेजी जरूरी है.
जागरूकता का है अभाव
विदेश में सात से पंद्रह-बीस लाख तक में इंजीनियरिंग मेडिकल में पढ़ाई की जा सकती है. रूस में सिर्फ पंद्रह लाख में एमबीबीएस हो सकता है, जबकि अपने देश के किसी भी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में 25 से 50 लाख रुपये लग जाते हैं. छात्रों में जागरूकता के अभाव

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