बालाघाट (मध्य प्रदेश) : तीन दिन के नवजात शिशु की हत्या करने के मामले में 23 वर्षीय एक मां को स्थानीय अदालत ने मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. लोक अभियोजक मदन मोहन द्विवेदी ने बताया कि बालाघाट जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश दीपक कुमार अग्रवाल की अदालत ने गवाहों और दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अपने फैसला देते हुए आरोपी मां रीना भगत को नवजात शिशु की हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा अदालत ने उसे 5,000 रूपये के अर्थदंड से दंडित भी किया है. द्विवेदी ने बताया कि चांगोटोला थाना अंतर्गत हिरबाटोला निवासी रीना को विवाह के 6 माह बाद ही 11 नवंबर 2017 को प्रसव पीड़ा उठने के बाद बालाघाट जिला चिकित्सालय के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था.
वहां पर उसने एक स्वस्थ नवजात शिशु को जन्म दिया था, किन्तु पति चंचल भगत ने विवाह के 6 माह बाद ही पत्नी के स्वस्थ शिशु के जन्म पर सवाल खड़े करते हुए बच्चे के डीएनए के जांच की बात कही थी. उन्होंने कहा कि अपनी बदनामी के डर से 14 नवंबर 2017 को ट्रॉमा यूनिट में भर्ती रीना ने अपने ही नवजात शिशु की बड़े ही निर्मम और शातिर तरीके से गला घोंटकर हत्या कर दी थी.
द्विवेदी ने बताया कि महिला के पति द्वारा नवजात की हत्या की शंका होने पर शव का पोस्टमॉर्टम किया गया और रिपोर्ट से साफ हो गया कि बच्चे की मौत स्वभाविक नहीं, बल्कि गला दबाकर हत्या की गयी है. इसके बाद पुलिस ने इस मामले में नवजात शिशु की हत्या करने के मामले में आरोपी मां रीना को गिरफ्तार कर मामले की संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया था.