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अब स्वास्थ्य उपकेंद्रों में भी होगी डॉक्टरों की तैनाती : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

784 करोड़ की 301 स्वास्थ्य योजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य उपकेंद्रों में भी अब डाॅक्टरों की तैनाती होगी. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पद सृजित करे. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर भी निरंतर सारी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए काम करने […]

784 करोड़ की 301 स्वास्थ्य योजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य उपकेंद्रों में भी अब डाॅक्टरों की तैनाती होगी. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पद सृजित करे. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर भी निरंतर सारी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए काम करने की जरूरत है. स्वास्थ्य उपकेंद्रों में अभी सिर्फ एएनएम रहती हैं.
दवाएं और अन्य जरूरी चीजें भी उपलब्ध रहें, इस पर ध्यान देने की जरूरत है. मुख्यमंत्री सोमवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद भवन में स्वास्थ्य विभाग के 784 करोड़ रुपये की 301 योजनाओं का रिमोट के जरिये शिलान्यास और उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे. जिन योजनाओं का सीएम ने उद्घाटन किया, उनमें एमएसडीपी स्कीम के अंतर्गत अल्पसंख्यक कल्याण विभागके अधीन दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दो अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र और 22 स्वास्थ्य उपकेंद्र शामिल हैं. वहीं जिन योजनाओं का शिलान्यास किया गया, उनमें एमएसडीपी स्कीम के अंतर्गत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधीन 22 अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र और 121 स्वास्थ्य उपकेंद्र शामिल हैं.
पांच- छह साल में पीएमसीएच बनेगा विश्व स्तर का अस्पताल
मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि पांच-छह साल में पीएमसीएच विश्व स्तर का अस्पताल बनकर तैयार हो जायेगा. कहा कि हमारा शुरू से सपना रहा है कि पीएमसीएच को विश्व स्तर का अस्पताल बनाया जाये.
5000 बेडों की क्षमता वाले पीएमसीएच को विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने को लेकर प्रेजेंटेशन दिखाया गया. इस अस्पताल की निर्माण अवधि आठ वर्ष है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि और कम समय में ही इसको पूरा कर लिया जायेगा. एनएमसीएच और आईजीआईएमएस भी ढाई हजार क्षमता का अस्पताल होंगे. गैर सरकारी क्षेत्र के अस्पताल भी बढ़ रहे हैं. इससे राज्य में स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक बदलाव आयेगा.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए पूरी मुस्तैदी के साथ स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है. वर्ष हमने 2005 में सत्ता संभाली थी, उस समय राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र की हालत बहुत खराब थी.
फरवरी, 2006 में एक सर्वे कराया गया, जिससे पता चला कि एक महीने में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज कराने के लिए सिर्फ 39 मरीज आते थे. स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाये. इसके लिए डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करायी गयी.
अगस्त, 2006 में मुफ्त दवा वितरण शुरू किया गया. उस समय लगभग 70–80 दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी. नवंबर, 2006 में दोबारा कराये गये सर्वे में यह बात सामने आयी कि एक महीने में 1500 से 2000 मरीज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के लिए आ रहे हैं और आज प्रति माह अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 10,000 से ज्यादा हो गयी है.
उन्होंने कहा कि इसका यह मतलब नहीं है कि राज्य में मरीजों की संख्या बढ़ गयी है, बल्कि लोगों का सरकारी अस्पतालों पर भरोसा बढ़ा है. जिला अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, स्वास्थ्य उपकेंद्र को विकसित किया जा रहा है. छह बेडों वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काे विकसित कर 30 बेड वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाये गये हैं. हर जिले में जीएनएम संस्थान, पारा मेडिकल कॉलेज, प्रत्येक अनुमंडल में एएनएम संस्थान खोला जा रह है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पतालों की साफ-सफाई और उन्हें सुसज्जित रखने की जरूरत है. अगर अस्पताल साफ-सुथरा और देखने में बेहतर हो तो इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव मरीजों के इलाज पर पड़ता है. राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. राज्य में लोहिया स्वच्छता अभियान भी चलाया जा रहा है.
अगर पीने का स्वच्छ पानी और स्वच्छता का ध्यान रखा जाये तो 90% बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है. बीमारियों के प्रति जागरूकता के लिए पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य मेला लगाने की जरूरत है.
कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, अल्पसंख्यक कल्याण एवं गन्ना उद्योग मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद ने भी संबोधित किया.
अब डॉक्टर-इंजीनियराें की नियुक्ति बिना परीक्षा के मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅक्टरों और इंजीनियरों की नियुक्ति की प्रक्रिया को सरल किया गया है. तकनीकी सेवा भर्ती आयोग अब डॉक्टरों और इंजीनियरों की नियुक्ति बिना लिखित परीक्षा के करेगा. जब उन्होंने इंजीनियरिंग और एमबीबीएस की परीक्षा को पास किया ही है तो फिर िनयुिक्त के िलए उनकी लिखित परीक्षा लेने का कोई औचित्य नहीं है.
आयोग सिर्फ सर्टिफिकेट देखकर नियुक्ति करेगा. उन्होंने कहा कि राज्य में डॉक्टरों की संख्या और अधिक बढ़ाने की जरूरत है. एमबीबीएस पास छात्रों के लिए राज्य में ही अवसर उपलब्ध रहेगा. यहां से पास कर छात्र बाहर चले जाएं, यह ठीक नहीं हैं.

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