नयी दिल्ली: कंपनियों के तिमाही नतीजों का सीजन खत्म होने के बाद अब शेयर बाजार की चाल रुपये के उतार-चढ़ाव, कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों के रुख और वृहद आर्थिक आंकड़ों से तय होगी. विशेषज्ञों ने यह बात कही. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘चौथी तिमाही के परिणाम पूर्वानुमान से कम रहने के कारण वित्त वर्ष 2018-19 का पूर्वानुमान कम किया जा सकताहै.बांड से प्राप्ति, बढ़ती मुद्रास्फीति, रुपये की गिरावट और चालू खाते का घाटा जैसे वृहद आर्थिक कारण मध्यावधि में बाजार को प्रभावित कर सकते हैं.’ गुरुवार को डेरिवेटिव्स निपटान की वजह से भी उतार-चढ़ाव रह सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के आंकड़े भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण होंगे. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रमुख (प्राइवेट क्लाइंट ग्रुप एंड कैपिटल मार्केट स्ट्रेटजी) वीके शर्मा ने कहा, ‘‘निफ्टी कुछ समय से कच्चे तेल की तेजी और डॉलर की मजबूती से झटका खा रहा है.’
पिछले कुछ सप्ताह से डॉलर के मुकाबले रुपया तेजी से टूट रहा है. शुक्रवार को रुपया हालांकि 56 पैसे की जोरदार बढ़त के साथ 67.78 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. इस सप्ताह वाहन कंपनियां भी निवेशकों के आकर्षण के केंद्र में होंगी क्योंकि शुक्रवार को मासिक बिक्री के आंकड़े घोषित होंगे. सप्ताह के दौरान विनिर्माण क्षेत्र के पीएमआइ आंकड़े भी जारी होंगे. बाजार पर इनका भी असर हो सकता है. बीते सप्ताह बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 76.57 अंक या 0.22 प्रतिशत की बढ़त के साथ 34,924.87 अंक पर पहुंच गया.
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