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जारी है मौत की लहरों से टकराने का खेल

पटना : गंगा में नाव के परिचालन को लेकर किसी भी मानक का पालन नहीं किया जा रहा है. आये दिन गंगा में नाव हादसे हो रहे हैं. कभी किसी घाट पर तो कभी बीच नदी में नाव पलटने की खबर आ रही है. लोग जान को हथेली पर रख सफर कर रहे हैं. प्रशासन […]

पटना : गंगा में नाव के परिचालन को लेकर किसी भी मानक का पालन नहीं किया जा रहा है. आये दिन गंगा में नाव हादसे हो रहे हैं. कभी किसी घाट पर तो कभी बीच नदी में नाव पलटने की खबर आ रही है. लोग जान को हथेली पर रख सफर कर रहे हैं. प्रशासन की ओर से हर दिन सुरक्षा मानकों का हवाला देकर बैठकें जारी हैं. मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. किस नाव पर कितने लोग सवार, नाव की स्थिति कैसी है. नाव पर क्या-क्या रखा गया है. इसके साथ उस पर आने-जाने वालों की सुरक्षा को लेकर किस तरह अनुपालन कर रहे हैं. इसको देखने वाला कोई नहीं है. दियारे के लोगों के शहर में आने की जरूरत उन्हें हर दिन मौत की लहरों से टकराने को मजबूर कर दे रही है. इन्हीं बातों की जांच करने के लिए शनिवार को प्रभात खबर ने गंगा के कई घाटों की पड़ताल की. पेश है रिपोर्ट…

दीघा, अंटा और गाय घाट पर सबसे अधिक चलती हैं नावें : शहर में सबसे अधिक नाव दीघा घाट, अंटा घाट और गाय घाट पर चलती हैं. इन घाटों पर दीयारे के कई छोटे-छोटे गावों से लोग प्रतिदिन शहर में आते हैं. शहर में दिन भर काम कर शाम को घर लौट जाते हैं. दीघा घाट पर तीन जगहों से लगभग 50 की संख्या से प्रतिदिन नावों का परिचालन किया जा रहा है. इसमें से अधिकांश बड़ी नावें होती हैं, जिनकी क्षमता अधिकतम 20 लोगों की होती है. मगर नियमित रूप से इन नावों पर 30 से 40 लोगों को बैठाया जाता है. वहीं किसी विशेष मौके पर 50 से 60 लोगों को भी नाविक बैठा लेते हैं. अंटा घाट पर सुबह में दियारे से सब्जी लाने वालों की नावें ओवर लोड होकर शहर में आती हैं. वहीं गाय घाट पर सौ से अधिक नावें चलती हैं. इनमें से 50 फीसदी नावें जर्जर हैं.
प्रतिदिन 15 हजार से अधिक लोगों का है आना-जाना : जानकारी के अनुसार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दियारे के प्रतिदिन 15 से 20 हजार लोग शहर में आते हैं. इनमें दीघा से पांच हजार, गाय घाट से दस हजार व अन्य घाटों से पांच से दस हजार लोग आते हैं. इसके अलावा गंगा के अन्य घाटों से लोग आनंद के लिए भी गंगा में नाव की सवारी करते हैं.
प्रतिदिन नाव से साइकिल, पशु, सिलिंडर से लेकर अन्य वस्तुओं को ले जाते हैं लोग
नाव में इस पार से उस पार लाने के लिए प्रशासन की ओर से केवल आदमी का परिचालन किया जा सकता है, लेकिन लोग प्रतिदिन नाव से साइकिल, पशु, सिलिंडर से लेकर अन्य वस्तुओं को ले जाते हैं. इसकी किसी स्तर से कोई जांच नहीं की जाती है.
कई बार हो चुके हैं हादसे : गंगा में नाव को लेकर कई बार हादसे हो चुके हैं. इनमें मकर संक्रांति का हादसा सबसे बड़ा था. इसमें 32 लोगों की जान चली गयी थी. इसके बाद कई छोटे बड़े हादसे हो रहे हैं. बीते शुक्रवार को भी कृष्णा घाट पर भी नाव हादसा हुआ, इसमें एक व्यक्ति की जान चली गयी.
कैंप लगा कर नावों का किया जाना है निबंधन : जिलाधिकारी ने नावों व नाविकों को अनुबंधित करने के लिए अनुमंडल पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी है. इसमें 16 मई से 29 मई तक पटना सदर से लेकर अनुमंडल के विभिन्न घाटों पर अनुबंधित करने का काम जारी है. इसमें पटना सदर में अब तक पाटीपुर दीघा और गांधी घाट मिला कर कुल 70 नावों को अनुबंधित किया गया है. इसके अलावा पटना सिटी से गाय घाट, फतुहा और बैकुंठपुर में कुल 101 नावों को अनुबंधित कर दिया गया है. वहीं दानापुर अनुमंडल में मनेर व पीपापुल घाट पर कुल 105 नावों को अनुबंधित कर दिया गया है. 30 मई तक निबंधन का काम पूरा कर देना है.
निबंधन का काम पूरा होने पर प्रशासन सभी नावों को निबंधन नंबर जारी करेगा. नाव की क्षमता व गुणवत्ता की जांच होगी. बगैर अनुबंधन के नाव गंगा या पुनपुन में नहीं चलेंगी. इसके बाद थाना को निर्देश देकर औचक जांच कर कार्रवाई की जायेगी.
नियमित गश्ती के लिए बनाया जा रहा प्लान
नावों का निबंधन जारी है. जो नियमित घाट हैं, उन पर थाना स्तर से चौकीदार रखने के लिए निर्देश दिया गया है. इसके अलावा गंगा के अन्य अस्थायी घाटों पर भी लोग नाव चला रहे हैं. गंगा में नियमित गश्ती का प्लान बनाया जा रहा है. जून से विशेष अभियान चलेगा. हादसों को रोकने के लिए प्लान बना है.
कुमार रवि, जिलाधिकारी

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