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अरुण जेटली का कांग्रेस पर हमला : अब बहस का मुद्दा होगा मोदी बनाम अराजकतावादियों का गठजोड़

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कांग्रेस तथा टीएमसी, द्रमुक, बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों के मौकापरस्त नेताओं की तीखी आलोचना करते हुए शनिवार को कहा कि अगले साल होने वाले आम चुनावों में बहस का एजेंडा अब नरेंद्र मोदी बनाम ‘अराजकतावादियों का गठजोड़’ होगा. जेटली ने फेसबुक पर लिखा है कि कांग्रेस हाशिये […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कांग्रेस तथा टीएमसी, द्रमुक, बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों के मौकापरस्त नेताओं की तीखी आलोचना करते हुए शनिवार को कहा कि अगले साल होने वाले आम चुनावों में बहस का एजेंडा अब नरेंद्र मोदी बनाम ‘अराजकतावादियों का गठजोड़’ होगा. जेटली ने फेसबुक पर लिखा है कि कांग्रेस हाशिये पर जा रही है और उसकी चुनावी सभावना सिकुड़ती जा रही है. किडनी प्रतिरोपण के बाद जेटली इस समय अस्पताल में हैं.

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वह लिखते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोटाला मुक्त सरकार दी है और उनके कार्यकाल के पाचवें वर्ष में जोर नीतियों और कार्यक्रमों को सुदृढ़ करने पर होगा. उन्होंने 2019 के आम चुनावों के लिए भाजपा के विकल्प के रूप में कांग्रेस तथा क्षेत्रीय दलों के एक साथ आने को ‘काल्पनिक विकल्प’ बताया. उन्होंने कहा कि हताश राजनीतिक दलों का एक समूह साथ आने का वादा कर रहा है. जेटली ने कहा कि ‘संघीय मोर्चा’ एक विफल विचार है. इस प्रकार के मोर्चे में विरोधाभास होता है और यह देर-सबेर संतुलन खो देता है.

उन्होंने कहा कि उनके कुछ नेता तुनक मिजाज हैं. अन्य मौकापरस्त हैं, समय के मुताबिक अपने विचारों को बदलते हैं. टीएमसी, द्रमुक, तेदेपा, बसपा और जनता दल (एस) जैसे उनमें से कइयों के साथ सत्ता में हिस्सेदारी करने का भाजपा को अवसर मिला. ये दल बार-बार अपने राजनीतिक रुख में बदलाव लाते हैं. जेटली ने कहा कि उन्होंने बार-बार अपना राजनीतिक रुख बदला. उन्होंने भाजपा का समर्थन किया और दावा किया यह देश हित में है और उसके बाद अपना रुख बदल लिया तथा धर्मनिरपेक्षता के नाम पर पार्टी का विरोध किया. इन राजनीतिक दलों में वैचारिक रूप से काफी लचीलापन है. स्थिर राजनीति उनके राजनीतिक ट्रैक रिकाॅर्ड से काफी दूर है.

चरण सिंह और चंद्रशेखर की अगुवाई में संघीय मोर्चा का प्रयोग किया गया. बाद में 1996 और 1998 के बीच संयुक्त मोर्चा सरकार बनी जो सफल नहीं रही. उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने की आंकाक्षा रखने वाला भारत उस हताश राजनीतिक दलों के अराजक गठजोड़ को स्वीकार नहीं करेगा, जो बार-बार विफल हुआ. इतिहास से यह सबक मिला है. जेटली ने लिखा है कि उनमें से कुछ राजनीतिक दलों का हताश समूह है, जिनका ट्रैक रिकाॅर्ड संदिग्ध रहा है. कुछ नेता अपने दल के अकेले नेता हैं, जो स्वतंत्र विचार रखते हैं. इनमें कुछ ऐसे हैं, जिन्हें सजा मिली हुई है या भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. कइयों के राजनीतिक आधार कुछ जिलों या जाति विशेष तक सीमित है.

उन्होंने कहा कि राजग का विकल्प देने के लिए विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं, जिसमें तालमेल का अभाव है और देश के पास ऐसे गठबंधन द्वारा चलायी गयी सरकारों के बारे में बुरा अनुभव है. कांग्रेस की आलोचना करते हुए जेटली ने कहा कि पार्टी सत्ता से दूर रहकर हताश है. उन्होंने लिखा है कि भारतीय राजनीति में एक समय महत्वपूर्ण स्थिति में रही पार्टी आज हाशिये की ओर बढ़ रही है. उसकी राजनीतिक स्थिति एक मुख्य धारा वाली पार्टी जैसी नहीं, बल्कि उस तरह की है जिसे हाशिये पर खड़ा कोई संगठन अपनाता है. हाशिये पर खड़ा संगठन कभी भी सत्ता में आने की उम्मीद नहीं कर सकता.

जेटली ने कहा कि उसकी अब यह उम्मीद बची है कि वह क्षेत्रीय दलों का समर्थक बने. राज्य स्तरीय क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने यह माना है कि हाशिये पर खड़ी कांग्रेस एक कनिष्ठ भागीदार बेहतर हो सकती है. उन्होंने कहा कि संप्रग के विपरीत प्रधानमंत्री अपनी पार्टी एवं देश दोनों के एक स्वभाविक नेता हैं. हम अनिर्णय की स्थिति के गवाह रहे हैं और उससे स्पष्टता और निर्णय की ओर बढ़े हैं. चार साल की उपलब्धियों को गिनाते हुए जेटली ने कहा कि ‘वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर भारत ‘उभरती कमजोर पांच अर्थव्यवस्थाओं’ की सूची से निकलकर तीव्र आर्थिक वृद्धि वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. यह कर अनुपालन वाला देश बन गया है, जहां चालू खाते का घाटा दो फीसदी से कम है. राजकोषीय घाटा कम है और मुद्रास्फीति नियंत्रण में है.

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