सरकार ऑयल कंपनियों को दे सकती है निर्देश
नयी दिल्ली: कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच मूडीज इन्वेस्टर सर्विस का अनुमान है कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम उत्पादन कंपनियों तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और आयल इंडिया लिमिटेड को सरकार एक बार फिर से ईंधन सब्सिडी का बोझ साझा करने को कह सकती है. ओएनजीसी अैर आयल इंडिया को 13 साल से अधिक समय तक ईंधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन बेचने की वजह से उनको होने वाले नुकसान की भरपाई करनी पड़ी थी. वैश्विक स्तर पर 2015 में कच्चे तेल के दाम नीचे आने के बाद ओएनजीसी और आयल इंडिया को सब्सिडी साझा करने के दायित्व से मुक्त कर दिया गया था.
मूडीज ने आज एक रिपोर्ट में कहा है कि अब इन कंपनियों पर फिर से सब्सिडी का बोझ साझा करने का जोखिम बढ़ रहा है. मूडीज के उपाध्यक्ष विकास हलान ने कहा, ‘‘सरकार के बढ़ते राजकोषीय घाटे की वजह से यदि मार्च, 2019 तक कच्चे तेल के दाम 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बने रहते हैं, तो ओएनजीसी और आयल इंडिया को सब्सिडी को साझा करने को कहा जा सकता है. मूडीज ने कहा कि इसके अलावा सरकार पेट्रोल और डीजल कीमतों को रिकॉर्ड स्तर से नीचे लाने के लिए हस्तक्षेप कर सकती है और वह उत्पाद शुल्क घटा सकती है. ईंधन उत्पादों के खुदरा मूल्य में इन करों का हिस्सा 20 प्रतिशत से अधिक बैठता है.
तेल कीमतों में गिरावट आने के बाद 2016 में उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया था. ओएनजीसी और आयल इंडिया ने जून, 2015 से ईंधन सब्सिडी में योगदान नहीं दिया है, लेकिन इससे पहले के वर्षों में इन कंपनियों ने देश की सालाना ईंधन सब्सिडी का 40 प्रतिशत से अधिक बोझ उठाया था.
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