Advertisement
बर्तन धोना हो या पीने का पानी, नदी ही आसरा
मुजफ्फरपुर : यह तस्वीर शहर से सटे अखाड़ा घाट शेखपुर ढ़ाब की है. भगत सिंह नगर नाम के इस मुहल्ले के करीब पांच सौ आबादी की जिंदगानी बूढ़ी गंडक के पानी के सहारे चल रही है. खाना बनाने, नहाने व कपड़ा धोने के लिए सुबह-शाम नदी किनारे पानी भरने के लिए लंबी कतार लगती है. […]
मुजफ्फरपुर : यह तस्वीर शहर से सटे अखाड़ा घाट शेखपुर ढ़ाब की है. भगत सिंह नगर नाम के इस मुहल्ले के करीब पांच सौ आबादी की जिंदगानी बूढ़ी गंडक के पानी के सहारे चल रही है. खाना बनाने, नहाने व कपड़ा धोने के लिए सुबह-शाम नदी किनारे पानी भरने के लिए लंबी कतार लगती है.
महिला, पुरुष व बच्चों की जमात हर दिन बाल्टी व डिब्बा लेकर नदी किनारे पानी भरने के लिए आते हैं. बाल्टी व बोतल के पीले रंग से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग किस कदर प्रदूषित पानी उपयोग करने को मजबूर हैं. बोतल दिखाते हुए मीना देवी दबी आवाज में कहती है पानी त न पियइछी, लेकिन खाना यहे पानी में बनइछयी.चापाकल न हई.
मुहल्ले के लोग बताते हैं कि पीने का पानी बगल के टोला से लाते हैं. किसी तरह काम चल रहा है. बैंक रोड स्थित झपसी टोला से विस्थापित हुए लोगों को छह महीने पहले शेखपुर ढाब में बसाया गया था. हाइकोर्ट के आदेश पर सदर अस्पताल की जमीन से अतिक्रमण खाली कराकर शेखपुर ढाब स्थित सरकारी जमीन पर लोगों को बसाया गया था.
लेकिन, प्रशासन ने इन लोगों को बसाने के बाद सुधि नहीं ली. विस्थापितों को बसाने में अगुआई करने वाले शत्रुघ्न सहनी बताते हैं कि मुहल्ले में पानी व शौचालय की व्यवस्था नहीं है. डीएम साहब को आवेदन दिया है. लेकिन, अब तक कुछ नहीं हुआ है. पानी के लिए त्राहिमाम की स्थिति है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement