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फ्लिपकार्ट में सॉफ्टवेयर डेवलपर पद पर हुआ चयन मिला 24 लाख का पैकेज

देवघर : संघर्ष जीवन का हिस्सा है. लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष कर बहुत ही कम लोग अपनी पहचान बना पाते हैं. देवघर के अनिमेष पाठक ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. आइआइआइटी, हैदराबाद से कंप्यूटर साइंस व इलेक्ट्रॉनिक्स में बी-टेक कर चुके अनिमेष को विश्व की टॉप-5 अॉनलाइन शॉपिंग की इ-कॉमर्स […]

देवघर : संघर्ष जीवन का हिस्सा है. लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष कर बहुत ही कम लोग अपनी पहचान बना पाते हैं. देवघर के अनिमेष पाठक ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. आइआइआइटी, हैदराबाद से कंप्यूटर साइंस व इलेक्ट्रॉनिक्स में बी-टेक कर चुके अनिमेष को विश्व की टॉप-5 अॉनलाइन शॉपिंग की इ-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने लगभग 24 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर के तौर पर जॉब अॉफर किया गया है. तीन जुलाई को अनिमेष बेंगलुरु में फ्लिपकार्ट कंपनी ज्वाइन करेगा. बेंगलुरु में चयनित इंजीनियरों के कैंप में उनकी रुचि, वेकेंसी अौर परफाॅर्मेंस के आधार पर साइट सेलेक्शन होगा.

अनिमेष ने आइआइआइटी, हैदराबाद से दिसंबर में पढ़ाई पूरी की. कंपनी की ओर से आयोजित जॉब प्लेसमेंट फेयर में उसकी रुचि व ग्रेड के हिसाब से चयनित किया गया है. अनिमेष को ऑफर लेटर भी मिल चुका है. कुछ दिनों पहले ही अनिमेष देवघर अपनी मां के पास पहुंचा है. दो जुलाई को वह बेंगलुरु के लिए रवाना होगा.

अनिमेष एक परिचय : अनिमेष चंद्र पाठक ने दुर्गाबाड़ी स्थित हिल्स वेज से अपनी प्रारंभिक पढ़ाई शुरू की. फिर कास्टर टाउन मुहल्ला स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से सातवीं तक की पढ़ाई की.
फ्लिपकार्ट में सॉफ्टवेयर…
बंपास टाउन स्थित देवसंघ स्कूल से आठवीं से 10वीं की पढ़ाई पूरी की. सीबीएसइ की 10वीं की परीक्षा में सीजीपीए-10 मिला था. फिर वाराणसी के सनबिंग स्कूल भवन से 12वीं की परीक्षा पास की. जेइइ(मेन) की परीक्षा में 276 अंकों के साथ अॉल इंडिया में 4100 रैंक प्राप्त किया.
ऐसे शुरू हुई संघर्ष की कहानी
अनिमेष कंप्यूटर साइंस में अपना भविष्य बनाना था. देश के सर्वोच्च संस्थानों में से एक हैदराबाद के आइआइआइटी में दाखिला लेना उसका सपना था. लेकिन घर की माली हालत उसके सपने में बाधा बन रही थी. संस्थान की फीस भरने तक के पैसे नहीं थे. माता-पिता ने उसके सपने पूरे करने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया. बावजूद फीस की राशि पूरी नहीं हो रही थी. शहर के कुछ प्रबुद्धजनों व मित्रों ने सहयोग किया. चार साल की कड़ी मेहनत के बल पर आज उसके घर खुशियां तो आयी, मगर डेढ़ साल पहले सपने देखने वाले पिता उमेश चंद्र पाठक सड़क हादसे का शिकार होकर दुनिया से चल बसे.
आइआइआइटी, हैदराबाद से पूरा किया कंप्यूटर साइंस व इलेक्ट्रानिक्स में बी-टेक की पढ़ाई

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